-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास||
राजनीतिक सदिच्छा का अभाव हो और प्रशासन दिशाहीन हो तो न्यायिक हस्तक्षेप या सुरक्षा इंतजाम से अमन चैन की उम्मीद करना बेकार है. बंगाल में पंचायत चुनावों के तीन दौर के बाद यह साफ हो गया है. दक्षिणी बंगाल में चुनाव निपट गया है लेकिन हिसाब बराबर होना बाकी है. राजनीति की बलि चढ़ गयी है रोजमर्रे की जिंदगी. रेल और सड़क यातायात अव्यवस्थित हो गयी है. आतंकित लोग तमान और हिसा की खबर सुनकर बाहर नहीं निकल रहे और निकल रहे हैं तो राजनीति संघर्ष और विरोध प्रदर्शन के काऱण बेइंतहा कठिनाई के शिकार हो रहे हैं. जैशोर रोड हो या दक्षिण 24 परगना की लाइफ लाइन बासंती रोड, कल्याणी हाईवे हो या फिर बीटी रोड या वीआईपी रोज ट्राफिक जाम हो रहा है. राजनेता सड़कों पर समर्थकों के साथ जमे हुए है. इस मोर्चाबंदी का क्या अंजाम होगा आखिरकार, खुदा ही जानें.
बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर हिंसा का माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है. राज्यपाल ने केंद्र सरकार को इस बिगड़ते माहौल के बारे में अपनी रपट दे दी है. बंगाल में कांग्रेस चाहे जितना आक्रामक हो, आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर दीदी को भाजपा के पाले में धकेलने की गलती नही कर सकती केंद्र की कांग्रेस सरकार. जाहिर है कि केंद्र सरकार कोई कार्रवाई नहीं करने वाली. इसी बीच राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय द्वारा जारी अनुव्रत मंडल के खिलाफ प्रशासन को स्पष्ट आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से फिर राज्यपाल की शरण में हैं. वहीं, सत्ता दल में इस मुद्दे को लेकर मतभेद प्रबल होते जा रहे हैं. मदन मित्र ने जहां माकपा को ठोंकने के लिए अनुव्रत की तारीफ के पुल बांध दिये, वहीं वीरभूम की सांसद व लोकप्रिय अभिनेत्री शताब्दी राय ने आज भी कह दिया कि अनुव्रत के खिलाफ कार्रवाई न होने से पार्टी की छवि खराब हो रही है. लेकिन मदन मित्र के वक्तव्य से जाहिर है कि अनुव्रत के खिलाफ राज्य प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहा है. वीरभूम में मुख्यमंत्री की दोनों सभाओं में मंच पर न होने के बावजूद अनुव्रत की प्रबल उपस्थिति देखी गयी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी का कभी समर्थन नहीं करेगी. उन्होंने वीरभूम जिले में एक पंचायत चुनाव रैली में कहा, ‘हम न तो नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हैं, न ही भविष्य में उनका समर्थन करेंगे.’ इस वक्तव्य के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को उम्मीद हो गयी है कि दीदी कांग्रेस को समर्थन दे न दें, भाजपा के साथ हरगिज खड़ी नहीं होंगी. केंद्र सरकार के लिए बंगाल के पंचायत चुनाव के नतीजे चिंता के कारण नहीं हैं. अगर हिंसा होती है तो उसकी जिम्मेवारी भी दीदी पर होगी. इसलिए वह किसी भी हाल में दीदी को छेड़ने के मूड में नहीं है. राज्यपाल की रपट खटाई में ही है.
अनुव्रत अकेले नहीं हैं. तृणमूल की ओर से विपक्ष पर कड़े प्रहार किये जा रहे हैं तो कांग्रेस की ओर से जवाबी हमला भी खूब हो रहा है. पश्चिम बंगाल में नेता एक दूसरे के खिलाफ आग उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस नेता और रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘पागल हाथिनी’ करार दिया. मुर्शिदाबाद जिले में शुक्रवार को पार्टी के प्रचार के दौरान चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की आलोचना करते हुए टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. चौधरी ने कहा कि अगर घर का मुखिया ही पागल हाथी की तरह बर्ताव करेगा तो पार्टी कार्यकर्ताओं के बारे में क्या कहा जा सकता है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर जुबानी हमला बोला था. उन्होंने कांग्रेस पर बदजुबानी का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि आगामी आम चुनाव में कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री भिखारी हो जाएंगे.
पंचायत चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने कार्यकर्ताओं को कहा था कि पुलिस वालों पर बम फेंको और निर्दलीय उम्मीदवारों को पीट पीटकर खदेड़ दो. उनके घर जला डालो.
जबकि बृहस्पतिवार को तृणमूल सांसद तापस पाल ने मर्यादाओं को लांघते हुए आह्वान किया है कि माकपा कार्यकर्ताओं की जूते से पिटाई करो.
