-मीडिया दरबार डेस्क||
जनलोकपाल और लोकपाल के बाद चर्चा में आए बहुजन लोकपाल पर बहस तेज हुई तो मीडिया पर भी नजरें फिसलने लगी। गुरूवार को रामलीला मैदान में बहुजन लोकपाल के समर्थन में आए लोगों को जहां मुख्यधारा की मीडिया ने कोई स्पेस नहीं दिया वहीं मौर्य टीवी संकटमोचन बन कर डटा रहा। सोशल मीडिया में मौर्या की इस दिलदारी की चर्चा हो रही है। हालाँकि इस चर्चा के पीछे किसी ‘बड़े गेम’ के होने के संदेह से इन्कार नहीं किया जा रहा है और जानकार इस बात को खूब समझ रहे हैं।
दरअसल मामला उतना सीधा नहीं है जितना दिख रहा है। मौर्य टीवी प्रकाश झा का चैनल है और प्रकाश झा आरक्षण फिल्म बनाने के बाद से ही दलित नेताओं के निशाने पर रहे हैं। फेसबुक ऐक्टिविस्ट दिलीप मंडल ने यूपी सहारा न्यूज चैनल पर लाइव चल रहे एक कार्यक्रम में प्रकाश झा की जमकर क्लास ली थी। जिसके बाद माहौल बहुत गर्म हुआ था और प्रकाश झा को दलितों का मजाक उड़ानेवाले एक ट्वीट को डिलीट तक करना पड़ था।
इतना ही नहीं मामले ने बहुत जल्द राजनीतिक रंग ले लिया था और सीन में मायावती की धमाकेदार एंट्री हुई थी। फिर तो मानों पूरे देश में आग लग गई थी। अमिताभ बच्चन को भी पर ट्विटर पर सतरंगी गालियां पड़ी और वो चुप चुप से रहने लगे। मामला देखते देखते कोर्ट पहुंचा और प्रकाश झा की ऐसी घसेट हुई कि उन्हें खुद मीडिया में सफाई देने आना पड़ा। दलित नेता उदित राज ने भी उनकी खूब क्लास ली थी। फेसबुक पर कईयों ने यह अपील भी जारी की थी कि प्रकाश झा की फिल्मों को देखने के लिए कोई भी सिनेमा हॉल न जाए और फिल्म डीवीडी पर देखे। गुस्सा ऐसा था कि सुधीश पचौरी भी बीचबचाव में आ गए और चैनलों पर जुगाली करते देखे गए।
माना जा रहा है दलितों के आक्रोश को देखते हुए ही प्रकाश झा के मौर्या ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर सहानुभूति जीतने की कोशिश की है।मजेदार बात यह है कि मौर्य द्वारा रामलीला मैदान में किए गए कवरेज को सभी दलित नेताओं ने उतना भाव नहीं दिया है मसलन दिलीप मंडल, उदित राज इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे जिससे प्रकाश झा को झटका लग सकता है लेकिन कार्यक्रम में शामिल अन्य लोगों ने फेसबुक पर मौर्या द्वारा कार्यक्रम कवरेज की पुष्टि की है।
चाणक्य ने कहा था:”अर्जित मित्रता” में बहुत ताक़त होती है. “मौर्य” शब्द भी चाणक्य की ही उपज है. प्रकाशजी दलित नेता राम विलास पासवान के “अर्जित मित्र है”. इसलिए दलित के उभरते तथाकथित नेतागण जो कहें, बोले या लिखें, सच तो एही है की प्रकाश झा के पीछे राम विलास पासवान हैं. बाकि सब बल्ले-बल्ले