-नवीन शर्मा||
अभिनेता सलमान खान को काले हिरण के शिकार के मामले में पांच साल की कैद और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई है। यह फैसला घटना के बीस वर्ष बाद आया है। इतने वर्षों बाद आया यह फैसला हमारी न्यायिक व्यवस्था की विसंगतियों की ओर भी इशारा करता है। वहीं कुछ वर्ष पूर्व मुंबई के बहुचर्चित हिट एंड रन मामले में बोम्बे हाईकोर्ट ने दोष साबित नहीं होने का हवाला देते हुए सलमान खान को बरी कर दिया था।लेकिन इस मामले में भी सलमान अगर अपने दिल पर हाथ रखकर पूछे तो खुद को निर्दोष नहीं कह पाएंगे।
हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश महोदय को कानून की ज्यादा जानकारी होगी इसलिए शायद उन्होंने सेशन कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें सलमान गैर इरादतन हत्या के दोषी ठहराए गए थे। सलमान खान का परिवार, उनके दोस्त, परिचित इससे खुश हो रहे होंगे। उनके फैंन्स तो नाच गा भी रहे थे लेकिन मुझे आज भी ये लगता है कि इन्साफ पसंद लोग इस फैसले से निराश हुए होंगे।
सलमान खान की गाड़ी ने फुटपाथ पर सो रहे लोगों को कुचला था। इस सच्चाई को तो आप झुठला नहीं सकते। इसमें एक व्यक्ति नुरुल्ला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था ये भी एक कड़वी सच्चाई है। इस गैर इरादतन हत्या के दोषी को निश्चित ही सजा होनी ही चाहिए थी। खासकर जब गंभीर आरोप किसी बड़े आदमी पर लगता है और पीड़ित पक्ष अगर गरीब और असहाय है तो ऐसे मामले में न्यायाधीश महोदय पर लोगों की उम्मीदें कुछ ज्यादा हो जाती है। प्रबुद्ध वर्ग भी चाहता है कि ऐसे मामले में दोषी को सजा मिले ताकि समाज के सामने ये उदाहरण पेश किया जा सके कि कानून की नजर में सब बराबर हैं। गुनाह करनेवाला अगर पहुंचवाला, पैसेवाला, नामवाला है तो भी न्याय को प्रभावित नहीं कर सकता लेकिन दुर्भाग्य से ऐसे मौके कम आते हैं।
दिल्ली के मशहूर जेसिका हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए भी जेसिका के परिवार को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके अलावा उसे न्याय दिलाने के लिए दिल्ली में एक जोरदार अभियान भी चलाया गया था। देश के अन्य हिस्सों में भी उसको समर्थन मिला था। काफी जद्दोजहद के बाद दोषी को सजा हुई थी।
मुझे लगता है कि सलमान का मामला भी कुछ-कुछ ऐसा ही है। लेकिन दुर्भाग्य से दुर्घटना में मारे गए नुरूल्ला का परिवार काफी गरीब और कम पढ़ा लिखा था। इसके साथ ही उसके परिवार में जेसिका को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करनेवाले जज्बेवाला शायद कोई शख्स नहीं है। ऐसे हालत में मुझे लगता है कि न्यायपसंद लोगों को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए। या फिर बोम्बे हाईकोर्ट की ही बड़ी बेंच में इसकी फिर से सुनवाई कराने का प्रयास होना चाहिए।
इस मामले में अभियोजन की वकील ने फैसले के बाद कहा कि कोर्ट ने सलमान के सरकारी अंगरक्षक के मृत्यु पूर्व दिये गए उस बयान को एकदम से नकार दिया जिसमें उसने कहा था कि दुर्धटना के वक्त गाड़ी सलमान चला रहे थे। उस रिपोर्ट को भी दरकिनार किया है जिसमें सलमान के शराब के नशे में होनी की पुष्टि की गई थी।
यहां मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सलमान खान से मेरी कोई व्यक्तिगत खुंदक नहीं है। बस चाहता था कि न्याय हो। न्यापालिका का सम्मान बना रहे।