बुधवार शाम जब किरण बेदी तिहाड़ जेल में अण्णा से मिल कर बाहर निकलीं तो उनसे टीवी और प्रिंट के मीडियाकर्मियों ने पूछा कि उनकी अगली योजना क्या है? इस पर किरण बेदी ने कहा, “आपको जल्दी ही पता चल जाएगा..”
लेकिन सब को उनके ट्वीट के जरिए अन्ना के संदेश मिले। बाद में ढाई बजे रात के बाद किरण बेदी ने दोबारा ट्वीट किया और लिखा कि अण्णा दिल्ली पुलिस के प्रस्तावों पर रामलीला मैदान जाने के लिए राज़ी हो गए हैं। पूरे देश में यह खबर ट्विटर के हवाले से टीवी चैनलों पर भी फैल गई। अण्णा के आंदोलन में सबसे बड़ी भूमिका अगर किसी की रही है तो वह है थर्ड मीडिया, यानि वह इंटरनेट जिस पर आप यह खबर पोस्ट के जरिए पढ़ रहे हैं।
न सिर्फ किरण बेदी के ट्वीट बल्कि लाखों समर्थको के फेसबुक और गूगल प्लस से भेजे गए संदेशों ने अण्णा को आम आदमी के और पास ला खडा किया है, लेकिन खबर है कि अब केंद्र सरकार इस पर चुपके-चुपके लगाम कस रही है। बताया जा रहा है कि ब्लॉगिंग और नेटवर्किंग की जंग में आम आदमी से नहीं जीत पाई तो उसने यह हथकंडा शुरु कर दिया।
बुधवार को दिल्ली समेत देश के कई इलाकों में न सिर्फ इंटरनेट बुरी तरह प्रभावित रहा, बल्कि इस पर खुलने वाली कई साइटें भी लड़खड़ा कर ही खुलीं। दिलचस्प बात यह है कि इस कदम में सरकार का साथ कई आईएसपी ने भी दिया। पूर्वी दिल्ली, जहां कई मध्यम स्तर के अखबारों और पोर्टलों के दफ्तर हैं, में बुघवार को एयरटल का ब्रॉडबैंड ठप पड़ गया। गौरतलब है कि अण्णा को पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार से ही गिरफ्तार किया गया था और जहां फौरन स्थानीय लोगों ने पुलिस की गाड़ी को घेर लिया था। देश के कई हिस्सों में फेसबुक और दूसरे आंदोलन से जुड़े वेबसाइटों के नहीं खुलने की शिकायतें आ रही हैं। बीएसएनएल का सर्वर भी कई जगह और कई बार ठर हो गया। ऐसा लगता है सरकार मीडिया से कम, थर्ड मीडिया से ज्यादा घबराई हुई है।