– शिवनाथ झा ।।
“मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं लेकिन “भ्रष्ट” लोगो का भी साथ नहीं दूंगा चाहे वह अन्ना हजारे और उनकी टीम ही क्यों ना हो।”
अन्ना हजारे द्वारा चलाये जा रहे इस तथाकथित राष्ट्रव्यापी आन्दोलन में उनकी टीम में जो लोग हैं उन्हें इस देश के कितने लोग जानते हैं? मेरा मानना है कि वे सभी उतना ही जानते हैं जितना समाचारपत्र या टीवी पर दिखाए जाते हैं या दिखाए गए हैं। दुर्भाग्य यह है कि आज समाचार पत्र या टीवी में जो भी संवाददाता इस ‘पुनीत’ कार्य में अपना सहयोग देकर देश के चप्पे-चप्पे में अन्ना और उनकी टीम की आवाज को बुलंद करने का ‘अथक प्रयास’ कर रहे है वे स्वयं इस बात से अनभिज्ञ हैं कि इन टीम मेम्बरानों की असली पहचान क्या है और वह कौन सी ताक़त है जो इनके पीछे खड़ी है?
एक पत्रकार होने के नाते मैं अपने इन पत्रकारों बधुओं की ‘विवशता’ को भी महसूस कर सकता हूँ लेकिन जहाँ लोकमत का सवाल है इस बात को कोई भी नहीं नकार सकता है कि संवाद बनाने और प्रस्तुत करने के बीच कोई भी अपना वक्त उस समाचार से संबंधित ‘गृह कार्य’ में नहीं लगाते। यह उनकी मज़बूरी भी है, आखिर ‘दौड़ का जमाना है’, जो पहले लोगों तक पहुंचा वही ‘सिकंदर’। इस दौड़ में भले ही समाज में विद्रोह हों जाए।
अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने दो दिनों पहले साफ़ और स्पष्ट जबाब देते हुए लोकपाल बिल के दायरे में गैर-सरकारी संस्थाओं (NGOs) को भी शामिल किए जाने की मांग को एक झटके में ख़ारिज कर दिया था। साथ ही, अन्ना की इस टीम के मेम्बरान ने विशेषकर जो NGO सरकार से पैसा नहीं लेते हैं उनको किसी भी कीमत में शामिल नहीं करने का एलान भी किया। क्यों भाई?
ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रधान तक सभी को लोकपाल बिल के दायरे में लाने की जबरदस्ती और जिद्द पर अड़ी अन्ना टीम NGO को इस दायरे में लाने के खिलाफ शायद इसीलिए है,क्योंकि अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी, संदीप पाण्डे और अखिल गोगोई द्वारा चलाये जाने वाले NGO पूर्णरूप से दुधारू गायें है, वह भी ऊँची नस्ल की.. जिन्हें जितना दुहो, उतना ही दूध देती हैं और ‘देसी’ चारे की भी परवाह नहीं क्योकि ‘चारा’ सीधा ‘विदेशों’ से आता है।
कुछ साल पूर्व जब लोगों को लोकपाल का नामों निशान तक याद नहीं था और सूचना अधिकार अधिनियम भी लोगों के बीच उतना ‘उत्तेजक’ नहीं बना था, अरविन्द केजरीवाल ने अपने एक संबंधी (जो उन दिनों ऑल इंडिया रेडियो में शीर्षस्थ पदाधिकारी थे और बाद में नेहरु संग्रहालय के अधिकारी बने) के पद का भरपूर लाभ उठाकर ‘प्राप्त सूचनाओं’ से खुद को और अपनी संस्था की नींव को मजबूत किया. उन दिनों अन्ना हजारे भी इतने ‘सक्रिय’ नहीं थे।
सूचना अधिकार विभाग से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इस अधिकार के तहत प्राप्त सूचनाओं का दुरूपयोग ज्यादा हुआ है और इस दिशा में कार्रर्वाई भी चल रही है ताकि यह आश्वस्त किया जाये कि किन प्राप्त सूचनाओं को किन-किन माध्यमों से इस्तेमाल किया गया है.
