मुंबई में डांस बार बंद हो जाने के कुछ बरस बाद बंगलौर में डांस बार आबाद होने लगे हैं जहाँ आधी रात को डांस बार के नाम पर गरम गोश्त का बाज़ार सजने लगता है और देह के व्यापारी हर रात मजबूर लड़कियों के जिस्म की सौदेबाज़ी करते नज़र आते हैं. बीबीसी संवाददाता “सलमान रावी” ने पूरे मामले की तह में जाकर यह रिपोर्ट तैयार की है जिसे हम बीबीसी के सौजन्य से अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं…
शाम के ढलने के साथ ही महफ़िल सज चुकी है. यहाँ समां है, संगीत है, शराब है और साकी भी है. जैसे-जैसे शराब का सुरूर चढ़ता जाएगा वैसे-वैसे महफ़िल का रंग भी निखरता चला जाएगा.
रात जब अपने परवान पर होगी तब बंगलौर का ये डांस बार एक मंडी में तब्दील हो चुका होगा जहाँ जिस्म की क़ीमत आँकी जा रही होगी.

क्या नौजवान और क्या बूढ़े, यहाँ सब बराबर हैं. बंगलौर के डांस बार में ये रौनक पांच सालों के बाद लौटी है.
इन बारों में लड़कियों को तनख्वाह नहीं मिलती है. यहाँ शराब पीने आए लोगों की टिप पर इनका घर संसार निर्भर करता है.
एक बार बाला का कहना था, “अब हर दिन एक जैसा नहीं होता. किसी दिन कम पैसे मिलते हैं किसी दिन कमाई अच्छी होती है. ग्राहकों को खुश करना हमारा काम है.”
हालाँकि सभी बताती हैं कि डांस बार की आड़ में जिस्म फरोशी का धंधा भी होता है. मगर ये इनकी मजबूरी है. ये इस दुनिया में आ तो गई हैं. लेकिन यहाँ से बाहर जाने के सारे रास्ते बंद हैं.
इनकी ज़िन्दगी बार की चकाचौंध से शुरू ज़रूर होती है मगर इसका अंत जिस्म फरोशी की बदनाम काली गलियों में जाकर होता है.
नई शर्तों पर खुले बार
हालाँकि डांस बार पर रोक तकनीकी रूप से जारी है मगर अब इन्हें शर्तों पर खोला गया है. शर्त है कि यहाँ पर लड़कियों का नाच नहीं होगा. वो सिर्फ बार में बैरे का काम करेंगी. यानी अब वो इन बारों में सिर्फ शराब परोसेंगी. नयी शर्तों के बाद ये डांस बार ‘लेडीज़ बार’ के नाम से जाने जा रहे हैं.

टी सुनील कुमार,अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर
बंगलौर के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार का कहना है कि डांस बार पर प्रतिबन्ध आज भी जारी है मगर डिस्को चलाने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं.
वो कहते हैं, “डिस्को में सिर्फ जोड़े जाते हैं जो वहां जाकर डांस करते हैं. वहां पर पहले से लड़कियां नहीं होतीं हैं जबकि डांस बार में लड़कियां पहले से मौजूद रहती हैं और वो वहां नाचती हैं. हमने इसकी इजाज़त नहीं दी है.”
अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर का कहना है कि जिन लेडीज़ बारों को खोले जाने की अनुमति दी गई है वहां पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. बार संचालकों से कहा गया है कि वो सारी गतिविधियों को कैमरे में क़ैद करें.
सीसीटीवी
मगर कुछ लोग इस फैसले से खुश नहीं हैं क्योंकि वो कहते हैं सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का फैसला आम आदमी की निजता में दखलंदाजी है.
मगर पुलिस का कहना है कि ये बार में जिस्मफरोशी को रोकने की दृष्टि से किया गया है. सुनील कुमार के अनुसार लोगों को पता रहेगा कि उनकी हर गतिविधि कैमरे में रिकॉर्ड हो रही है तो वो एहतियात बरतेंगे.
लेडीज़ बार खुलने से विवाद भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि अब डिस्को चलाने वाले और लेडीज़ बार संचालक आमने-सामने आ गए हैं.
लेडीज़ बार संचालकों का कहना है कि इस मामले में पुलिस दोहरा मापदंड अपना रही है. उनका आरोप है कि जहाँ उनके लिए नियम को कड़ा कर दिया गया है वहीं डिस्को की आड़ में लड़कियों को ग्राहकों के सामने परोसा जा रहा है.
डिस्को की आड़ में
वो कहते हैं कि डिस्को चलाने वाले बड़ी पूँजी वाले लोग हैं जिनकी बड़ी लॉबी है. उनका आरोप है कि इसीलिए डिस्को संचालकों को खुली छूट दी जा रही है.
शहर के एक संभ्रांत इलाके में मौजूद एक लेडीज़ बार के संचालक का कहना है कि बार बंद होने की वजह से वो क़र्ज़ में डूब गए थे.
वहीं एक लम्बे अरसे से बेरोज़गारी झेल रही बार बालाओं नें भी रहत की सांस ली है.
बंगलौर के एक डांस बार में मेरी मुलाक़ात कुछ ऐसी ही बार बालाओं से हुई जो शाम की महफ़िल के लिए सज-धज कर तैयार थीं. बार संचालक से अनुरोध करने पर मुझे इन लड़कियों से बात करने की अनुमति मिली.
मुश्किलें

डांस बार में काम करने वाली महिला
इस बार की ज़्यादातर लड़कियां हिंदी भाषी हैं जो आगरा, ग्वालियर और पंजाब की रहने वाली हैं. पहले ये मुंबई के बार में काम किया करती थीं. फिर बार के बंद होने के बाद ये बंगलौर चली आईं.
नाम नहीं बताने की शर्त पर ये लड़कियां बात करने के लिए तैयार हुईं. सबका कहना था कि बंदी के दिनों में वो बड़ी मुश्किल से अपना गुज़ारा कर पाती थीं. उनका कहना है कि वो शादी या फिर दूसरे समारोह में नाच कर किसी तरह गुज़र किया करती थीं.
वैसे डांस बार की लड़कियां बताती हैं कि एक बार डांसर का जीवन 16 वर्ष की उम्र से शुरू होता है. जैसे-जैसे उम्र ढलती है, इन्हें कोई नहीं पूछता. बाद की ज़िन्दगी बेहद तकलीफदेह बन कर रह जाती है क्योंकि इनकी कीमत इनके चेहरे से लगाई जाती है. ज्यादा उम्र वाली औरतों का बार में कोई काम नहीं.
जो ग्राहक इन पर कुछ साल पहले तक पैसे लुटाया करते थे, अब इनकी तरफ मुड़ कर देखते भी नहीं.
मुंबई के बार गुजरात की शराब यदि सही रूप से बंद करदी जा ऐ तो दौनो राज्यों की पुलिस के हालत मंदिर के उस भिखारी की तरह होगी जो की रोज आकर मिन्दर मै आकर विराजे रहते है मेने अपनी आँख से गुजरात मै शराब के अड्डों पर पुलिस को माथा टेकते देखा है
I like this.
रिश्बत खोर BHRASTACHATI गद्दारों इन गरीब ओरतो को अपना जिस्म बेचने दो
हिम्मत है तो RAST KE गद्दारों को पकड़ो
KOI GAREEB OURAT AAPNA JISM BECH KAR DHAR CHALATI HAI TO BO BESHYA AOR JO DESH BECH KAR NOT KAMATE BO RAST BHAKT…………..JAY JAY SHREE RAM………………