-नालंदा से संजय कुमार||
सहारा इंडिया द्वारा कोर्ट में अपीलीय प्रकिया में उलझा कर अपना हित साधा जा रहा है. निवेशको की जमा राशि लौटाने के बजाय विवादित राशि को दूसरी योजनाओं में कन्वर्जन किया जा रहा है. कही सहारा इंडिया की यह चाल उसे डूबा न दे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाज़ार नियामक सेबी ने सहारा इंडिया की, सहारा हाऊसिंग तथा सहारा रियल स्टेट की दो योजनाओ के मार्फ़त व्सूल की गए राशि को अबैध करार दिया था .जानकर बताते है की आदेश के समय लगभग ९६००० करोड रूपये दो योजनाओं में जनता ने निवेश किया था. दो योजनाओं को सेबी द्वारा अवैध ठहराने के बाद सहारा इंडिया ने अपनी अन्य योजनाओ में उक्त राशि का कन्वर्जन करवाना शुरु कर दिया था. अपीलिय प्रक्रिया में उलझा कर सहारा इंडिया ने अपना हित साधने का काम किया है. बताया जाता है की सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसला आने तक सहारा इंडिया ने लगभग १७४०० करोड रुपया ही उक्त दोनों योजनाओ में जमा रहने की बात बतायी गयी है.
सहारा इंडिया द्वारा देश के कई अखबारों में दो – दो पेज का विज्ञापन छपवा कर यह कहा गया था कि निवेशक घबराये नहीं. हमारे पास पैसे की कमी नहीं है. सभी की राशि सुरक्षित है. परन्तु, सभी दावों के विपरीत हकीकत कुछ और ही है. सहारा इंडिया अगर पाक-साफ होती तो माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तुरंत राशि लौटा देती लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
सहारा इंडिया के एजेंट निवेशको से कन्वर्जन करवाने हेतु किसी हद तक भी जाने को तैयार है. एजेंट द्वारा निवेशकों को यह कहा जा रहा है की आप कन्वर्जन करवा ले वरना आपकी राशि वापस लेने हेतु पटना-मुम्बई दौराना पड़ेगा. कब राशि मिलेगी , वह भी पता नहीं. अधिकांश निवेशक इन एजेंट के झांसे में आकर कन्वर्जन करवाने हेतु मजबूर हो रहे है, आखिर करे तो क्या करे.
एक निवेशक ने बताया की क्या करू, पैसा अटका हुआ है. सहारा इंडिया एक ही बार न धोखा देगी. एजेंट दुबारा पुनः नया खाता मांगने पर चप्पल से मारेगे. कई निवेशक एजेंट के खांसे में नहीं आ रहे है. एजेंट गलत – सलत बाते बता रहे है. परन्तु इन पर कोई असर नहीं हो रहा है. वे कह रहे है, जो होगा देखा जाएगा .सहारा इंडिया दुबारा हमेशा कहा जाता है की यह कंपनी निबेशको के हित की रक्षा करती है. परुतु हकीकत कुछ और ही है. आम निवेशक अपने जरूरत के अनुसार ,सहारा की बिभिग्न योजनाओ में निवेश करती है. कोई बच्ची की शादी, तो कोई बच्चों की पढ़ाई हेतु निवेश करते है. ताकि समय आने पर राशि का उपयोग अपनी जरूरतो को पूरा करने में कर सके.
परन्तु, हकीकत आज के राजनेताओ की तरह है, अपना हित साधो, भाड में जाये जनता उसी प्रकार ,सहारा की मनसा है – अपना हित साधो ,भाड में जाये निवेशक .
आम निवेशको के साथ सहारा इंडिया मनमानी करती ही है, अपने कर्मचरियों का शोशन करने में जरा-भी गुरेज नहीं करती है. ऑफिस की ड्यूटी है- १० से ५ बजे तक, काम लिया जा रहा है, देर रात तक.. कर्मचारी करे तॊ क्या करे. सहारा इंडिया में कोई यूनियन नहीं है.
जानकार बताते है कि सहारा इंडिया में काले धन का निवेश ज़्यादा है. ऐसे निवेशक पकड जाने के भय से अपना निवेश दूसरे योजनाओ में तुरंत कन्वर्जन करवा लेते है. सेबी दोबारा अगर पूरे निबेशको कि जमा राशि कि जांच किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाये तॊ बहुत बड़े काले धन का पता चल सकता है.
सहारा इंडिया द्वारा निवेशकॊ को धन वापस करने की बजाय कन्वर्जन के मार्फ़त दूसरे अन्य योजनाओ में निवेश से सहारा इंडिया को तात्कालिक फायदा तो हो सकता है, परन्तु भविष्य में उसे भारी कीमत चुकानी पड सकती है. एक -एक खाताधारक को अपने भुगतान के लिए तरसना पड सकता है.