अग्निवेश, जो जंतर मंतर स्थित अपने कार्यालय सह आवास से 3-4 NGO चलाये हैं, देशी और विदेशी संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं, भारत को विदेशी बाज़ार में ‘सबसे गरीब देश” और यहाँ के आवाम को सबसे “निरीह प्राणी” बता कर इन सब मेम्बरान को करोड़ों रुपये का चंदा विदेशों से ही मिलता है। एन्फोर्समेंट एजेंसियां भी इस बारे में जांच की दिशा में कार्यरत हैं।
प्रशांत भूषण के बारे में सभी लोग जानते हैं. दिल्ली की अदालतों में इन्हें पीआईएल बेबी के नाम से जाना जाता है। वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा बहुत सारे मामलों में इनके पीआईएल की बदौलत और जस्टिस राजेंद्र सच्चर के सहयोग के कारण अपराधी को सजा मिली है, लेकिन न्यायालय ने यह भी फटकारा था कि ‘फिल्म्सी ग्राउंड’ पर पीआईएल दाखिल करना और कोर्ट का समय बर्बाद करने से दंड भी मिल सकता है।
किरण बेदी की संस्था नवज्योति कम से कम दिल्ली के लोगों से छिपी नहीं है. कहा जाता है कि 1984 के दंगो के बाद दिल्ली पुलिस के दो अफसरान बढ़-चढ़ कर मानव सेवा में आये, किरण बेदी भी एक थी. नवज्योति जनकपुरी से शुरू हुई। दंगे के पश्चात दिल्ली पुलिस के इन अफसरान ने डीडीए के 12 फ्लैट्स पर जबरन कब्ज़ा किया। आठ फ्लैट आमोद कंठ के ‘प्रयास’ ने दबोचे और चार किरण बेदी की नवज्योति ने। यह सभी फ्लैट्स आज भी इनके पास हैं. यह भी कहा जाता है कि नवज्योति एक विदेशी उच्चायोग की मदद से दिल्ली के यमुना पुश्ता इलाके में काम करने के लिए नवज्योति को पांच करोड़ से भी ज्यादा रकम दी गई लेकिन काम बीच में बंद कर दिया गया और सैकड़ों कर्मियों को सड़क पर धकेल दिया गया बेरोजगार कर के। यह भी कहा जाता है कि श्रीमती बेदी ने अपनी बेटी को नवज्योति का एक निदेशक भी बना डाला बिना किसी कागजी कार्रवाई के।
बेदी जब तिहाड़ जेल में अधिकारी थी तब दिल्ली के उप राज्यपाल विजय कपूर ने इन्हें इनके किसी ‘गलत फैसले’ के कारण पदच्युत कर दिया था। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि बेदी बदले की भावना से ग्रसित हैं और सरकार तथा गृह मंत्रालय को अपमानित करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोडती हैं। संभवतः, दिल्ली पुलिस का कमिश्नर ना बनाना इसके पीछे मुख्य कारण है।
जहाँ तक सवाल है सरकार से सहायता प्राप्त करने और नहीं प्राप्त करने वाले NGO का, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के विदेश प्रभाग की FCRA Wing के दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2008-09 तक देश में 20,088 गैर-सरकारी संस्थाएं काम करती थीं जिन्हें विदेशी सहायता प्राप्त करने की अनुमति भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा चुकी थी।
इन्हीं दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष2006-07, 2007-08, 2008-09 के दौरान इन NGO’s को विदेशी सहायता के रुप में 31473.56 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इसके अतिरिक्त देश में लगभग 33 लाख NGO’s कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश NGO भ्रष्ट राजनेताओं, भ्रष्ट नौकरशाहों, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के परिजनों, परिचितों और उनके दलालों के हैं।
तहकीकात से यह भी स्पष्ट है कि दिल्ली पुलिस से अवकाश प्राप्त लगभग सभी शीर्षस्थ अधिकारी गण, विशेषकर कमिश्नर और उनसे नीचे के आला अधिकारी (जिसमें बेदी को भी अलग नहीं किया जा सकता है) दिल्ली में बड़े पैमाने पर संस्थाएं चलाते हैं। यह भी कहा जाता है कि दिल्ली पुलिस द्वारा किये जाने वाले समस्त शोध/अनुसन्धान का कार्य, यहाँ तक कि अपराधियों को पकड़ने का कार्य भी इन ‘तथाकथित’ समाज सेवियों को दिया जाता है जो दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय से मोटी रकम भी वसूलते हैं।
केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त देश के सभी राज्यों की सरकारों द्वारा जन कल्याण हेतु इन NGO’s को आर्थिक मदद दी जाती है।एक अनुमान के अनुसार इन NGO’s को प्रतिवर्ष न्यूनतम लगभग 50,000 करोड़ रुपये देशी विदेशी सहायता के रुप में प्राप्त होते हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि पिछले एक दशक में इन NGO’s को 5-6 लाख करोड़ की आर्थिक मदद मिली। ताज्जुब की बात यह है कि इतनी बड़ी रकम कब..? कहां..? कैसे..? और किस पर..? खर्च कर दी गई, इसकी कोई जानकारी उस जनता को नहीं दी जाती जिसके कल्याण के लिए, जिसके उत्थान के लिए विदेशी संस्थानों और देश की सरकारों द्वारा इन NGO’s को आर्थिक मदद दी जाती है। इसका विवरण केवल भ्रष्ट NGO संचालकों, भ्रष्ट नेताओं, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और भ्रष्ट बाबुओं की जेबों तक सिमट कर रह जाता है।
main hairaan hoon ki is desh ki janata ne 12 dino tak anna hazare ke ek anargal mudde ko kyon aur kaise sahan kiya ?
आज देश की जो हालत हो रही है इसमे कही न कही हम भी जिमेंदर है इसलिये मात्र सांसदों को गलत कहना ठीक न होगा
महेंदर वैध
सामाजिक कार्यकर्ता
न्यू दिल्ली
9212148528
मैं अन्ना की लड़ाई देख क अपने गम दुःख भूल गे हूँ.और मैं भी आना क जैसे भूके रहे कर अन्ना के साथ रहना छठा हूँ उनकी लड़ाई मैं उन का साथ देना छठा हूँ..क्या मुझे कोई अना तक फुन्काये गा.मैं अपना सुब कुछ चोर कर उन क साथ अन्ना छठा हूँ.मुझे एक मुका दे अन्ना .मेरा नंबर है.९०९८१९८६०६
क्या आप पत्रकारों को इसमें शामिल करने पर सहमत होंगे ? यह बहस ही मूर्खतापूर्ण है !
सर पहली बात जन्लोकपाल में प्रधान को लेने की बात नहीं है.दूसरी बात क्या चोर अगर कहें की चोरी करना गलत बात है, तो आप नहीं मानेगे?तीसरी बात हर आदमी अपनी जीविका चलाने के लिए कुछ हाथ पाऊ मारता है.इन्होने २ लाख करोड़ के घोटाले किये है क्या?
हमारी मैडम जी हमारे PM और हमारे Rahul बाबा के सिवा इस देश में कोए इमानदार नहीं है
The campaign is being handled by people who run a clutch of generously funded NGOs whose donors include Coca-Cola and the Lehman Brothers. Kabir, run by Arvind Kejriwal and Manish Sisodia, key figures in Team Anna, has received $400,000 from the Ford Foundation in the last three years. Among contributors to the India Against Corruption campaign there are Indian companies and foundations that own aluminum plants, build ports and SEZs, and run Real Estate businesses and are closely connected to politicians who run financial empires that run into thousands of crores of rupees. Some of them are currently being investigated for corruption and other crimes. Why are they all so enthusiastic
अन्ना की पूरी टीम एन .जी.ओ.चलाने वाली टीम है . इस टीम में एक भी सदस्य बिना एन.जी.ओ. वाला नहीं है. टीम के हर सदस्य के बारे में श्री शिवनाथ झा जी ने बड़ी ईमानदारी से जानकारी दी है. ये लोग देश का भला क्या कर सकते है. इनके एन.जी.ओ. का रिकार्ड चेक किया जाना चाहिए. जिससे इनकी हकीकत देश के सामने आ जाएगी . धन्यवाद् झा सर .
