फर्जी ग्राम सभा पर एफआईआर दर्ज नहीं करने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सिंगरौली एसपी को दिया आदेश
6 मार्च 2013 को हुये फर्जी ग्राम सभा मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक, सिंगरौली की खिंचाई की। महान संघर्ष समिति के सदस्य और ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने एसपी सिंगरौली को सात दिन के भीतर जांच करवाने का आदेश दिया है और ३० दिनो के भीतर नतीजा बताने को कहा है।
महान संघर्ष समिति के सदस्यों ने आज खुद एसपी को जाकर न्यायालय की आदेश कॉपी सौपी, जिससे आदेश सही आदमी तक पहुंच सके।
प्रिया पिल्लई ने कहा कि पुलिस कप्तान को सात दिनों के भीतर मामले की प्राथमिक जांच करवानी है। अगर जांच में संज्ञेय अपराध का पता चलता है तो माड़ा थाना प्रभारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और आवश्यक कार्रवायी भी होनी चाहिेए, जिन्होंने लगातार कोशिश के बावजूद एफआईआर दर्ज करने से इन्कार किया। अगर किसी तरह के अपराध का पता जांच में नहीं चलता है तो हमें 30 दिनो के भीतर लिखित में जबाव देना चाहिेए।
कोर्ट के इस आदेश से अपने जंगल पर अधिकार के लिए लड़ रहे ग्रामीणों के बीच उम्मीद की किरण जगी है। पिल्लई ने आगे कहा कि जबलपुर हाईकोर्ट का यह आदेश एस्सार द्वारा प्रस्तावित कोयला खदान के लिए बड़ा झटका है। अगर एफआईआर दर्ज किया जाता है तो इसका मतलब होगा कि एक नयी ग्राम सभा का आयोजन जो महान में खनन के भविष्य का निर्णय लेगी।
ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव सवालों के घेरे में है। इसी के आधार पर महान जंगल में खनन को हरी झंडी दी गयी थी। 6 मार्च 2013 को अमिलिया में विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया था जिसमें जंगल में खनन को हरी झंडी दी गयी थी। उक्त ग्राम सभा में 182 लोगों ने हिस्सा लिया था लेकिन आरटीआई से निकाले गए प्रस्ताव की कॉ
पी में 1125 लोगों का हस्ताक्षर है। ग्रामीणों के पास इस बात का सबूत है कि इस प्रस्ताव में ज्यादातर लोगों का हस्ताक्षर फर्जी है। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो सालों पहले मर चुके हैं। 12 फरवरी 2014 को विरप्पा मोईली के नेतृ्त्व वाले पर्यावरण मंत्रालय ने दूसरे चरण की मंजूरी दी थी। इसके खिलाफ महान संघर्ष समिति ने शांतिपूर्वक तरीके से वन सत्याग्रह शुरू कर दिया है।
महान संघर्ष समिति के सदस्य हीरामणि सिंग गोंड ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से हम इस केस में एफआईआर करवाने के लिए प्रयासरत हैं। इस फर्जी ग्राम सभा के आधार पर ही एस्सार के अधिकारी हमारे जंगल में प्रवेश कर पा रहे हैं और हमारे पेड़ों की मार्किंग कर रहे हैं। जबतक इस फर्जी प्रस्ताव पर जांच नहीं हो जाता तबतक इन सब चीजों को रोकना चाहिए।
इससे पहले सिंगरौली के जिला कलेक्टर ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि अगर 6 मार्च वाले ग्राम सभा में कोई गड़बड़ी पायी गई तो वे वनाधिकार कानून को लेकर नया ग्राम सभा आयोजित करवायेंगे। प्रिया ने सवाल उठाया कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी हमें किसी भी तरह के करवाई की सूचना नहीं है।
प्रिया पिल्लई ने बताया कि सीविल सोसाईटी के सदस्यों जैसे आशीष कोठारी और रमेश अगरवाल ने जनजातीय मामलों के मंत्री और सिंगरौली के जिला कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर वनाधिकार लागू करने तथा निष्पक्ष ग्राम सभा आयोजित करवाने की मांग किया है।
ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि वो जबलपुर हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत करती है और मांग करती है कि स्थानीय पुलिस मामले पर एफआईआर दर्ज करके निष्पक्ष जांच करवाये।