अपनी खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर कॉबरापोस्ट ने एक बार फिर एक बड़ा खुलासा किया है। इस बार वेबसाईट ने ऑपरेशन ब्लू वायरस नाम से अपने एक ऑपरेशन के ज़रिये सोशल मीडिया पर आईटी कंपनियों और राजनेताओं, एनजीओं, कॉरपोरेट घरानों के बीच की सांठगांठ का पर्दाफाश किया है। फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया आज आवाम के बीच लोकप्रिय हैं तो इसकी वज़ह भिन्न-भिन्न विचारों का एक मंच होना है। लेकिन, पिछले कुछ समय से देखा गया है कि किसी ख़ास व्यक्ति या समूह की खातिर ढेर सारे लोग मोर्चा बंद हो जाया करते हैं। इन्हें दूसरों के विचारों को जानने में कोई दिलचस्पी नहीं होती ये तो बस ‘खूंटा वहीं गाड़ने पर आमादा रहते हैं जहां ये चाहें’। सामान्य तौर पर देखा जाए तो इसे किसी राजनेता, सरकारी अफसर, राजनीतिक दल के प्रति किसी का खुला समर्थन या फिर लहर और इससे भी आगे अँधभक्ति समझा जा सकता है। लेकिन अफ़सोस कि ये सोशल मीडिया के लोकतांत्रिक ढांचे का सकारात्मक उपयोग करके अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी का इस्तेमाल नहीं बल्कि आईटी कंपनियों द्वारा प्रचार के लिए अधिकृत बतौर कार्यकर्ता काम करते हैं।
कॉबरापोस्ट ने अपने ऑपरेशन से देश भर में फैली ऐसी ही दर्जनों आईटी कंपनियों का पर्दाफाश किया हैं जो छवि बनाने और छवि बिगाड़ने के काम में माहिर हैं। यानी सोशल मीडिया पर किसी को एक लोकप्रिय नेता के तौर पर गढ़ा जाता है और छवि निर्माण का काम किया भी किया जाता है। इसी तरह सेवा लेने वाले ग्राहक(फर्ज़ कीजिए राजनेता) के राजनीतिक विरोधी के खिलाफ़ नकारात्मक प्रचार भी किया जाता है।इन सब कारिस्तानियों के बदले कंपनियां अपने ग्राहक से मोटा पैसा वसूलती हैं।
फर्ज़ी प्रचार की बातें पहले से ही होती आई हैं पर यहां इस तरह के फर्ज़ीवाड़े का खुलासे करने के लिए कॉबरोपोस्ट के एसोसिएट एडिटर सैय्यद मसूर हसन ने दो दर्जन कंपनियों तक खुद को एक ग्राहक के रूप में पेश किया और प्रस्ताव दिया कि – उनके मास्टर नेताजी सोशल मीडिया पर खुद की सकारात्मक छवि का निर्माण करवाना चाहता हैं और इसी के समांतार अपने विरोधी की छवि को नकारात्मक प्रचार के जरिये ध्वस्त करना चाहता हैं। मसूर ने आगे कहा कि इससे होगा ये कि पार्टी अध्यक्ष की नज़र में नेताजी की विश्वसनीयता बढ़ेगी और उनके लिए लोकसभा चुनाव का रास्ता खुल जाएगा। दूसरा कि आगे चलकर उन्हें कैबिनेट में जगह भी मिल जाएगी और पैसा इतने बड़े उद्देश्य के बीच कोई बड़ी बात नहीं है।
मोटे धन के बदले कंपनियों द्वारा हसन को आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र माहौल बनाने की खातिर उनके पॉलिटिकल मास्टर के लिए दी जानी वाली प्रस्तावित सेवाएं कुछ इस प्रकार की हैं—
- नेताजी के फेसबुक पेज पर उनके चाहने वालों की बाढ़ ला देना मतलब फेक खाते बनाकर उनके पेज लाईक करवाना या आवशयकता होने पर नेट्जनस नाम के समूह से लाईक्स खरीदना जिससे कि नेता जी के चाहने वालों की तादाद लाखों में बढ़ सकें।