अन्ना के आन्दोलन से जुरे सभी लोगो को देखना चाहिए की अन्ना और उनकी तें टीम के सभी मेम्बर नगों को लोकपाल के दायरे में नहीं रखना चाहते आखिर क्यों ये सभी सदस्य खुद एन जी ओ चला रहे है है साथ ही इस आन्दोलन पे इतना खर्चा हो रहा है टोपी मोबाइल सन्देश और भी प्रचार के जो माध्यम है उनपे बहुत खर्चा किया जा रहा है ये धन कहा से आ रहा है
काले अंग्रेज सुधर जा अभी भी समय ही तुम लोगों को गुलामी करने की आदत जो ही दुसरो की जूता चाटने का………….
यार हमारी बात सुनो..ऐसा एक इंसान चुनो, जिसने पाप न किया हो..जो पापी न हो.
….और जो खुद को ईमानदार भी कहता हो?
अन्ना जी की वजह से बुरे लोग अच्छे बन रहें हैं , यह तो अच्छी बात है. बाल्मीकि जी भी तो पहले डाकू ही थे . सब को सुधरने का मौका और प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
काश ये डाकू भी सुधर पाते.. Shayad aapko nahi maaloom ki ab ye aandolan ‘Bharat Mata’ ke liye nahi, balki ‘Hindostan’ ke liye hone laga hai.. Maulana Abdulla Bukhari ke objection ke baad Raamlila Ground me ‘वन्दे मातरम’ kehne per bhi paabandi laga di gayi hai.. भारत माता की जय kehne per bhi rok hai… Wahan backdrop se Bharat Mata ki tasweer badal di gayi hai.. Ab wahan Gandhi ji ki photo hai.. ab toh Team Anna ne Rahul Baba me bhi apna full Support de diya hai..
ARE they trying to destablise URBAN India too? Is it part of an international conspiracy of the COMMUNISTS?
THE DABBAWALS IN MUMBAI WERE BEING EYED BY THE NAXALITES FOR A LONG TIME. IS IT JUST A COINCIDENCE THAT THEY HAVE GONE ON STRIKE TODAY FOR THE FIRST TIME IN MORE THAN100 YEARS.
http://www.dnaindia.com/mumbai/report_ultra-left-eyeing-the-dabbawalas_1101786
IN THIS CONTEXT, IN INDIA, WE MUST EXAMINE WHAT THE ULTRA LEFTISTS ARE DOING IN ANNA’S CAMP.
SOME OF THE ULTRA LEFTISTS IN ANNA’S CAMP:
1. SWAMI AGNIVESH — A KNOWN NAXAL SYMPATHISER
2. MEDHA PATKAR — A KNOWN ultra left activist
3. PRASHANT BHUSHAN — A COMMUNIST CRUSADER WHO ALSO FIGHTS CASES FOR ALLEGED INDIAN MUJAHIDEEN TERRORISTS
http://www.thehindu.com/opinion/lead/article1696970.ece (Prashant Bhushan’s article shows JAN LOKPAL BILL IS IN FACT THE COMMUNIST MANIFESTO OF THE NAXALITES.)
