-संजय कुमार सिंह।।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार (07 मार्च 20) को पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज में ‘जन औषधि दिवस’ के मौके पर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कड़े सुरक्षा कदमों के कारण पिछले छह साल में देश में एक भी बम विस्फोट नहीं हुआ। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, “मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले 10-25 वर्षों तक हमने क्या देखा? हमने पुणे, वडोदरा, अहमदनगर, दिल्ली और मुंबई में बम धमाके देखे। हर आठ से दस दिनों में धमाके होते थे और लोग मारे जाते थे। निश्चित रूप से यह पहले की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर बताना है। पर मंत्री जी ने यहा भी कहा, लेकिन पिछले छह सालों में धमाके की एक भी घटना नहीं हुई।” जावड़ेकर ने कहा, “यह ऐसे ही नहीं हुआ बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा उठाए कुछ कड़े कदमों की बदौलत हुआ ताकि देश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकें।”
प्रकाश जावेडकर को 2002 का गुजरात याद नहीं है। 2020 की दिल्ली याद नहीं है। और पुलवामा को तो खैर भुलाने के लिए ही ये सब बोल रहे हैं। ऐसे झूठ बोलने वाले मंत्री के काम के बारे में क्या पूछा जाए। इनका यही काम है और वे वही कर रहे हैं। बाकी दो मलयालम चैनल पर रोक और फिर उसे वापस लिए जाने के फैसले की खबर से पता चलता है कि वे अपना काम कितनी गंभीरता और सफलता से साथ कर रहे हैं। यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि पहले धमाके होते थे अब नहीं होते हैं क्योंकि पहले बहुत कुछ नहीं होते थे जो अब हो रहे हैं और उस मामले में सरकार कह दे रही है कि यूपीए ने कर्ज दिए थे इसलिए बैंक लुट गया। अगर इसे मान लिया जाए तो यह क्यों नहीं माना जाए कि यूपीए ने ही कुछ किया होगा जिससे अब धमाके नहीं हो रहे हैं।
हालांकि, ऐसा है नहीं। छत्तीसगढ़ में भी चुनाव से पहले नवंबर 2018 में नक्सलियों ने दो हमले किए थे। इनमें बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार शहीद हो गए थे। नक्सलियों ने रविवार को बीजापुर और कांकेर में हमला किया। . कांकेर में एक के बाद एक छह आईईडी ब्लास्ट हुए। पर मंत्री कह रहे हैं कि बम नहीं फटा जैसे गोली लगने से मरने या आईईडी ब्लास्ट में मरना अलग होता है। इससे पहले 13 मार्च 2018 को नक्सली हमले में 9 लोग शहीद हुए थे। इसकेबाद 24 सितंबर 2019 को छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में तीन लोगों को मौत हो गई थी। ना तो छत्तीसगढ़ भारत से बाहर है और ना नक्सलियों को विस्फोट करने लोगों को मारने की छूट मिली हुई है। और तो और, दांतेवाड़ा में नक्सलियों ने भाजपा के एक विधायक, भीमा मंडावी पर भी हमला कर उन्हें मार दिया था।
पुलवामा को चुनावी मुद्दा बनाने लेकिन उसकी जांच पर चुप्पी साधे बैठी सरकार ने छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले रोकने के लिए क्या किया है यह नहीं बताती। रायपुर. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर खूनी खेला है। सोमवार को सुकमा के दोरनापाल में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हो गए। जबकि अन्य 6 जवान बुरी तरह जख्मी हो गए। घायल जवान को रायपुर रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। इससे पहले 11 मार्च 2017 को सुकमा जिले के भेज्जी क्षेत्र में माओवादियों के एम्बुश में सात जवान मारे गए थे। बता दें कि यह पहली बार नहीं है, नक्सली इससे पहले भी सुरक्षा बलों पर बड़े हमले कर चुके है। 24 अप्रैल 2017 के हमले में 25 सैनिकों के शहीद हो जाने की खबर है। पर मंत्री जी मौके बे मौके अपने आंकडे़ छोड़ते रहेंगे। और गोदी मीडिया उन्हें लपक लेता है।
अब तकनीक बदल गए हैं हत्या करने से आसान और लाभप्रद है बैंक लूटना। लूटे जा रहे हैं मंत्री जी वही पुरानी डफली बजाए जा रहे हैं।