एक ओर भाजपा आरक्षण का विरोध और टेलेंट की बात करती हैं मगर वहीँ दूसरी ओर अपने मंत्रियों की नियुक्ति करते वक़्त योग्यता की बात भूल जाती है. अभी बीजेपी केबिनेट में शिक्षा मंत्री बनी स्मृति ईरानी की एजुकेशन और डिग्रियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है.
उनकी नैतिकता पर बार-बार सवाल उठाए जा रहे हैं. जब उन्होंने बीए पास नहीं किया तो चुनाव प्रचार के दौरान अपनी एजुकेशन के बारे में झूठ क्यों बोला.
अभी इस बात को लेकर लोगो की नाराजगी कम नहीं हुई है.मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ की एनडीए सरकार के एक और मंत्री पर हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगा है. इस बार निशाने पर महाराष्ट्र के बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडा है. उन्हें मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री का पद सौपा गया है.
चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के अनुसार उन्होंने 1976 में न्यू ला कालेज पुणे से बीजेएल की डिग्री हासिल की थी. मगर इस कालेज की वेबसाइट के मुताबिक उस समय यह कालेज बना ही नहीं था. इसकी स्थापना 1978 में हुई थी. इसका मतलब उन्होंने कालेज शुरू होने के दो साल पहले ही डिग्री हासिल कर ली थी. प्रश्न यहाँ पर शिक्षा का नहीं बल्कि नैतिकता का है.
वाह, कोई किसी से कम नहीं सब कहीं न कहीं से दागी हैं चाहे कोई भी दल से क्यों न हो