लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हुई फजीहत और कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद आप के नेता अब पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में हैं. पार्टी के बचे नेता हालात का जायजा ले रहे हैं और दिल्ली में अपने विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में लगे हुए हैं. उधर, गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं.
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय लगा था कि चुनाव जल्द होंगे और उनकी पार्टी भारी बहुमत के साथ फिर सत्ता में आएगी. लेकिन चुनाव न होने से उनकी रणनीति धरी की धरी रह गई. केजरीवाल ने यह बात एक मोहल्ला सभा के दौरान कही.
केजरीवाल ने दिल्ली में जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा कि जब हमने सरकार से इस्तीफा दिया तो हमें लगा था कि चुनाव जल्द होंगे और हम भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेंगे. लेकिन कई महीने गुजर गए, अभी तक चुनाव नहीं हुए. हमने इस्तीफा देते समय इसकी उम्मीद नहीं की थी. केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की सरकार के इस्तीफे के सवाल पर यह बात कही.
गौरतलब है कि केजरीवाल इन दिनों मोहल्ला सभाएं कर दिल्ली के लोगों को मनाने की मुहिम में लगे हुए हैं. मोहल्ला सभा में उन्होंने कहा कि मीडिया ने हमारे इस्तीफे को लेकर कई सवाल उठाए, आप में से भी कई यह बात जानना चाहते होंगे. दिल्ली में हमारे पास 27 विधायक हैं. हमारे पास बहुमत नहीं है. चुनाव के बाद हमने घोषणा की थी कि हम कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाएंगे. आप के कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा हमने इस बारे में लोगों की राय ली और फिर सरकार बनाई. उन्होंने स्वीकार किया कि उनके इस्तीफे ने लोगों को नाराज किया. केजरीवाल ने कहा कि मैं यह जानना चाहता था कि आखिर लोग नाराज क्यों हैं. लोगों से बातचीत के बाद मुझे इसकी दो वजहें पता चलीं.आप सरकार के जाने के बाद दिल्ली भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है और लोगों की हमसे उम्मीदें बहुत बढ़ गई थीं.
केजरीवाल ने सपना तो पी एम बनने का ही देखा था, उन्हें यह भी गलतफहमी हो गयी थी कि वे ही सबसे योग्य उम्मीदवार हैं ,देश इन बड़ी पार्टियों से तंग आ गया है,और केवल वे ही जनता के सामने एक मात्र विकल्प हैं , और यही भूल ले डूबी केवल भ्रस्टाचार ही एक मुद्दा नहीं देश की और भी कुछ अपेक्षाएं हैं जिनके बारे में उनका कोई विजन नहीं था दिल्ली चुनावों में विजय ने उनके अहंकार को और भी पर लगा दिए सच तो ये है कि इस दिल्ली चुनाव ने ही उनको धराशाई कर दिया अब जनता में वह पेंठ बन्नी मुश्किल है अब तो वे भगोड़े ही कहलाते हैं एक बार फिर कांग्रेस के साथ वे सरकार बनाने के इच्छुक थे पर उसने ही डाली क्योंकि वह पहले ही दूध से जाली थी और लोकसभा के चुनाव ने वैसे ही बड़ा सदमा दे दिया था अब दिल्ली की गलियां नापने को मजबूर हैं