- क्या PTI को नहीं है टिप्पणी का अधिकार?
- अखबारों और निजी चैनलों को क्यों नहीं नोटिस भेजा कृष्णा ने?
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) संसद की एक रिपोर्ट पर आमने सामने टकरा गए हैं। कृष्णा ने अपने वकील के जरिए पीटीआई से एक रिपोर्ट में उनके खिलाफ की गई टिप्पणी पर सार्वजनिक माफीनामे की मांग की है।
गौरतलब है कि एजेंसी ने विदेश मंत्री को “ऐबसेंट माइंडेड” (कहीं और मगन) कहा था, जिसके बाद कृष्णा भड़क उठे। हालांकि इस मुद्दे को लेकर वे मीडिया में नहीं गए, लेकिन उन्होंने वकील के जरिए माफीनामा मांगा है। पीटीआई सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्री ने उनकी रिपोर्ट को गलत और दुर्भावना युक्त बताते हुए उसे कानूनी नोटिस दिया है। नोटिस में सार्वजनिक माफी की मांग के साथ-साथ यह आरोप भी लगाया गया है कि मंत्री की छवि को जानबूझ कर खराब किया गया है।
उधर समाचार एजेंसी पीटीआई ने इस नोटिस को एक असमान्य कदम बताया है। गौरतलब है कि गुरूवार को संसद में लोकसभा स्पीकर द्वारा कृष्णा को श्रीलंका में स्थिति पर बयान दिए जाने की अनुमति दिए जाने पर काफी देर तक संबंधित फाइल नहीं मिली। इस पर एजेंसी ने कृष्णा पर यह टिप्पणी की थी। एजेंसी सूत्रों ने कहा है कि रिपोर्टर कई राजनेताओं के लिए कई तरह की टिप्पणी करती रहती है, लेकिन इसमें किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं होती और न कोई राजनेता ऐसी प्रतिक्रिया करते हैं तै
उल्लेखनीय है कि इससे पहले फरवरी में कृष्णा की काफी किरकरी हुई थी जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में अपने भाषण की बजाय पुर्तगाली विदेश मंत्री की स्पीच पढ़ दी थी। तब भी उन्हे अखबारों और चैनलों में यही सब कहा गया था।
सवाल यह भी उठता है कि विदेश मंत्री अपनी आलोचना से इतना बिफर क्यों रहे हैं? कृष्णा की निंदा कई समाचार पत्रों और टीवी चैनलों ने की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नोटिस किसी को नहीं भेजा है।
kya हो गया कृष्णा जी ? आप तो दिल से लगा बैठे मीडिया वालों की बातों को.. अरे भाई सरकारी एजेंसी ने थोड़ा ऊँचा लिख दिया तो आप तो केस मुकदमा ले के चढ़ दौड़े..? थोड़ा घर वालों की बात पर भी ध्यान दे लिया कीजिये… बादाम की गिरी पीस कर दूध में डाल के पी लिया कीजिये.. याद्दाश्त दुरुस्त रहेगी.. 🙂