माकपा ने तृणमूल के कथित संत्रास के खिलाफ जनप्रतिरोध की अपील की है. हालांकि माकपा नेता रज्जाक मोल्ला और माजिद मास्टर जैसे लोग अपने इलाके में मतदान के दौरान निष्क्रिय देखे गये, माकपाई गढ़ों में भी प्रतिरोध के बजाय आत्मसमर्पण का माहौल है पर हावड़ा में तृणमूल विधायक पर हुए हमले से साफ जाहिर है कि माकपा पीछे हटने वाली नहीं है. उत्तर और दक्षिण 24 परगना मे हुई हिंसा बढ़ते हुए तनाव के साफ संकेत है. इन जिलों में मतदान के दौरान माकपा की ओर से जिस पैमाने पर सड़क और रेल रोकने की कार्रवाई की गयी है, उससे चुनाव निपट जाने के बाद और चौथे दौर के बाद ही 160 कंपनी केंद्रीय बल की वापसी के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष की लड़ाई से राज्य के लगातार लहूलुहान होते रहने की आशंका बढ़ गयी है.
हावड़ा क पांचला में तृणमूल विधायक पर हमला खतरे का संकेत है. विधायक पर शुक्रवार की सुबह गोली चलायी गयी. गोली लगी नहीं. लेकिन वे बमबाजी से घायल हो गये.
माकपा में प्रतिरोध के तौर तरीके पर जबर्दस्त बहस छिड़ गयी है, जिससे पता चलता है कि रज्जाक मोल्ला पार्टी के निर्देश से ही मतदान के दौरान चुपचाप रहे और उन्होंने अपने समर्थकों कार्यकर्ताओं को घर बैठने को कह दिया. मतदान के बाद उन्होंने कहा है कि पार्टी पलटकर जवाबी कार्रवाई करती तो इतनी दुर्गति नहीं होती. इस पर माकपा दक्षिण 24 परगना के नोता पूर्व सांसद की दलील है कि पार्टी की लाइऩ जवाबी कार्रवाई के खिलाफ है. उसी तरह तृणमूल के नेता यह कहते अघाते नहीं कि बदला नहीं, बदलाव चाहिए. किसी ओर से लेकिन संयम का चिन्ह नहीं है.
अभी उत्तरबंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान जो आक्रामक राजनीति देखने को मिली, कांग्रेस अपने गढ़ बचाने के लिए क्या रणनीति अपनाती है, उससे मतदान के दौरान हालात तय होने हैं.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को पंचायत चुनावों के तीसरे चरण के दौरान हिंसा, बूथ पर कब्जा करने आदि की छिटपुट घटनाएं सामने आईं जिनमें पांच लोगों की मौत हो गयी. आज करीब 75 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. मतदान के बाद भी हिंसा का सिलसिला जारी है.इसके विपरीत, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक चुनावी रैली में कहा कि तीसरे चरण का मतदान शांतिपूर्ण रहा. उन्होंने कहा कि माकपा अलग थलग पड़ गई है और भय का राग अलाप रही थी.
चुनावों के लिए केंद्रीय बलों की अनुचित तरीके से तैनाती के आरोपों पर राज्यपाल एम के नारायणन ने कहा, “केंद्र ने बल मुहैया कराये हैं. लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और विश्वास की भावना पैदा करना काफी महत्वपूर्ण है. मुझे उम्मीद है कि बलों को तैनात किया जाएगा.’’ उन्होंने कहा, “पहला चरण ठीक था, दूसरा चरण उतना ठीक नहीं था.’’ दूसरे चरण के मतदान के दौरान वर्धमान जिले में तीन लोग मारे गये थे.
माकपा के प्रदेश सचिव बिमान बोस ने आरोप लगाया कि उत्तर और दक्षिण 24 परगना में काफी धांधली हुई है जबकि हावड़ा में मार्क्स्वादी समर्थकों की पिटायी की गई और उन्हें मतदान से रोका गया. पुलिस ने कहा कि उत्तर-24 परगना के अमडांगा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और माकपा के बीच संघर्ष की घटनाओं की खबर है. माकपा कार्यकर्ताओं ने सत्ताधारी पार्टी द्वारा कथित बूथ कब्जे के खिलाफ विभिन्न शहरी इलाकों में कई स्थानों पर सड़क बाधित कीं.
इस में भी कांग्रेस दूर की कौड़ी खेल रही है ,ममता आज चाहे कांग्रेस के खिलाफ हो वह अस्थिर विचारों वाली महिला है,मुलायम माया ममता इन पर कोई स्थाई धारणा नहीं बने जा सकती और इन्हें कांग्रेस कभी भी ललचा कर अपने पाले में ल सकती है अतएव टी ऍम सी के खिलाफ अपने राज्यपाल की रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं करेगी.दूसरी और मा क पा से ऐसी ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती,इस लिए अभी उसे बंगाल में मार खानी पड़ेगी या कहिये कि पहले जो उन्होंने किया वह सब अब भुगत लीजिये.कांगरी बिल्ली मौसी बन दोनों से रोटी खाएगी.
इस में भी कांग्रेस दूर की कौड़ी खेल रही है ,ममता आज चाहे कांग्रेस के खिलाफ हो वह अस्थिर विचारों वाली महिला है,मुलायम माया ममता इन पर कोई स्थाई धारणा नहीं बने जा सकती और इन्हें कांग्रेस कभी भी ललचा कर अपने पाले में ल सकती है अतएव टी ऍम सी के खिलाफ अपने राज्यपाल की रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं करेगी.दूसरी और मा क पा से ऐसी ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती,इस लिए अभी उसे बंगाल में मार खानी पड़ेगी या कहिये कि पहले जो उन्होंने किया वह सब अब भुगत लीजिये.कांगरी बिल्ली मौसी बन दोनों से रोटी खाएगी