-बालेन्दु स्वामी||
हमारे देश में हो रहा जनसँख्या विस्फोट गरीबी और बेरोजगारी समेत सभी प्रमुख समस्याओं का मूल कारण है यह दो दुनी चार वाली बात कक्षा पांच का विद्यार्थी भी समझता है. और ऐसे में अल्पसंख्यकों से निपटने और हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए बुजुर्गवार अशोक सिंघल कहते हैं कि हर हिन्दू को पांच बच्चे पैदा करने चाहिए. अब वो बड़े हैं बुजुर्ग हैं परन्तु यदि ऐसी मूर्खतापूर्ण बात कहेंगे तो मैं उन्हें मूर्ख न कहूँ तो और क्या कहूँ. और यह बात केवल बेवकूफी से भरी हुई ही नहीं है बल्कि नफरत फैलाने वाली भी है.
ठीक यही बात मैं हमारे उन पुरुखों के लिए भी कहना चाहता हूँ जोकि धर्म तथा ईश्वर जैसे अन्धविश्वासों के प्रणेता रहे या जिन्होंने धर्मग्रंथों में शोषण और असमानता को बढ़ाने वाली उलजुलूल बातें लिखीं. अब इसका मतलब यह नहीं है कि धर्मशास्त्रों में कोई अच्छी बात होगी ही नहीं या सिंघल ने अपनी जिन्दगी में कोई अच्छी बात कही ही नहीं होगी, परन्तु इन्हीं बुजुर्गवार सिंघल ने अपने कलुषित धर्म को बचाने के लिए जब स्वामी नित्यानंद का सेक्स वीडियो आया था या आसाराम जब बलात्कार के आरोप में पकड़ा गया था तो उनकी तरफदारी करके इसे हिन्दू धर्म के खिलाफ साजिश बताया था.
धर्म और ईश्वर के मामले में भी अधिकाँश लोगों की दिक्कत यही है कि हम उसे गलत कैसे ठहरा दें जो हमारे बड़े बुजुर्ग और पुरखे कह या लिख गए. मेरे हिसाब से तो सीधी सी बात यह है कि बड़े बूढों की इज्जत अपनी जगह है परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी मूर्खतापूर्ण बातों का आप अनुसरण भी करने लग जाएँ. ये कोई आवश्यक नहीं है कि यह बात पुराने समय में या किसी पुराने आदमी ने कही है तो बढ़िया, न्यायपूर्ण और सही ही होगी. अब कहीं सिंघल की बातें सुनकर जिनसे एक बच्चा पलता नहीं वो पांच पैदा करने लग जाएँ तो सोचिये क्या होगा. असल में होगा यही कि फिर कल को ये आयेंगे और कहेंगे कि ये पांच तो तुमने हमारे कहने से पैदा किये हैं लाओ इनमें से दो हमें दे दो. एक को मंदिर में घंटा बजाने वाला पुजारी बनायेंगे और क्योंकि धर्म की रक्षा करनी है तो दूसरा अल्पसंख्यकों से लड़ेगा और जरुरत पड़ने पर उसका बम बना दिया जाएगा.
हालाँकि मुझे यह भी पूरा विश्वास है कि समझदार लोग इस तरह की बेवकूफी भरी बातों पर कान नहीं देंगे परन्तु जान लीजिये कि हर धर्म की रक्षा इसी तरह मूर्खतापूर्ण बातों से धर्मांध बनाकर और भड़काकर करी जाती है. मेरे साथ दिक्कत यह है कि मैं सीधी साफ़ बात बोल देता हूँ, अरे भाई अब गधे को गधा नहीं कहूँ तो क्या कहूँ. अगर किसी ने किसी षड्यंत्र के तहत गलत बातें तथाकथित पवित्र किताबों में लिखी हैं तो लिखने वाला चाहे कितना ही विद्वान क्यों न हो, तब भी उसे गलत ही कहा जायेगा. परन्तु यह भी सही है कि मूर्खों की कमी नहीं है, एक खोजो हजार मिलते हैं. आपको आज भी स्वामी नित्यानंद और आसाराम जैसों के समर्थक और बचाव करने वाले मिल जायेंगे.
परन्तु यदि कोई अपने विवेक का प्रयोग करे तो उसे निश्चित ही ऐसी बातें मूर्खतापूर्ण लगेंगी और उनका अनुसरण करने के लिए उन्हें केवल बेवकूफ और भक्त ही नहीं बल्कि अंधभक्त भी बनना पड़ेगा. इन सभी बातों के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि हमारे ही वो पूर्वज जिन्हें हमने देखा तक नहीं, उन्होंने जो गलतियाँ करीं और जो नफरत के बीज बोये (उदाहरण के लिए जातिवाद) वो हम आजतक काट रहे हैं और पछता रहे हैं. अभी भी समय है, चेत जाओ और अपने बच्चों तथा आगे आने वाली पीढ़ियों के सुखमय भविष्य के लिए अपने खुद के विवेक का प्रयोग करना तथा अंधी भेड़ बनकर वही गलतियाँ मत करना जो हमारे बुजुर्गों ने करी.
बुजुर्गों को बेवकूफ बताने से पहले उन बातों पर भी नज़र डालो की यह जनसँख्या विस्फोट क्यों बन गया हे इसके बारे में कुछ रोशनी मुस्लिम समुदाय पर डालो तो आपकी हिम्मत की दाद दूंगा ,,,,, लेकिन अफ़सोस आपकी सोच भी छद्म सेकुलरवाद हे जो की हिन्दू विरोध में पनपता हे ………….