बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी कल दो तरफ से घिरते दिखाई दिये जब कांग्रेस ने उन पर पहले के हलफनामों में अपनी शादी के बारे में जानकारी नहीं देने को लेकर चुनाव आयोग का रुख किया है वहीं सरकार ने कहा है कि जासूसी मामले में जांच करने के लिए जल्दी न्यायाधीश के नाम का ऐलान किया जाएगा.
कानून मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मांग की है कि पिछले चार चुनावों में अपने हलफनामों में ‘गलत जानकारी’ देने के मामले में मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए.
सिब्बल ने गुजरात में कथित तौर पर एक युवती की जासूसी के मामले में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम पीछे नहीं हटे हैं. हमें केवल जज का नाम बताना है. हम नाम का एलान करेंगे.’’ जब एआईसीसी मुख्यालय में सिब्बल से पूछा गया कि इतने लंबे समय तक न्यायाधीश का नाम क्यों नहीं बताया गया है तो उन्होंने कहा, ‘‘हमें जज का नाम पता है. घोषणा का समय तय किया जाएगा.’’
साल 2009 में कथित तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के इशारे पर एक युवती की जासूसी कराए जाने के आरोपों के संबंध में सिब्बल ने कहा, ‘‘संप्रग-दो सरकार नाम की घोषणा करेगी. हम जांच आयोग का गठन पहले ही कर चुके हैं. कोई उल्लंघन (आदर्श आचार संहिता का) का मामला नहीं है. हम इन सब चीजों का ध्यान रख रहे हैं.’’ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 26 दिसंबर को गुजरात के जासूसी कांड के मामले में तहकीकात के लिए जांच आयोग बनाने का फैसला किया था.
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कानून मंत्री से आग्रह किया था कि जांच आयोग की अगुवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड न्यायाधीश के नाम की सिफारिश की जाए. भाजपा और गुजरात सरकार के विरोध के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जांच आयोग अधिनियम के तहत यह फैसला किया जिसके तहत मोदी सरकार पहले ही ऐसा एक आयोग बना चुकी है.
कांग्रेस ने आज मोदी के शादीशुदा होने के विषय पर भी चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और मोदी के पहले के हलफनामों में कथित तौर पर तथ्यों को छिपाने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
आज ही राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला बोला. राहुल ने कहा कि बीजेपी महिलाओं की सुरक्षा के दावे करती है लेकिन उनके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने पिछले इतने चुनावों में हलफनामे में अपनी पत्नी के नाम की जानकारी नहीं दी.
सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने उनकी याचिका पर विचार करने का आश्वासन दिया है. बीजेपी ने मोदी का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने इस मामले में कभी झूठ नहीं बोला और इस मामले में कोई शिकायती पक्ष नहीं था.
बेचारी कांग्रेस बहुत ही बौखला गयी है,बार बार आयोग के पास दुखड़ा रोने पहुँच जाती है`, जब की जानती है की आयोग के पास आचार संहिता के अलावा कोई अधिकार नहीं वह भी सब दलों की सद्भावना के मध्य नज़र बनाई गयी है, कोई यदि इसका उल्लंघन करताहै तो वह F I R दर्ज करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता, उनका भारत के अदालतों में क्या हश्र होता है इससे सब परिचित है.
जब आयोग ने अधिकार मांगे तब तो कांग्रेस ने अपने हितों के नज़र उन पर ध्यान नहीं दिया इस बार जब खुद पर आई है तो बार बार गुहार कर रही है उस अशक्त आयोग से जिसे उसने अपने हाथों की कठपुतली बनाये रखा.अपने हितों की रक्षा के लिए चुनाव कमिश्नर अपनी लय के बनाये पर वे भी माहौल देख चुप है और दबी जबान से व्यंग करते हैं.
जो चुनाव हो चूका उस के बाद अब मुकदमा कब कहाँ चलेगा? वैसे भी सुप्रीम कोर्ट की यह रूलिंग बहुत बाद की है.नामांकन पत्र के सभी कलम भरने अनिवार्य है यह भी अभी कुछ दिन पहले ही रूलिंग आई है अन्यथा मोदी भला यह स्वीकार करने वाले नहीं थे वैसे भी किसी की निजी जिंदगी में झाँकने की इजाजत किसी को भी नहीं.
मूल मुद्दे इस चुनाव में भटके हुए है , कोई उनहे लाने की कोशिश करता भी है तो उसे व्यक्तिगत लांछन लगा तने का प्रयास किया जाता है.