-सतीश चंद्र मिश्रा।।
केंद्र सरकार ने रामदेव को मनाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष की अगुआई में जो उच्चस्तरीय समिति गठित की थी उसने 23 सितम्बर को हुई अपनी बैठक में स्पष्ट कर दिया कि समिति योग गुरु के एक भी प्रमुख सुझाव पर अमल करने नहीं जा रही है। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता तथा समिति काले धन की समस्या से निपटने के लिए कोई नया कानून बनाने के भी खिलाफ है. आश्चर्यजनक रूप से अन्ना हजारे और टीम अन्ना ने इस समाचार पर गांधी जी के तीन बंदरों की तरह का रुख अपनाया। इस से पूर्व बीते 21 सितम्बर को प्रधान मंत्री को लिखे गए अपने पत्र में अन्ना हजारे ने लोकपाल पर सरकार के आश्वासन की तारीफ करते हुए लिखा था, ”भ्रष्टाचार की रोकथाम की दिशा में यह एक अच्छी पहल है।”
पहले इंदिरा फिर राजीव और अब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की प्रशंसा, विशेषकर भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के संदर्भ में, अन्ना द्वारा दिए जा रहे राजनीतिक संकेतों-संदेशों का चमकता हुआ दर्पण है. अन्ना हजारे इस से पूर्व अडवाणी की रथयात्रा, मोदी के अनशन तथा भाजपा की मंशा पर तल्ख़ तेवरों के साथ अपने तीखे प्रश्नों के जोरदार हमले कर चुके हैं.
12 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से नरेन्द्र मोदी विरोधियों के मुंह पर पड़े जोरदार थप्पड़ के तत्काल पश्चात् 13 सितम्बर को अन्ना हजारे की सक्रियता अचानक ही गतिमान हो गयी थी. IBN7 के राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत में अन्ना हजारे ने स्पष्ट किया था कि कांग्रेस यदि भ्रष्टाचार में ग्रेजुएट है तो भाजपा ने पी.एच.डी. कर रखी है. अन्ना का यह निशाना 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर साधा गया था. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त निर्णय के पश्चात् 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के भाजपा के प्रत्याशी के रूप में नरेन्द्र मोदी के उभरने की प्रबल संभावनाओं को बल मिला था. अतः अन्ना हजारे को ऎसी किसी भी सम्भावना पर प्रहार तो करना ही था.
अन्ना का यह कुटिल राजनीतिक प्रयास इतने पर ही नहीं थमा था. उसी बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी गैर कांग्रेसी-गैर भाजपा दल का समर्थन करेंगे. बातचीत में अन्ना ने मनमोहन सिंह को सीधा-साधा ईमानदार व्यक्ति बताया तथा ये भी कहा कि देश को आज इंदिरा गाँधी सरीखी “गरीब-नवाज़” नेता की आवश्यकता है. ज़रा इसके निहितार्थ समझिए एवं गंभीरता से विचार करिए कि अन्ना हजारे को यह कहते समय क्यों और कैसे यह याद नहीं रहा कि इंदिरा गाँधी ने ही दशकों पहले भ्रष्टाचार को वैश्विक चलन बताते हुए इसको कोई मुद्दा मानने से ही इनकार कर दिया था तथा भ्रष्टाचार का वह निकृष्ट इतिहास रचा था जिसकी पतित पराकाष्ठा “आपातकाल” के रूप में फलीभूत हुई थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी घोषित किया था. लेकिन अन्ना हजारे का शायद ऎसी कटु सच्चाइयों वाले कलंकित इतिहास से कोई लेनादेना नहीं है. हजारे की ऐसी घोषणाओं का सीधा अर्थ यह है कि उनके नेतृत्व में टीम अन्ना केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस गठबंधन सरकार के विरोधी मतों को देश भर में तितर-बितर कर उनकी बन्दरबांट करवाने के लिए कमर कस रही है. उसकी यह रणनीति मुख्य विपक्षी दल भाजपा को हाशिये पर पहुँचाने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करेगी. टीम अन्ना ऐसा करके किसकी राह आसान करेगी यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है. आश्चर्यजनक एवं हास्यस्पद तथ्य यह है कि यही अन्ना और उनकी टीम कुछ दिनों पहले तक देश की जनता की चुनावी अदालत का सामना करने से मुंह चुराती नज़र आ रही थी. इसके लिए यह लोग भांति-भांति के फूहड़ तर्क दे रहे थे.
यहाँ तक कि देश के मतदाताओं पर एक शराब की बोतल और कुछ रुपयों में बिक जाने का घृणित आरोप सार्वजनिक रूप से निहायत निर्लज्जता के साथ लगा रहे थे. अतः केवल कुछ दिनों में ही देश में ऐसा कौन सा महान राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन हुआ देख लिया है इस अन्ना गुट ने? जो अन्ना खुद के चुनाव लड़ने पर देश के मतदाता को केवल एक शराब की बोतल और कुछ रुपयों में बिक जाने वाला बता उसे लांक्षित-अपमानित करने का दुष्कृत्य कर अपनी जमानत तक गंवा देने की बात कर रहे थे वही अन्ना हजारे अब पूरे देश में केवल अपने सन्देश के द्वारा ईमानदार नेताओं की एक पूरी फौज तैयार कर देने का दम्भी दावा जोर-शोर से कर रहे हैं. खुद अन्ना के अनुसार जो मतदाता पिछले 64 सालों से केवल एक शराब की बोतल और कुछ रुपयों में बिकता चला आ रहा था, उसमें अचानक अनायास ऐसा हिमालयी परिवर्तन हजारे या उनकी टीम को किस आधार पर होता दिखा है ?