- ट्विटर पर उनको फॉलो करने वालों की बड़ी ट्विटर सेना बनवाना।
- फेसबुक पेज पर नेताजी की खिदमत में तारीफ़ों की पुलिंदे बनाना और कोई भी आलोचनात्मक या नकारात्मक कमेंट को जगह नहीं देना।
- नेताजी के राजनीतिक विरोधी के खिलाफ़ नकारात्मक और भ्रामक प्रचार करना।जरूरी नहीं कि ये नकारात्मक प्रचार नैतिक और आईन संगत हो। यानी विरोधी की छवि को ध्वस्त करने के लिए मर्यादा की सारी सीमाओं को लांघा जा सकता हैं।
- नकारात्मक प्रचार अभियान में कमेंट यूएन और कोरिया जैसे देशों से करवाए जाएंगे ताकि ऐसा भ्रामक प्रचार करने वालों का पता न लगाए जा सकें।
- नकारात्मक अभियान में संकलित कंप्यूटर इस्तेमाल किए जाएंगे और अभियान के खत्म होते ही इन्हें तहस-नहस कर दिया जाएगा।
- अपनी लोकेशन हर घंटे बदलते रहने के लिए कंप्यूटर पर प्रॉक्सी कोड का इस्तेमाल किया जाएगा।
- चूंकि,मुसलमानों का मतदान चुनाव गणित बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता हैं इसलिए उनके फर्ज़ी खाते बनवाए जाएंगे जिससे कि दूसरे मुसलमानों की ज़हनियत में नेताजी की छवि बदली जा सके।
- प्रचार के लिए ऐसी वीडियो बनाई जाएंगी जो वायरल बनकर यू ट्यूब पर फैल जाएगी।
- ट्रेसिंग से बचने के लिए ऑफशोर आईपी और सर्वर का प्रयोग किया जाएगा।
- विरोधी की छवि धूमिल करने के लिए दूसरों के कंप्यूट्रर हैक किए जाएंगे।
- ट्राई की नियमावली को धत्ता बताने के लिए और नेताजी की छवि के पक्ष में माहौल बनाने के लिए इंटरनेट के माध्यम से एसएमएस किए जाएंगे।
- इस पूरे मकड़जाल के बदले में अपने ग्राहक से कंपनी पैसा नगद ही लेगी ताकि कल को यह साबित न किया जा सके कि कंपनी और ग्राहक के बीच कोई संबंध है।
इन आपराधिक गतिविधियों में शरीक़ एक आईटी पेशेवर बिपिन पठारे है। कॉबरापोस्ट की तरफ़ से जब हसन ने अपनी पहचान बदल कर नेताजी के लिए प्रचार करवाने के बारे में जानना चाहा तो पठारे ने कुछ ऐसे खुलासे किए जिनसे अच्छो-अच्छो के होश-फाख़्ता हो जाए।पठारे ने बताया कि वो न सिर्फ़ मतदाताओं की बूथ जनसांख्यिकी महैुया करवाएंगे जिससे बूथ पर एक-एक वोट का नेताजी के पक्ष में चालाकी से इस्तेमाल किया जा सके बल्कि वो बम विस्फोट करने से भी परहेज़ नहीं करेंगे। अपने इस दावे के समर्थन में पठारे ने हसन को एक उदाहरण भी दिया।
उसने बताया कि परवीन जारा को भी चुनाव जितवाने में उसकी कुछ ऐसी ही भूमिका रही थी। पठारे ने कहा – इधर परवीन जारा जीत गया ना.. उधर हम लोगों ने क्या किया था मालूम है.. एक जगह पे मुस्लिम वोट थे तो मुस्लिम तो नहीं डालेंगे हमें मालूम था पक्का.. उधर.. साठ पर्सेंट मुस्लिम वोट थे.. हम लोग ने कैसा किया उन्हें उधर दंगा किया.. एक थोड़ा सा हाथ बम्ब होता है.. बम्ब वगैरह तो सब स्ट्रेटेजी है ना…
इतना ही नहीं पठारे का दावा है कि दंगों की अफवाह फैलाकर वो मुस्लिम मतदाताओं को चुनाव के दिन घर के भीतर ही रूकवा सकता हैं जिससे वो मतदान देने जा ही न सकें..
