चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने आज अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को फोन कर भारत की नई सरकार के साथ मजबूत साझेदारी स्थापित करने की इच्छा जताई. मोदी ने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों में किसी भी लंबित मुद्दे का समाधान करने के लिए चीनी नेतृत्व के साथ नजदीक से काम करने को उत्सुक हैं.
मोदी को प्रधानमंत्री बनने के बाद फोन करने वाले ली पहले विदेशी शासनाध्यक्ष हैं. ली की ओर से मोदी को फोन करने से पहले चीन की सरकार ने अपने विदेश मंत्री वांग यी को आगामी 8 जून को विशेष दूत के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करने के लिए भेजने का फैसला किया.
भारतीय विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई 25 मिनटों की बातचीत के दौरान ली ने संबंधों के विकास के लिए भारत की नयी सरकार के साथ मजबूत साक्षेदारी स्थापित करने की अपनी सरकार की इच्छा से उन्हें अवगत कराया.
ली को उनके पहले के बधाई संदेश के लिए धन्यवाद देते हुए मोदी ने चीन के साथ रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी की पूरी क्षमता का दोहन करने के अपने सरकार के संकल्प का उल्लेख किया. उन्होंने विकास के लक्ष्य के रणनीतिक पहलू और जनता को दीर्घकालीन लाभ के संदर्भ में आगे बढ़ते हुए द्विपक्षीय संबंधों में किसी भी लंबित मुद्दे का निवारण करने के लिए चीन के नेतृत्व के साथ नजदीक से काम करने की उत्सुकता जताई.
मोदी ने कहा कि चीन भारत की विदेश नीति में हमेशा प्राथमिकता रहा है. उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक संपर्क का स्वागत किया. दोनों नेताओं ने उच्च स्तरीय संपर्क को निरंतर कायम रखने पर भी सहमति जताई.
भारतीय प्रधानमंत्री ने ली के जरिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को इस साल के आखिर में भारत का दौरा करने का न्यौता दिया. इससे पहले लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद चीन ने मोदी को बधाई दी थी. चीन ने बीजिंग स्थित भारतीय राजदूत अशोक के कंठ के जरिए उस वक्त मोदी को औपचारिक बधाई भेजी थी जब कंठ की सीमा विवाद मामले पर चीन के विशेष प्रतिनिधि यांग जेची से मुलाकात हुई थी.
मोदी के शपथ लेने के बाद ली ने उन्हें औपचारिक रुप से बधाई दी थी और कहा था कि चीन भारत को एक स्वाभाविक सहयोगात्मक साझेदार के रूप में देखता है और वह नयी सरकार के साथ काम करने को तैयार है, ताकि रणनीतिक सहयोगात्मक साझेदारी को नए स्तर तक ले जाया जा सके.
ली ने कहा कि चीन और भारत एक दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ोसी तथा दुनिया के दो उभरते हुए बाजार हैं. चीन-भारत संबंध द्विपक्षीय दायरे से आगे बढ़ गया है और वैश्विक और रणनीतिक महत्व में तब्दील हो चुका है. गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने चार बार चीन का दौरा किया. उनके ये दौरे राज्य में निवेश आकर्षित करने के संदर्भ में थे. चीन दवारा भारत में किये गये 90 करोड़ डॉलर निवेश का अधिकतम हिस्सा गुजरात को गया.
चीन ने पंचशील की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर किसी शीर्ष भारतीय नेता की मौजूदगी को लेकर पहले ही दिलचस्पी जता चुका है. 1954 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके तत्कालीन चीनी समकक्ष चाओ एन लाई ने पांच सिद्धांत इजाद किए थे जिसे पंचशील के नाम से जाना जाता है.
चीन की सरकार आगामी 28 जून को पंचशील की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर एक समारोह का आयोजन कर रही है. इसमें म्यामांर का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हो सकता है. पंचशील की अवधारणा से म्यामांर भी जुड़ा था. इसी साल जुलाई में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी और शी चिनफिंग को मुलाकात का मौका मिलेगा.
शायद अब कुछ नया मोड़ आये दोनों देशों के रिश्ते में. मोदी के चीन के साथ पुराने रिश्ते भी सहायक हो सकते हैं