मोदी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन रखने वाले भारतीय खातेदारों के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता. सरकार का कहना है कि खाताधारकों का नाम सार्वजनिक करना संबंधित देशों के साथ दोहरे कराधान से बचने के लिए किए गए समझौते का उल्लंघन होगा.
इन संधियों के मुताबिक सदस्य देश उन खातेदारों के नाम का खुलासा नहीं कर सकते, जिनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है. केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की पीठ के समक्ष दाखिल अपनी अर्जी में ये बातें कहीं.
सुप्रीम कोर्ट आदेश वापस ले: पिछले दिनों कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह उन लोगों के नाम बताए जिनके खाते स्विस बैंकों में हैं. इसी आदेश को वापस करवाने के लिए सरकार कोर्ट आई है.
जेठमलानी का विरोध
याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने इस अर्जी का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उन लोगों को बचाना चाहती है जिन्होंने विदेशों में काला धन जमा कर रखा है. सुप्रीम कोर्ट केंद्र की अर्जी पर 28 को सुनवाई करेगा.
इसलिए पेच फंसा
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जर्मन सरकार ने जर्मनी के लींचेंस्टाइन बैंक के खातेदारों के नाम का खुलासा करने का कड़ा विरोध किया है. सरकार दिसंबर में कई अन्य देशों से इस तरह की दोहरी कर बचाव संधि करने जा रही है. यदि ऐसे लोगों के नाम का खुलासा किया गया जिन पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है तो सरकार के वे विदेशी स्रोत खत्म हो जाएंगे जो विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन की सूचना देते हैं.
बिना दूरदर्शिता के किये गए समझोते अब सरकार के गले की हड्डियां बन रहे हैं, यह तो पहले ही स्पष्ट था कि इस प्रकाार के धन के लिए कोर्ट में चुनौती दी जाएगी,जनता भी इन काले धन वालों के नाम पूछेगी, लेकिन नेताओं के स्वयं के वहां धन होने के कारण ऐसे गलत समझोते किये गए , कांग्रेस खुद इतने साल में रही, इसके नेताओं के पास ही सबसे ज्यादा कला धन भी है इसलिए जानबूझ कर ऐसा समझोता किया हो, भी इंकार नहीं किया जा सकता
बिना दूरदर्शिता के किये गए समझोते अब सरकार के गले की हड्डियां बन रहे हैं, यह तो पहले ही स्पष्ट था कि इस प्रकाार के धन के लिए कोर्ट में चुनौती दी जाएगी,जनता भी इन काले धन वालों के नाम पूछेगी, लेकिन नेताओं के स्वयं के वहां धन होने के कारण ऐसे गलत समझोते किये गए , कांग्रेस खुद इतने साल में रही, इसके नेताओं के पास ही सबसे ज्यादा कला धन भी है इसलिए जानबूझ कर ऐसा समझोता किया हो, भी इंकार नहीं किया जा सकता
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