-चन्दन सिंह भाटी||
जैसलमेर से स्थानांतरित पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी द्वारा पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद के पिता मुस्लिम धर्म गुरु और पीर पगारो के अनुयायी गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट पुनः खोलने का दोष भले ही चाहे विपक्ष पार्टी या मीडिया पर मढ़ा जा रहा हो.
मगर हकीकत यह है कि जैसलमेर में गाजी फ़क़ीर के बेटे और पोकरण विधायक के बढ़ते प्रभाव को नेस्तनाबूद करने की कवायद जिले के कांग्रेस के एक गुट ने पांच माह पूर्व शुरू कर दी थी. जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पत्नी के साथ तनोट माता के दर्शन करने आये थे. इस यात्रा के दौरान ही कांग्रेस के एक गुट ने सालेह मोहम्मद और उनके समर्थको के बढ़ते प्रभाव और सरकारी कार्यालयों में आंतक के किस्से मुख्यमंत्री के सामने रखे. जिसको मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया.
इसी के चलते सालेह मोहम्मद के चहेते अफ़सरों को जो लम्बे समय से जैसलमेर में पदस्थापित थे, को चलता किया गया. सबसे पहले पंचायत समिति जैसलमेर के विकास अधिकारी रमेश चन्द्र माथिर को चलता किया जो लम्बे समय से फ़क़ीर परिवार की मेहरबानी से टिके हुए थे. फिर बारी आई उप खंड अधिकारी रमेश चन्द्र जयनाथ की. युटीआई में अवैध रूप से कई मामले निपटाने के मामले में पहले से चर्चित हो चुके इस अधिकारी को चलता किया गया. नगर परिषद् के आयुक्त सहित लम्बी फेहरिस्त थी अधिकारियो की जिन्हें जैसलमेर से हटाया गया. नगर परिषद् के सहायक अभियंता सिंघल को अचानक ऐपीओ किया गया.
गौरतलब है कि अपने चहेते अधिकारियो के तबादले निरस्त करने के लिए सालेह मोहम्मद ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक चक्कर लगाये मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. खबर मिली है कि जिला परीशा में महानरेगा कार्यो में अब तक हुए समस्त टेंडरो की जांच उच्च स्तर पर होने को है, सूत्रों की माने तो अधिकांश टेंडर फ़क़ीर परिवार के रिश्तेदारों की फर्मो के पास है. पंचायत समिति जैसलमेर और जिला परिषद् जैसलमेर की कई दुलानें इस परिवार के लोगो को अनियमित तरीके से आवंटित है. जिला परिषद् और समिति के समस्त कार्यो के टेंडर भी इनकी फर्मो के पास बताये जा रहे है. इस आशय की शिकायते मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि राहुल गाँधी तक के पास पहुंची है.