जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला छोटी मोटी बात नहीं है. हालांकि 12 तारीख को कॉलेजियम ने जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला कर दिया था लेकिन दिल्ली बार एसोसिएशन ने इस तबादले का विरोध किया था और इस विरोध के चलते जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा था. अचानक आधीरात में जस्टिस एस मुरलीधर ने मरीजों की सुरक्षा और दिल्ली दंगों में राजनेताओं की भूमिका को लेकर सुनवाई शुरू कर दी और दिल्ली में राजनेताओं के भड़काऊ बयानों वाले वीडियो न्यायालय के समक्ष चलवा कर देखने के बाद दिल्ली पुलिस को लताड़ पिलाते हुए कहा कि इन नेताओं के यह बयान सामने आने के तुरंत बाद यानि 15 दिसम्बर को ही इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई.
गौरतलब है कि ये भड़काऊ भाषण केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और एक अन्य भाजपा नेता के थे और जस्टिस एस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस इन चारों नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे.
जस्टिस एस मुरलीधर के इस आदेश के बाद भाजपा सरकार में खलबली मच गई और 26 फरवरी की आधी रात जस्टिस एस मुरलीधर के तबादला आदेश जारी कर उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का जज बना दिया गया।
इस तबादले की टाइमिंग ने देशभर में संदेश भेज दिया कि दिल्ली दंगे केंद्र की भागीदारी की चलते ही हुए. इसके बाद तो न केवल राजनीतिक क्षेत्रों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी हंगामा मच गया और चारों तरफ से भाजपानीत केंद्र सरकार की थू थू होने लगी.
फेसबुक पर कृष्ण कान्त ने पोस्ट किया है