दिल्ली के गार्गी कॉलेज के वार्षिक समारोह में छात्राओं के साथ कुछ बाहरी लोगों द्वारा की गई अश्लील हरकतों के कारण देशभर में हंगामा मच गया है और सोशल मीडिया के यूजर्स इस मसले पर काफी क्रोधित नज़र आ रहे हैं.
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संस्कृतिकर्मी अजित साहनी ने अपनी वाल पर पोस्ट लिखी है कि ” राष्ट्रीय नारा बन चुका , जय श्री राम !
इन्होंने साबित किया कि ये किसी से भेदभाव नहीं करते , न जाति न मजहब , सब बराबर हैं –
कंधमाल में ईसाई थी
नरौदा पाटिया में मुस्लिम
गार्गी कॉलेज में हिन्दू
जय श्री राम से कोई न बच पाएगा
सबका नंबर आएगा भई सबका नंबर आएगा । ”
वहीँ वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र पीएस ने लिखा है कि
सुनो बे आरएसएस बीजेपी की सत्ता के लंपट विरोधियों…
जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाकर दिल्ली विश्वविद्यालय की लड़कियों के स्तन दबाए जाने, उनको नोचने, उनके कपड़े में हाथ डाले जाने, उन्हें गालियां दिए जाने, उनके शौचालयों में घुस जाने और उनके सामने नँगे होकर मुठ मारने की घटना के खिलाफ मैं हर हाल में हूं। वह लड़कियां और उनके परिवार वाले भाजपा के वोटर और नरेंद्र मोदी के भक्त रहे हों, तब भी।
अभी तो कुछ लड़कियां यह सब बता रही हैं। बहुत तेजी से यह पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं किसी लड़की के साथ बलात्कार तो नहीं हुआ है जिसके संघी घरवाले उसे कोस रहे हों कि तू विद्यालय के वार्षिकोत्सव में गई ही क्यों थी और वह लड़की आत्महत्या करने की तैयारी में हो।
यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं ये गुंडे किसी लड़की को उठा तो नहीं ले गए हैं जिसके साथ ये सामूहिक बलात्कार कर रहे हों या योनि में रॉड घुसाकर मार डाला हो और उसकी लाश किसी नाले में पड़ी सड़ रही हो।
एक अन्य फेसबुक यूजर दीबा नियाजी ने लिखा है कि ” मैं तो हमेशा से कहती रही हूं कि धर्म पर आधारित सत्ता सबसे ज़्यादा स्त्री विरोधी होगी,सबसे ज़्यादा नुकसान औरतों का करेगी
गार्गी कॉलेज में धार्मिक नारे लगा कर लड़कियों के साथ सामूहिक छेड़छाड़ इसका प्रमाण है! “
राजनैतिक एक्टिविस्ट सदफ जफ़र ने लिखा है कि:
गार्गी कॉलेज की फाइन आर्ट्स सोसाइटी द्वारा रंगी दीवार है। ये आवाज़ उठा रही है अन्याय के ख़िलाफ़। शांतिपूर्ण प्रदर्शन की आज़ादी के लिए, अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए, जाती-धर्म के परे समतावादी समाज के लिए।
उस कॉलेज के फेस्ट में अधेड़ लोगों का घुसकर बेहूदा व्यवहार करना शर्मसार करता है। किसी धर्म विशेष के नारे लगाना बताना है कि किस तरह धर्म का इस्तेमाल किया जाता है औरतों पर पितृसत्ता की छाप लगाने के लिए ये सिर्फ़ भारत में नहीं दुनिया भर में हो रहा है। ISIS ने भी यही किया। फ़र्क़ इतन है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ न नारा नहीं देते वो।
अब तो लिहाज़ के पर्दे हट चुके हैं कहो कि आप महिला विरोधी हैं।
महिलाएं जो खामोश हैं इस जुर्म में बराबर से शरीक़ हैं। गार्गी कॉलेज की लड़कियों के लिए इंटेलेक्चुअल कंसर्न से नहीं महिला होने के नाते मैं साथ खड़ी हूँ। ठीक उसी तरह जैसे गुंजा या अंजना ओम कश्यप के लिए यौनिक व्यंग करने वालों को बॉयकॉट किया था।
तो गार्गी कॉलेज का यह हादसा आज ट्विटर पर भी नम्बर 2 पर ट्रेंड कर रहा है.
आशीष नाम के यूजर ने गार्गी कॉलेज की एक छात्रा को कहे गए इस कथ्य पर कि “इसी वजह से मैं फेस्ट ऑर्गनाइज करना पसंद नहीं करती। तुम्हीं लोगों को फेस्ट चाहिए होते हैं।” नाराजगी जाहिर की है.
Wanted to stay away from Twitter for a while, but these incidents make my blood boil… Shattering incident at #GargiCollege This principal should be sacked. And our cops act only when there is a protest? pic.twitter.com/PkChOdWz7A
— Ashish (@AshishXL) February 10, 2020