आगे पढ़ें.. जब अपने मंच पर चार-पांच ईमानदार नहीं जमा कर पाए अन्ना तो भ्रष्टाचार से क्या खाक लड़ेंगे?
मैं जब छोटा था तो सुना था कि सरकार ने कहा है कि जिन के पास जितना धन है सभी अपने धन का टैक्स जमां करवादेँ कोई पुछ ताछ नहीं की जाएगी अगर आज भी ये घोषणा दुबारा की जाए तो काले धन को देश मे आसानी से वापिस लाया जा सकता है जिससे देश के हालात काफी हद तक ठीक हो सकते है साथ ही कानून इतना सख्त कर दिया जाए कि उसके बाद कोई भी काले धन के साथ पकड़ा गया तो उसे खुनी से भी बड़ी सजा दी जाऐगी और उस कानून को पक्के तौर पर लागू कर दिया जाए उस कानून को तोड़ने वाला वो मंत्री हो चाहे संत्री चाहे अफ्सर हो चाहे बिजनेस मैंन चाहे बाहर देश का व्योपारी कोई भी हो तो हमारा देश अमेरिका कनेड़ा आदि देशो से भी आगे निकल जाऐगा ऐसा होने से रिश्वत खोरो का धंदा तो ठप समझो और देश और उसकी जनता जरुर सु:ख के दिन देखेगी आज हम लोग को बाहर देश जाकर काम नहीं करना पड़ेगा
बाबा रामदेव की किसी भी बात की अनदेखी करना, कांग्रेस के लिए अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात होगी |
राज्यों के चुनावी नतीजों ने सटीक रूप में बताया है की बाबा रामदेव की अनदेखी कांग्रेस को 2014 में रसातल में पहुंचा देगी
अन्ना हजारे कठपुतली है कुछ छिनालों के हाथ में / केजरीवाल, किरण बेदी , जस्टिस हेगड़े, और भूषन बंधू सिर्फ पब्लिक को दिखने के लिए रहगये है / अन्ना को कोई और ग्रुप चाबी देरहा है /
Govt Bhale hi Baba Ram deo ko kinare kar Diya ho parzntu Ram deo Dwara uthaye kale dhan ka
mudda aaj bhi aam janmanas ke jehan me kahi na kahi TIMTIMA Raha hai aur bhrtachar ka
mudda nagfash ban manmohan sarkar aur desh ki leading partiyo ke gale me ataka huwa hai
Rahi anna hajare ke aam chunaw me Youraj ke tajposhi karane ki bat to yah yadi huwa bhi
to bhratachar ka mudda gaur garam hoga tatha logo ki astha anna hazare ji jaise logo se tutega
Isliye ki am logo ki apekshyzye aanna ji se bahut thi hai aur age bhi rahegi
KOI BHI SARKAR AYE KOI BHI PM BANE BRASTACHAR SAMAPT NAHI HOGA AUR HOGA TABHI JAB
ISE hum sab bharat basi swam apne star per lagu kar samapt karege chahe wah arthik ho
chahe wah sharirik ho chahe ho wah mansik
KARTIKEY
अन्ना पर आंख बंद करके भरोसा करो बस …..इन सरकारों से तो ज्यादा फायदा होगा ही…तर्क वितर्क तो चलतेही रहेंगे ….देश की सोचो…जनता की सोचो….अन्ना इस धी
बेस्ट…..अन्ना सर्कार नहीं चलने वाले लेकिन सर्कार और जनता को सतर्क कर देंगे और …फिर उनका काम हो सकता है.
ॐ जी, अब ऐसा प्रतीत होता है ,की अन्ना महासय इतने नाम/प्रशिद्धि /अहम् में फस गए है ,सब से जुरुरी पैसा जिस से भारत की कुब्य्बस्था को सुब्याब्स्था में बदल कर गरीबी/दरिद्रता/भुखमरी को समाप्त किया जा सकता था , को भूल कर छोटे-छोटे कानूनों को कंग्रेस सरकार से पास कराकर गाँधी बन ने का सपना देख रहे है,कही ऐसा न हो ,की “माया मिली न राम “बलि कहाबत सिद्ध हो जाये ,मुझे संदेह है, अछइयो को दबाने अबम अपने-अपने निकृष्ट स्वार्थ बस कांग्रेस अबम अन्ना में समझौता हो गया है ,अगर है ,तो देश के लिए अच्छा सन्देश नहीं है |
बंदेमातरम,
जय हिंद.|