-अभिरंजन कुमार||
मैं सारे पादरियों-पंडितों-मौलवियों से पूछना चाहता हूं कि किसी को लोभ-लालच देकर अथवा ज़ोर-ज़बर्दस्ती करके धर्म में शामिल कराना हो तो तुम्हारी जवानी जाग उठती है, लेकिन जो लोग तुम्हारे धर्मों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं, बमों-बारूदों से इंसानियत के परखच्चे उड़ा रहे हैं, दुनिया भर में बेगुनाहों की हत्याएं कर रहे हैं, उन्हें धर्म से बाहर का रास्ता दिखाने में तुम्हारी नानी क्यों मर जाती है?
पाकिस्तान में सैकड़ों मासूम बच्चों की हत्या करने वाले आतंकवादी क्या इस्लाम का अनुसरण कर रहे हैं? क्या कोई धर्म मासूम बच्चों की हत्याएं करने, स्कूलों को तबाह करने की इजाज़त दे सकता है? अगर नहीं, तो क्यों नहीं दुनिया भर के मुसलमान एक सुर में ऐसे पापियों और हैवानों को इस्लाम से बाहर करने और उनके किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने अथवा किसी भी धार्मिक फोरम पर उनकी उपस्थिति को रोकने का एलान करते हैं?
ग़रीबों को लोभ-लालच देकर और मजबूरों पर ज़ोर-ज़बर्दस्ती करके उन्हें धर्म में शामिल कराने की घटनाएं तो आए दिन होती रहती हैं, लेकिन आज तक मैंने नहीं सुना कि हिन्दुओं ने, मुसलमानों ने, ईसाइयों ने- किसी ने भी अपनी-अपनी कौम के हैवानों, हत्यारों, पापियों, आतंकवादियों को धर्म से बाहर का रास्ता दिखाकर धर्म के तमाम अनुष्ठानों और मंचों पर उनके प्रवेश और उपस्थिति पर पाबंदी लगा दी हो. मैं पूछना चाहता हूं कि ऐसे वक़्त में सारे फतवा-बहादुरों की फ़ौज चूहे के किन बिलों में घुस जाती है?
ओसामा बिन लादेन मुसलमान था या शैतान था? बगदादी और हाफिज सईद जैसे लोग इस्लाम की इज़्ज़त बढ़ा रहे हैं या इसकी नाक कटाने वाले नालायक कमीने हैं? ISIS, तहरीक ए तालिबान, लश्कर ए तैयबा जैसे राक्षसी संगठनों से किस धर्म की ध्वजा फहरा सकती है?
कट्टर… दकियानूसी… पुरातनपंथी… अनपढ़… अवैज्ञानिक… राक्षस… पापी… हैवान कहीं के! मासूम बच्चों की हत्याएं करते हो? डूब मरो. चुल्लू भर पानी में. तुम्हें जन्नत में हूरें मिलेंगी? अभागो… पापियों… हैवानो… कमीनो… हर जनम में तुम्हें जहन्नुम की सबसे गंदी नालियों के सबसे बजबजाते हुए कीड़े नसीब होंगे. तुम लोग किसी भी धर्म में, समाज में, देश में, दुनिया में रहने के लिए डिज़र्व नहीं करते हो.
बच्चों को धर्म से बाहर ही रखो