जैसा कि हम सभी जानते हैं. गोवा में अन्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल चल रहा है और गोवा के मैरियट होटल में फिल्म बाजार भी चल रहा है जिसमें अनेकों फ़िल्में दिखाई जा रही हैं. लेकिन यही फिल्म बाज़ार एक फिल्म निर्देशक के साथ कैसा व्यवहार करता है जिसकी तीन फ़िल्में इस फिल्म बाज़ार में दिखाई जा रही हैं..
आइये जानते हैं. मीडिया सलाहकार से फिल्म निदेशक बने हरीश शर्मा से. उन्होंने बताया कि, ” मैं कोलकाता से सीधे गोवा आया फिल्म बाज़ार में क्योंकि मेरी इसमें तीन फ़िल्में दिखाई जा रही हैं. लघु फिल्मों की श्रेणी में “आखिरी मुनादी” वृतचित्र श्रेणी में ‘सोल्ज़र बीकम्स ए सोल्जर” और फीचर फिल्म की श्रेणी में “2 नाइट्स इन सोल वैली” जो कि 28 दिसम्बर को रिलीज़ होने वाली है.
हरीश शर्मा बताते हैं कि जैसे ही मैं एन ऍफ़ डी सी जहाँ मेरी फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही थी पंहुचा प्रतिकिया जानने के लिए. एक लड़की मुझे वहां मिली मैंने उसे बताया की मेरी तीन फ़िल्में यहाँ दिखाई जा रही हैं. उस लड़की ने मुझसे कहा कि क्या आप हरीश शर्मा हैं? यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ कि क्या बात है इसे मेरा नाम भी याद है मैंने उससे कहा कि बस मैं एक बार अन्दर जाकर देखना चाहता हूँ कि मेरी फ़िल्में आप कैसे दिखा रहे हैं. तो उसने कहा कि अन्दर जाने के लिए आपको पंजीकरण करना पड़ेगा. मैंने कहा ठीक हैं. जब मैं पंजीकरण करने के लिए गया तो मुझे वहां तीन सज्जन मुझे मिले उन्होंने मुझे एक फॉर्म भरने और फीस 10 हजार रुपये भरने के लिए कहा यह सुनकर मैं चौंक गया क्योंकि 24 नवंबर आखिरी दिन हैं. फिल्म बाज़ार की और सिर्फ एक दिन के लिए इतनी बड़ी रकम भरना कोई बुद्धिमानी की बात नही थी मेरे हिसाब से. मेरे बार बार अनुरोध करने के बावजूद भी उन्होंने मुझे अन्दर जाने नही दिया.
क्या करता ऐसे में मैं? मैंने एन ऍफ़ डी सी का उनके इस व्यवहार के लिए धन्यवाद किया और वहां से चलता बना.
story kuchh samajh me nhi aayi.
jinki film chal rhi h unke liye to Special pass hone chahiye.