-बब्बन सिंह॥
आखिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संघ के एजेंडे के तहत मराठाओं को आरक्षण देने की दिशा में कदम बढ़ा ही दिया है। मीडिया की आज शाम की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री फडणवीस ने आज राज्य विधानसभा में कहा कि मराठा आरक्षण की मांग को बैकवर्ड क्लास कमीशन को रेफर कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि सरकार कमीशन से निवेदन करेगी कि वह तेजी से काम करे और अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा करे।
लेकिन मुख्यमंत्री की आज की घोषणा का बड़ा हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में मराठा समुदाय के बच्चों को ओबीसी छात्रों की तरह सभी तरह की सिविधाओं को देने की है। फिलहाल ओबीसी छात्रों को 605 स्ट्रीम्स में छूट मिलती है जो अब मराठा समुदाय को भी मिलेगी। साथ ही यह भी घोषणा की गई है कि हर जिले में मराठा छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाएगा जिसके लिए हरेक जिले को 5 करोड़ का फंड मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि गए साल अहमदानगर जिले के कोपर्डी गांव में 14 वर्षीय एक मराठा लड़की से हुए गैंग रेप के बाद से ही मराठा आंदोलन में तेजी आ गई थी। ज्ञात हो कि इस गैंग रेप के लिए दलित समुदाय के लोगों पर आरोप दर्ज हैं। आज विधान सभा में मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस बारे में बताया कि कोपड़ीं गैंग रेप मामले को तेजी से निस्तारित किया जा रहा है। मराठा समुदाय दलित उत्पीड़न रोकथाम कानून में भी भी बदलाव की मांग कर रहा है क्योंकि उसका आरोप है कि इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है।
वैसे मुख्यमंत्री की की घोषणा को मराठा समुदाय द्वारा मुम्बई के भायखला जू से आजाद मैदान तक हजारों-लाखों की संख्या में आज के शांतिपूर्ण प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस प्रदर्शन के आयोजक मराठा क्रांति मोर्चा ने इस मार्च में प्रदेश भर से 6 लाख मराठाओं के शामिल होने का दावा किया है। पिछले साल सितंबर से अबतक महाराष्ट के तमाम जिलों में मराठा समुदाय के लोगों ने सौ से अधिक प्रदर्शन किया है जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया।
कौन हैं मराठा
महाराष्ट्र की आबादी में 32 फीसदी हिस्सेदारी वाले मराठा समुदाय ने आजादी के बाद से ही सियासत पर अपना कब्जा रखा है। महाराष्ट्र राज्य के गठन के बाद 2012 तक बने 16 मुख्यमंत्रियों में से 10 इसी समुदाय से आते हैं। इसी तरह राज्य के मंत्रिमंडल सहित एक बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारी इस वर्ग के हैं। स्थानीय निगमों और पंचायतों पर भी इस समुदाय का वर्चस्व देखा जा सकता है। इस समुदाय के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर भारत के उल्ट क्षत्रिय जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले इस समुदाय में यादव, कुंर्मी और अन्य कई पिछड़ी जातियां समाहित हैं जिन्हें कतई पिछड़ा नहीं कहा जा सकता। कुल 96 उपजातियों से बनी इस समुदाय का शिवाजी महाराज के जमाने से भी पूर्व काल से राज और अर्थव्यस्था पर कब्जा रहा है। मूलतः मुग़लों के मुकाबले से समाज में उभरी ये जातियां आजादी के बाद से महाराष्ट्र के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से राज्य करती रही हैं। मुख्यतः कांग्रेस समर्थक इस समुदाय ने 1995 तक सीधे-सीधे राज्य किया और केशवराज जेथे से लेकर यशवंतराव चव्हाण, शंकर राव चव्हाण, विलाश राव देशमुख, और शरद पवार जैसे लोकप्रिय नेताओं को सत्ता का स्वाद चखाया। यहां तक कि शिव सेना और भाजपा के उभार के बावजूद इनकी शक्ति में ज्यादा कमी नहीं देखी गई। 1980 के बाद इस समुदाय ने राज्य भर में बड़े पैमाने पर निजी शैक्षणिक संस्थानों का जाल बिछाया। पर ब्राह्मण व दलितों के साथ दो-दो हाथ करने वाले इस समुदाय को अब लग रहा कि सत्ता पर उनकी पकड़ ढीली हो रही इसलिए वे गए कई सालों से अपना शक्ति-पर्दशन करने में लगी थी। गए साल की घटना ने इसमें आग में घी का काम किया। संख्या बल में उनकी मजबूती से संघ इसको भाजपा का विरोधी नहीं होने देना चाहती बल्कि आरक्षण का लाभ दे उन्हें भाजपा के झोली में लाना चाहती है। ताजा कदम इसी शृंखला की एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए।