-अजय यादव।।
मौजूदा सरकार ने सिविल सर्विसेज़ को ख़त्म करने की दिशा में क़दम बढाना शुरू कर दिया है। UPSC के अंतर्गत रेलवे की तीन सिविल सर्विसेज़- IRTS, IRPS और IRAS को समाप्त करने की तैयारी सरकार कर बैठी है। इन तीन सेवाओं के साथ ही इंजीनियरिंग सर्विस इग्ज़ैम के तहत आने वाली पाँच सेवाओं, IRSE, IRSSE, IRSEE, IRSME & IRSS को समाप्त कर/ मर्ज कर एक सर्विस बनाई जा रही है- IRMS (Indian Railway Management Service).
इससे रेलवे के अंदर जो चेक & बैलेंस था, वह ध्वस्त होगा और निजी हाथों में रेलवे को बेचने में सहुलियत होगी। अब सबको आइएमएस (इंडियन मैनेजमेंट सर्विस) के तहत किया जाएगा। और, जो मौजूदा सेवारत अधिकारी हैं जो युपीएससी के ज़रिए आये हैं, कई चावॉयसेज़ छोड़ कर रेलवे की इन तीन सर्विसेज़ में से किसी एक को प्रेफरेंस देकर चुना है, उनके साथ तो अन्याय ही होगा जिन्हें इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस वालों की कतार में खड़ा कर दिया जाएगा।
अब कोई बताए कि किसी भी विभाग में विशेषज्ञता में विविधता के बगैर एफिसिएंशी कहाँ से ले आओगे? इंजीनियरिंग सर्विस वालों से एकाउंटेंसी, ट्रैफिक व पर्सोनेल का काम लोगे, तो फिर बन गए विश्वगुरु!
क्लैश कम करने के नाम पर इन सर्विसेज़ को खत्म कर रहे हो। ये कौन-सी दूरदर्शिता है सरकारबहादुर? करना क्या चाहते हो, भाई?
किसी भी पुराने व जनहित को सयर्पित रहे सोलह आना ईमान वाले रेल मंत्री से पूछ लो। रेलवे को घाटे से उबार कर लगातार 5 साल तक अभूतपूर्व मुनाफा देने वाले लालू जी तो कतई इसके लिए तैयार नहीं होते। दिनेश त्रिवेदी बिल्कुल खिलाफ़ हैं इसके। एक तो पहले ही रेलवे बजट को युनियन बजट में मर्ज करके लेलहपनी का परिचय यह सरकार दे चुकी है।
जन यातायात के सबसे बड़े माध्यम रेलवे को बर्बाद करने पर आज के हुक्मरां आमादा हैं।
शुरुआत रेलवे सर्विसेज़ से हुई है। युपीएससी के ज़रिए जो बाक़ी सेवाओं के लिए चयनित होते हैं, एक-एक कर सब पर सरकार की गिद्धदृष्टि है।
लैटेरल एंट्री के ज़रिए 10 ज्वाइंट सेक्रेटरी का रिक्रुटमेंट जो गुज़िश्ता साल हुआ, उसमें संविधानसम्मत आरक्षण के प्रावधान की कोई अनिवार्यता नहीं बरती गई। तो खेल बड़ा गहरा है।
आगे कोई जनसाधारण एक्सप्रेस, सप्तक्रांति एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस,जनसंपर्क एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, जनसेवा एक्सप्रेस, ग़रीब रथ, देखने को नहीं मिलेगा।
जलवा होगा तेजस एक्सप्रेसों का, जिसमें कर्मचारियों, ड्राइवरों, गार्डों, स्टेशन मास्टरों, आदि की नियुक्ति का विज्ञापन किसी रोज़गार समाचार में नहीं होगा। यही है न्यू इंडिया!
तो, धनपशुओं पर मेहरबान शासन-सत्ता का प्रतिरोध कीजिए, नहीं तो कुछ भी नहीं बचेगा।
आज अगर ख़ामोश रहे
तो कल सन्नाटा छा जाएगा।