बिपिन की माने तो प्रचार की इस ‘ख़ास’ फर्ज़ी तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए, आम आदमी के लिए विकल्प होने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी उससे संपर्क साध चुके है। पठारे के अनुसार उनकी केजरीवाल से फोन पर बात हुई और वो चाहते थे कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए पठारे उनके लिए काम करे। लेकिन उन्होंने पार्टी के लिए डोनेशन के तौर पर काम करने की मांग रखी और पठारे ने इंकार कर दिया।
फेसबुक पर अक्सर देखा गया है कि मोदी के पक्ष में बोलने वाले मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे ये लोग या तो किसी खूफिया एजेंसी के उच्च अधिकारी हैं या फिर मात्र भ्रामक प्रचार करने वाले प्रचारक। इसी की एक बानगी अभिषेक कुमार है जो अपने साथ के साथियों से छवि बनाने-बिगाड़ने के इस धँधे में पीछे नहीं रहना चाहता। अभिषेक कैंपेन मोदी के लिए सोशल मीडिया पर काम करने और राहुल गांधी के खिलाफ़ मानहानिकारक विषय-वस्तु का प्रचार चुनावों से एन कुछ वक़्त पहले करने की योजना तैयार कर रहे है।
नकारात्मक प्रचार की सत्यता इससे पुख़्ता होती है कि जिस भी कंपनी ने नरेंद्र मोदी के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाने का दावा किया उसी कंपनी ने नेताजी के राजनीतिक विरोधी के खिलाफ़ नकारात्मक प्रचार करने के लिए हामी भरी। इसी का एक उदाहरण प्रियदर्शन पाठक है जिन्होंने मर्करी एविएशन नाम की बनावटी कंपनी के खिलाफ़ इसी तरह का प्रचार करने पर सहमति जताई। इस काम के बदले में 92 हज़ार रु की मांग की गई जो दो किस्तों में कंपनी को दिए गए।
ऑपरेशन ब्लू से इस बात का खुलासा होता है कि इस तरह के भ्रामक प्रचार का सबसे ज्यादा लाभ बीजेपी और उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी उठा रहे है।नरेंद्र मोदी पर बात करते हुए तरिकम पटेल ने बताया कि आईटी सेक्टर का गढ़ माने जाने वाला राज्य बैंगलोर में आईटी कंपनियां अपनी कमाई का 3प्रतिशत इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के जरिये कमाती हैं और बीजेपी इसमे मुख्य योगदान देती है।पटेल कहते है कि अगर इस तरह के फर्ज़ी प्रचार के बारे में लोगों को पता चलेगा तो राजनेताओं से उनका भरोसा उठ जाएगा।
ज़ाहिर है कि सोशल मीडिया के दुरूपयोग की चिंता अक्सर राजनीतिक जमात जताती रहती हैं और आए दिन उनके खिलाफ़ अपने विचार प्रकट करने पर आम आदमी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता हैं.. इसका मतलब है कि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के कुछ और ही होते हैं।इस खुलासे के बाद फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के मंचों को चुनावी मैदान का प्रोमो समझने वाले जान जाए कि यहां चल रही हवा बनावटी भी हो सकती हैं।मुमकिन हैं यहां प्रोमो को लाखों लाईक मिलें पर सत्ता संग्राम की फिल्म रिलीज़ होने पर सोशल साईट पर पास होने वाले चुनावी मैदान में फेल हो जाए।
स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो देखिये..
राजनीती प्यार व युद्ध में सब जायज है,आज कॉर्पोरेट्स की लड़ाई भी ऐसी ही हो गयी है.अब नैतिकता का कोई मानदंड नहीं,कोई स्थान भी नहीं. शुद्ध प्रतिस्पर्धा करने का न तो किसी में साहस है न कोई इसमें विश्वास करते हैं इसलिए अब जो न हो वही कम है.
राजनीती प्यार व युद्ध में सब जायज है,आज कॉर्पोरेट्स की लड़ाई भी ऐसी ही हो गयी है.अब नैतिकता का कोई मानदंड नहीं,कोई स्थान भी नहीं. शुद्ध प्रतिस्पर्धा करने का न तो किसी में साहस है न कोई इसमें विश्वास करते हैं इसलिए अब जो न हो वही कम है.