4. AISA (Student wing of CPI -ML) showed black flags in Kapil Sibal’s meet recently.
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-08-17/india/29895674_1_black-flags-kapil-sibal-gandhian-anna-hazare
प्रिय मित्र आपने अन्ना टीम के सदस्यों की जानकारी दी बुत बहुत धन्यवाद| मै सीधे तौर पर अग्निवेश को जनता हूँ |यह व्यक्ति गुरुकुल कांगडी हरिद्वार के कब्जे से लेकर भूमि घोटाले, धर्मपरिवर्तन कर इसे बनाने में संलिप्त, नक्सलवादी है | आपने जो बहुमूल्य जानकारी दी इसके लिए साधुवाद|
अन्ना और उनकी टीम को अपनी सम्पति का खुलासा कर देना चाहिए जिससे उन पर आरोप लगना बंद हो जायेगा . देश का बड़ा बर्ग एक तरफ अन्ना का साथ दे रहा है वही दूसरी तरफ अन्ना की टीम में कुछ भरष्ट लोग है ऐसा भी आरोप लगा रहा है . इसलिए भारत सरकार को इन सब लोगो की सम्पति की जाँच करनी चाहिए.और सभी एन.जी.ओ. की प्रोपर्टी की जाँच करनी चाहिए .इसमें अन्ना और उनकी टीम को कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए. सब कुछ स्पस्ट हो जायेगा.
प्रथम काम तो ये कीजिये कि मुझे मीडिया दरबार से सीधा जोड़ दीजिए, फिर ये भी साफ़ भी कर दीजिए कि ये सब आप अन्ना के समर्थन में कर रहे हैं या कि विरोध में? वैसे इस रिपोर्ट में जो लिखा है और वो सच सच है, तो वाकई बेहद गंभीर है…
आप इस पोर्टल से स्वयं भी जुड़ सकते हैं दिनेश जी.. होम पेज पर जाएं और “सदस्य बनें” की खिड़की में अपना ई-मेल पता लिख दें फिर Subscribe बटन दबाएं.. कोई परेशानी हो तो, [email protected] पर मेल करें।
धन्यवाद
जब देष में प्रधानमंत्री से न्यायालय तक जनलोकपाल के दायरे लाने की मांग की जा रही है तो देष विदेष से अरबों रूपये बट ोरने वाले एनजीओं को लोकपाल के दायरे में क्यों छूट दी जा रही है?
अब अन्ना अन्ना की लहर चली है.
गली,गांव , नगर नगर चली है,
क्या होगा अंजाम इस तूफां का ,
सुगबुगाहट भी कुछ कदर चली है.
ये बात सही है की बुनियादी ढांचे में हमेशा कहीं न कहीं कोई खामी जरूर रह जाती है, उदहारण के लिए यदि हम एक मकान की नीव में कुछ कमी पते हैं तो उसको दूर करने का प्रयास अवश्य करते हैं. और उसके बाद के निर्माण में सावधानी भी बरतते है, कुछ ऐसा ही अन्ना आंधी में भी दिखाई दे रहा है. किसी भी अच्छे काम में बुरे लोगों का आ जाना कोई नई बात नहीं है. किन्तु उनका कद ऊँचा होने न होने पाए इसका प्रयास शुरू कर देना चाहिए.
जन Lok pal बिल to sahi है, लेकिन क्या इसी कानून से सारी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी? और फिर सरकार इन भ्रष्ट खिलाड़ियों के सहारे इतना महत्वपूर्ण बिल कैसे छोड़ दे? इस आन्दोलन में भी अन्ना को छोड़ कर सभी भ्रष्ट हैं..
सौ में निन्यानवे बेईमान.. फिर भी मेरा भारत महान
आपने सही नब्ज़ पकड़ी है.
Anna jo kar rahe haie o bil kul sahi kar rahe haie mera suport to anna hazare ko hai. Muje to janlokpal ke bare me jyada jankari nahi hai par. anna jo kar rahe hai oh desh ki janta ke liye kar rahe haie.
ये तो कांग्रेसियों का प्रचार लग रहा है। मुझे लगता है कि सरकार अन्ना से बुरी तरह डर गई है और झूठे आरोप लगाने मे जुटी है।
प्रिय पटनायक जी, क्या ये जरुरी है के हर वो व्यक्ति जो अन्ना का समर्थन नहीं करता वो कांग्रेसी ही हो.
जोर्ज बुश की तरह क्या पूरी दुनिया को दो हिस्सों ( जो अमेरिका के साथ नहीं वो आतंकवाद के साथ है) बांटा जाना जरुरी है.????