प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार श्री ओम थानवी की पुस्तक ’मुअनजोदड़ो’ को वर्ष 2014 के बिहारी पुरस्कार के लिए चुना गया है। के.के. बिरला फाउंडेशन के कार्यकलापों के अन्तर्गत डॉ. कृष्ण कुमार बिरला ने 1991 में बिहारी पुरस्कार की शुरूआत की। पुरस्कृत कृति ’मुअनजोदड़ो’ एक ऐसा यात्रा-वृ्त्तांत है जो सामान्य यात्रा-वृत्तांतों से एकदम अलग है। यह पुस्तक किसी एक यात्रा का विवरण भर नहीं है वरन् इसमें यात्रा के क्षणों में उपजी अनंत जिज्ञासाओं के साथ-साथ एक बौद्धिक यात्रा भी समानांतर चलती रहती है। लेखक अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान मुअनजोदड़ो की यात्रा पर जाता है क्योंकि यह यात्रा उसके लिए एक तीर्थयात्रा के समान है। अपनी सभ्यता के सबसे बड़े तीर्थ की यात्रा जिससे जुड़े अनेक भारतीय और पा”चात्य विचारकों द्वारा प्रस्तुत मिथक उसे जहां एक ओर रहस्यमय बनाते हैं तो दूसरी ओर आकर्’ाक भी। ऐसे कम लेखक होते हैं जो अपनी पहली कृति से पहचान बना लेते हैं। ’मुअनजोदड़ो ’ ऐसी ही कृति साबित हुई है। यों यह भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीकों में एक मुअनजोदड़ो का यात्रा वृत्तांत है। जिसका आधार मुअनजोदड़ो एवं हड़प्पा सभ्यता पर लेखक का विशद अध्ययन है। यह अध्ययन स्वरूचि का होने के नाते पुस्तक को बोझिल नहीं बनाता और एक रोचक वृत्तांत के समानान्तर मुअनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता की खूबियों, गुत्थियों, वास्तुकला और नगर नियोजन की उपलब्धियों, अध्येताओं के आग्रहों-दुराग्रहों, रहस्यमय लिपि की चित्रात्मकता और कलारूपों के संदेशों को भी साथ ही साथ पिरोता चलता है। सहज-सरस भाषा और अनूठी वर्णन शैली इस पुस्तक को विशिष्ट बनाती है।
ओम थानवी का जन्म 1 अगस्त 1957 में राजस्थान के जिला जोधपुर के फलोदी कस्बे में हुआ। पत्रकारिता में आने से पहले रंगमंच की गतिविधियों में संलग्न रहे। 1980 में राजस्थान पत्रिका समूह से जुड़े। ’साप्ताहिक इतवारी पत्रिका’ का संपादन किया। 1989 में राष्ट्रीय दैनिक ’जनसत्ता’ से जुड़े। राजनीतिक घटनाक्रम पर टीवी समालोचक रूप में भी उन्होंने पहचान बनाई है। साहित्य, कला, नाट्य सिनेमा, पर्यावरण और भाषा आदि में गहरी रूचि रखते हैं, उन पर लिखते हैं। आजकल आप दिल्ली से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार ’जनसत्ता’ के कार्यकारी संपादक हैं। अपनी इस पुस्तक मुअनजोदड़ो के अतिरिक्त उन्होंने जाने-माने विद्वान सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ’अज्ञेय’ पर संस्मरणों की पुस्तक ’अपने अपने अज्ञेय’ का संपादन भी किया है।
बिहारी पुरस्कार के चयन का उत्तरदायित्व एक निर्णायक समिति का है जो कि बिहारी पुरस्कार नियमावली के अनुसार कार्य करती है। जिसके अध्यक्ष श्री नंद भारद्वाज हैं, उनके अतिरिक्त इस समिति के अन्य सदस्य – श्री गिरधर राठी, प्रो. माधव हाड़ा, श्री हेमन्त शेष, डॉ. लता शर्मा तथा फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण (सदस्य-सचिव) हैं। इस समिति के अध्यक्ष फाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती शोभना भरतिया द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।