भाजपा के मंत्रियों के चयन कि बात हो चाहे उनके बयानों की विवाद लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अभी कुछ दिन पहेले धारा 370 को लेकर बीजेपी के राज्य मंत्री जितेन्द्र सिहं ने कहा था कि यह एक मनोवैज्ञानिक बाधा है जिसे हटाने कि प्रक्रिया चल रही है. हालाँकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि उनकी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है.
वहीँ अल्पसंख्यक आयोग कि मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने भी कई विवादास्पद बयान दिए हैं जिसमे उन्होंने कहा है कि देश को रिजेर्वेशन नहीं बल्कि डेवलपमेंट कि जरुरत है, उन्होंने ने मुस्लिमों के बारे में कहा कि वह संख्या में ज्यादा हैं वह अल्पसंख्यक नहीं हो सकते अल्पसंख्यक अगर कोई है तो वह पारसी कम्युनिटी है, जैसे परिवार में 6 बच्चें होते हैं और जो सबसे कमजोर होता है उसकी ओर ज्यादा ध्यान देने कि जरुरत होती है वैसे ही हमें देश के सबसे कमजोर समुदाय की ओर ध्यान देने कि जरुरत है.
मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं और उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। इस बयान पर दारुल उलूम देवबंद नामक संस्था ने सफाई मांगी है। संस्था की ओर से जारी बयान में सरकार से पूछा गया है कि सरकार यह बताए कि यह बयान नजमा का निजी था या इसमें सरकार की भी सहमति थी। दारुल उलूम देवबंद ने यह भी कहा है कि सच्चर कमेटी कि रिपोर्ट में मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी खराब बताई गई है। ऐसे में मुसलमानों को आरक्षण दिया ही जाना चाहिए।
खरी खरी।
भाई आरक्षण की जरूरत ही क्या है। इसको तो जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। सच्चर कमेटी ने अगर मुस्लिम समुदाय की हालत दलितों से भी दयनीय बताई थी तो उन्होंने इसके और कारण भी बताये होंगे। उन कारणों पे ध्यान दो। हालत अच्छी हो जाएगी। अपने बच्चो को तकनीकी शिक्षा दिलाओ न सिर्फ मदरसे में पढ़ने के लिए भेजो बल्कि साथ में उनको आधुनिक शिक्षा भी मुहैया करवाओ। ये आरक्षण के कटोरा पकड़ने से क्या होगा। इससे तो रणजीतिज्ञ अपनी रोटियां सेंकते है।
आप ही के समुदाय के जो लोग आधुनिक हो गए है , उनके बच्चे भी काम है और वो कामयाब भी है। सिखों को ही देख लो 1 . 8 7 प्रतिशत है कुल आबादी का और समाज में उनका योगदान भी देख लो। जब धर्म के नाम पे आबादी बढ़ाओगे तो हालत तो दयनीय होनी है। ऐसे सिर्फ आबादी बढ़ सकती है धर्म नही।
मेरी मानो नजमा हप्तुल्लाह ने जो कहा है वो सही है।
डॉ कुलवीर
हेपतुल्ला का बयान संविधान सम्मत है ,आज मुस्लिमों की आबादी को देखते हुए अब वे अलपसंख्यक नहीं रहे भारत में यह विडंबना है कि एक बार सुविधा मिल जाये उसे हम अधिकार मान लेते हैं जैसे पिछडी जातियों, एस सी , एस टी का आरक्षण दस साल के लिए दिया गया जो साठ साल तक चल रहा है और अब हटेगा भी नहीं क्योंकि यह वोट का हथकंडा बन गया है जो लोग लाभान्वित हो गए वे ही लगातार लाभ रहे हैं , जब की वे समाज के सवर्ण तबके गरीब लोगों से भी अच्छी ऐश भरी ज़िन्दगी जी रहे हैं
जहाँ तक सच्चर कमेटी की बात है,वह वह कांग्रेस के इशारे पर वोट बैंक बनाने के लिए ही बनाई गयी थी व रिपोर्ट भी उसी के अनुरूप लिखी गयी थी उसका जिक्र क्या ही क्या ?
हेपतुल्ला का बयान संविधान सम्मत है ,आज मुस्लिमों की आबादी को देखते हुए अब वे अलपसंख्यक नहीं रहे भारत में यह विडंबना है कि एक बार सुविधा मिल जाये उसे हम अधिकार मान लेते हैं जैसे पिछडी जातियों, एस सी , एस टी का आरक्षण दस साल के लिए दिया गया जो साठ साल तक चल रहा है और अब हटेगा भी नहीं क्योंकि यह वोट का हथकंडा बन गया है जो लोग लाभान्वित हो गए वे ही लगातार लाभ रहे हैं , जब की वे समाज के सवर्ण तबके गरीब लोगों से भी अच्छी ऐश भरी ज़िन्दगी जी रहे हैं
जहाँ तक सच्चर कमेटी की बात है,वह वह कांग्रेस के इशारे पर वोट बैंक बनाने के लिए ही बनाई गयी थी व रिपोर्ट भी उसी के अनुरूप लिखी गयी थी उसका जिक्र क्या ही क्या ?