मंत्रीपद को मिले थोड़े से जीवनदान को महिपाल मदेरणा शायद पूरी तरह भुना लेना चाहते हैं। भंवरी देवी हत्याकांड से जुड़े साक्ष्यों, सुबूतों और तथ्यों को प्रभावित करने और परिजनों को डरा-धमका कर प्रभावित करने की हर कोशिश जारी है। आशंका यह जताई जा रही है कि इस मामले का हश्र भी मदेरणा पर चले अन्य मामलों के परिणामों की तरह न हो जाए। क्या इस बात को कोई मूर्ख भी मान सकेगा कि मंत्री पद पर रहते किसी व्यक्ति के खिलाफ हत्या जैसे मामले में स्थानीय पुलिस निष्पक्ष जाँच कर सकती है?
महिपाल मदेरणा के जीवन के पुराने पन्नों को अगर खंगाला जाए तो कई जगह खून का लाल रंग नजर आता है। स्पष्ट है कि इस नेता पर किसी हत्या का इल्ज़ाम पहली बार नहीं लगा है। 1970 में हुए राजस्थान के हाई-प्रोफाइल दिलीप सिंह हत्या कांड में भी मदेरणा का नाम जोर-शोर से उछला था। बहुत कम लोगों को मालूम है कि आज खुद को पाक-साफ बताने वाले मदेरणा हत्या के उस मामले में सजा भुगत चुके हैं। लेकिन सजायाफ्ता होने के बावजूद एक अपराधी को चुनाव लड़ने का टिकट और बाद में मंत्रीपद भी मिल गया। शायद यही वजह रही कि इस नेता ने कानून को अपनी रखैल समझ लिया।
महिपाल मदेरणा राजस्थान के दबंग जाट राजनेता स्व. परसराम मदेरणा के पुत्र हैं तथा जिन्होंने अपने जीवनकाल में कई मुख्यमंत्रियों को अपनी चौखट पर सर टेकने को मजबूर कर दिया था। अपनी इसी दबंग राजनीति के चलते वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। मदेरणा परिवार आज भी जाट समाज का सबसे उंची पहुंच वाला परिवार है। अपनी रंगीन तबीयत के लिए कुख्यात मदेरणा हालांकि खुद को जाट नेता बताते हैं, लेकिन तथ्य गवाह हैं कि राजस्थान में जाटों का राजनीतिक वर्चस्व कम करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम कहीं दबी जुबान में तो कहीं खुलकर लिया जाता है। भंवरी देवी मामले को लेकर गहलोत को आलाकमान के दरबार में भी पेश होना पड़ा, लेकिन नतीज़ा कुछ नहीं निकला। प्रदेश के विपक्षी दल एवं कई सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा भी मांग चुके हैं, लेकिन गहलौत खामोश हैं।
अशोक गहलोत की घाघ राजनीति को जानने समझने वाले पत्रकार उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथप्रताप सिंह से करते हैं। कांग्रेस पर नजर रखने वाले पत्रकारों का कहना है कि शायद गहलोत भी यह समझ चुके हैं कि अगर मदेरणा को अभी इस्तीफा दिलवा दिया तो विपक्ष के निशाने पर वे खुद आ जाएंगे। जानकार ये भी कह रहे हैं कि अगर हंगामा बढ़ेगा तो गहलोत अपने दागी मंत्री को इस्तीफा दिलवा कर मामले को शांत करने की रणनीति पर चल रहे हैं, लेकिन इस खींच-तान में कानून, सुबूत और सरकार की (बची-खुची?) प्रतिष्ठा से किस कदर खिलवाड़ हो रहा है इसका अंदाजा शायद उन्हें भी नहीं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को बचाने के चक्कर में भंवरी देवी हत्याकांड के आरोपी मंत्री महिपाल मदेरणा से इस्तीफ़ा मांगने से बच रहें हैं। वे जानते हैं कि अभी महिपाल मदेरणा से मंत्रीपद छीन लेना उनका मुख्यमंत्री पद छीन लेगा मगर वे शायद भूल रहें हैं कि हत्या के आरोप के बावजूद अपने सहयोगी को मंत्री पद पर बने रहने देने से खुद उनकी राजनीति का मटियामेट हो सकता है। जानकार तो यहाँ तक कह रहे हैं कि महिपाल मदेरणा को बचाने के चक्कर में भंवरी देवी के पति को ही इस मामले में उलझाया जा सकता है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत हत्या के आरोपी मंत्री को सींखचों के पीछे भेजेंगे या अपनी राजनीति चौपट करेंगे।
अजी यह तो कुछ नहीं है , आगरा में तो एक विधायक की सेक्स सी. डी. बन भी चुकी है, इंतज़ार है तो उसे सेंसर करने का,
कुछ चेनल वालों से बात चल रही है, यदि बात बन गई तो जल्द ही वो बी. जे. पी. विधायक का काला सच सबके सामने आ जायेगा…..
किसी भी जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं………
maine abhi abhi ap ka ek alekh dekha jisame rajsthan ke c m ne bhawari devi ke hatyare ko
khula chor diye hai apne pad ko bacha ne ke liye Yh kewal raj sthan ki bat nahi
apitu pur rajya ki bat hai aye din koi na koi incident is tarah ke hote rahate hai
aur yah tabhi samapt hoga jab desh me ek revoluation Sobiyat Rush jaisa hogz jab janata
in raj netawo se hisab legi
Kartikey
सच तो ये है कि दोनों लोग ही गोली मार देने लायक हैं ,एक तरफ नेता जी रासलीला के आदि,दूसरी तरफ एक मामूली सी नर्स के इतने शानो शौकत घर,गाड़ी सब कुछ मात्र ८००० के आस पास की तनख्वाह में कहाँ से संभव है |