ऑइल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऑइल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) ने सरकार के सामने शिकायत रखी है कि उसके अविकसित खनन क्षेत्र से प्राकृतिक गैस निकालने की कोशिश में रिलायंस इंडस्ट्रीज सहयोग नहीं कर रही है. इसके पहले ऑइल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) ने रिलायंस पर आरोप लगाया था कि रिलायंस ने उसके खनन क्षेत्र में से लगभग तीस हज़ार करोड़ की गैस बिना इजाज़त उपयोग किया है. ओएनजीसी ने शिकायत की है कि रिलांयस पब्लिक सेक्टर के ब्लॉक केजी डी-6 में हस्तक्षेप कर रही है और सरकार से इस हस्तक्षेप को रोकने की मांग की है. साथ ही ये आरोप लगाया कि G4 & KG DWN 98/2 ब्लाक से रिलायंस कंपनी गैस की चोरी कर रही है.
रिलायंस पर ऐसे आरोप पहले भी लगते रहे हैं लेकिन अपनी दमदार पहुँच और रसूख का इस्तेमाल कर के रिलायंस खुद को पाक साफ़ साबित कर लेता है. दूसरी तरफ, रिलायंस का कहना है कि अगस्त 2013 में ONGC ने इस मुद्दे को उठाया था. लेकिन रिलायंस और ONGC के बीच सुलह हो गई थी ब्लॉक को लेकर. रिलायंस को DHG की तरफ से नोटिस भी मिला था जिसमे उनका कहना था कि “ इस ब्लॉक को लेकर मिलने की कोशिश दोनों कंपनी कर रही है लेकिन तब तक दोनों कंपनी अकेले ही काम करेगी इस विषय पर”. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बयान में कहा, ‘‘हम जी4 और केजी-डीडब्ल्यूएन-98-2 ब्लाक से कथित तौर पर गैस की ‘चोरी’ के दावे का खंडन करते हैं. संभवत: यह इस वजह से हुआ कि ओएनजीसी के ही कुछ तत्वों ने नए चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सर्राफ को गुमराह किया. जिससे वे इन ब्लाकों का विकास न कर पाने की अपनी विफलता को छुपा सकें.’’ हालांकि उन्होंने तत्वों के नाम या पहचान बता पाने में फ़िलहाल असमर्थता ज़ाहिर की.
फ़िलहाल केजी बेसिन से जुड़े गैस विवाद तूल पकड़ते दिख रहे हैं और गैस के दाम बढ़ने की आशंकाओं के साथ इन विवादों का ऊपर उठाना सरकार और कंपनियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इस मुद्दे को संभालना जितना ज़रूरी है, उतना ही टेढ़ी खीर भी साबित हो सकता है.
जनहित में सरकार को हस्तक्षेप कर समझोता कराना चाहिए साथ ही पिछली सरकार द्वारा किये गए दरों के समझोते की भी समीक्षा करनी चाहिए अन्यथा जनता महंगाई मार से और भी त्रस्त होगी , जिसमें कि मोदी कड़े फैसले लेने का सन्देश और दे चुके हैं
जनहित में सरकार को हस्तक्षेप कर समझोता कराना चाहिए साथ ही पिछली सरकार द्वारा किये गए दरों के समझोते की भी समीक्षा करनी चाहिए अन्यथा जनता महंगाई मार से और भी त्रस्त होगी , जिसमें कि मोदी कड़े फैसले लेने का सन्देश और दे चुके हैं