मुंबई के कोलाबा में लाइन गेट नेवल डॉकयार्ड में मंगलवार रात हुई भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुरक्षक में भीषण आग की घटना का रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बुधवार सुबह प्रधानमंत्री से मुलाकात कर ब्यौरा दिया. एंटनी ने कहा है कि इस हादसे में कई की मौतें होने की आशंका है. हालांकि उन्होंने मृतकों की संख्या नहीं बताई. एंटनी हादसे का जायजा लेने के लिए मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. एंटनी ने कहा कि उन्हें इस हादसे पर बेहद दुख है. बता दें कि इस हादसे के बाद पनडुब्बी में मौजूद तीन अधिकारियों समेत 18 नौसैनिक फंसे हुए हैं. उनकी स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. उन्हें बचाने का काम जोरों से चल रहा है, लेकिन पनडुब्बी के सभी सात दरवाजे बंद हो जाने की वजह से हालात बेहद मुश्किल बन गए हैं.
हालांकि आग पर काबू पाया जा चुका है, लेकिन पनडुब्बी पानी के अंदर जा चुकी है. यह भीषण आग बीती रात करीब 12 बजे लगी. चश्मदीदों ने आग से पहले धमाके की आवाजें सुनी. आग ने एक दूसरी पनडुब्बी सिंधुरत्न को भी अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे में पनडुब्बी को काफी नुकसान पहुंचा है. पनडुब्बी एक तरफ झुक गई है और ऎसा लग रहा है कि वह डूब रही है. रक्षा विभाग ने एक बयान में कहा कि विस्फोट के कारण पनडुब्बी डूब गई, इसका सिर्फ एक हिस्सा ही जल की सतह के ऊपर दिखाई दे रहा है. नौसेना के चीफ एडमिरल डीके जोशी भी मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. उन्होंने बताया कि नौसेना ने विस्फोट होने और इसके बाद उसमें आग लगने की घटना की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए हैं.
हालांकि विशेषज्ञों का कहना हैकि पनडुब्बी में धमाका या तो बैट्रियों से निकलने वाले हाईड्रोजन से या फिर वहा रखे हथियारों से धमाका हुआ होगा, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है. प्रवक्ता ने बताया कि नौसेना गोदी और मुंबई फायर ब्रिगेड के दमकलकर्मियों को तत्काल राहत एवं बचाव कार्य में लगाया गया. बताया जा रहा है कि पनडुब्बी के अंदर ऑक्सीजन बनाने वाले यंत्र लगे होते हैं. साथ ही साथ डॉकयार्ड में होने से पनडुब्बी को बचाना आसान होता है. हर क्रू सदस्य के पास ढाई घंटे तक बचाव के उपकरण होते हैं. आईएनएस सिंधुरक्षक में लगी आग को नौसेना के लिए बडा झटका माना जा रहा है. इस पनडुब्बी की खास बात यह है कि हाल ही में पनडुब्बी सिंधुरक्षक का रूस में आधुनिकीकरण हुआ था. इसमें करीब 480 करोड रूपए खर्च हुए.
सिंधुरक्षक में रूसी मिसाइल सिस्टम भी लगाया गया है. भारतीय नौसेना के लिए यह काफी अहम है. इसमें एक समय में 60 से 70 नौसैनिक मौजूद रहते हैं. इसे 24 से 48 घंटे में एक बार पानी से बाहर आना पडता है. आईएनएस सिंधुरक्षक में इससे पहले 2010 में भी आग लगी थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और दो अन्य लोग घायल हो गए थे. यह दुर्घटना बैटरी बॉक्स में विस्फोट के कारण हुई थी. 1980 के दशक की शुरूआत में हुए समझौते के तहत भारत 2300 टन की पनडुब्बी रूस से लाया था और इसे 1997 में परिचालन में लाया गया था.
(एजेंसी)
panduabia to thhiak hojyaga jawan kia chanta jaruriya hia but ag kiyasa lga agya uska kdia surkchha krna chahiya kia esa traka gtna na hoya jiya hiand jiya bharat.