-दिलीप सिकरवार||
वरिष्ठ पत्रकार मयंक भार्गव ने माना कि दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन मुश्किल भरा होता है किन्तु नामुमकिन नही. क्योंकि सरकार की रहम दृष्टी से डेली अखबार चल जाते है, मगर साप्ताहिक समाचार पत्र का सम्पादन घास के ढेर में अंगूठी तलाशने जैसा है. कोई सालों से साप्ताहिक अखबार चला रहा है तो वाकई ऐसे जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए. श्री भार्गव खुद राष्ट्रिय एवं प्रादेशिक स्तर के अखबार, टी वी न्यूज़ चैनल में काम कर चुके हैं. आज उनका दैनिक राष्ट्रिय जनादेश निकल रहा है. जो अपनी खासी पहचान बना चूका है.
पापुलर न्यूज़ इंडिया/ आत्मा का तांडव के एक कार्यक्रम में श्री भार्गव बोले- आज का समय प्रिंट और द्रश्य दोनों ही के लिए जटिल है. अपनी पहचान कायम रखने के लिए सतत महनत जरूरी है. केवल अखबार निकल लेना ही काफी नही है.
सम्पादक विन्देश तिवारी ने जटिल परिस्तिथि में अख़बार का प्रकाशन के भेद खोले. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, कुकुट विकास निगम के अध्यक्ष मोईनुद्दीन, कलक्टर राजेश मिश्रा, पूर्व विधायक विनोद दागा, निगरानी समिति चेयर मेनन प्रशांत गर्ग, हरिओम, राजेन्द्र आदि शामिल थे.
मिडिया का मिडिया ही शोषण कर रहा है
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