–जग मोहन ठाकन ||
राजस्थान के जिला चूरू की तहसील राजगढ़ का एक ऐसा गाँव आज भी आबाद है जो हजारों वर्ष पूर्व एक बहन के शाप से पत्थर हो गया था.तहसील मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर दूर बसा यह गाँव रेजड़ी पुराने शापित गाँव से एक किलोमीटर की दूरी पर वर्तमान में भी विद्यमान है.
पहाड़ी की शक्ल में उजड़ा हुआ यह शापित गाँव आज भी बहन के शाप का कलंक लिए यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को अपनी कहानी सुना रहा है. शाप की यह कहानी आस पास के गांवों के निवासियों को भी उतनी ही याद है जितनी रेजड़ी के निवासियों को. प्राचीन शिवालय के लिए प्रसिद्ध गाँव धानोठी छोटी के पूर्व सैनिक चाननमल ने बताया कि हजारों वर्ष पूर्व रेजड़ी गाँव की एक विवाहित लड़की ने अपने पुत्र जन्म के समय ‘जापा’ (डिलीवरी) के लिए अपने भाई से शुद्ध देशी घी मंगवाया था और अपनी सास द्वारा जमा किये घी को खाने से इनकार कर दिया . भाई द्वारा लाये गए घी के झाकरे (घी रखने का मिटटी का एक बर्तन) को खोलकर जब घी निकाला गया तो बहन व उसकी सास यह देख कर दंग रह गयी कि झाकरे में ऊपरी भाग में तो ठीक घी है परन्तु नीचे गोबर भरा हुआ है. बहन अपने पीहर द्वारा किये गए इतने बड़े विश्वासघात को सहन नहीं कर पाई और वहीँ बैठे अपने भाई के सामने ही शाप दे दिया कि सारा रेजड़ी गाँव पत्थर हो जाये. माना जाता है कि तभी रेजड़ी गाँव में उपस्थित जो जहाँ था वहीँ पत्थर हो गया. आज भी उजड़े रेजड़ी गाँव के स्थल पर पत्थरों में लोग पुराने गोबर के बिटोड़ो को पत्थर की शक्ल में देखकर दंग रह जातें हैं. भारी भरकम पत्थर की शिलाओं में कहीं किसी पशु की शक्ल परिलक्षित होती है कहीं किसी पुरुष व स्त्री की.
शापित पहाड़ी क्षेत्र में आज भी देवी माता रेजड़ी का पूजा स्थल है. लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा किये गए विस्फोटों के कारण अधिकतर आकृतियाँ अपना मूल स्वरुप खो चुकी हैं. शापित रेजड़ी गाँव की इस किवदंती का रहस्य तो अभी भी रहस्य ही बना हुआ है परन्तु हजारों वर्ष पूर्व दिए गए इस शाप से आज भी आस पास के लोग इतने कुपित हैं कि कोई भी व्यक्ति इस पहाड़ी क्षेत्र से कोई पत्थर का टुकड़ा तक अपने घर नहीं ले जाता.