


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन यानि आईआईएमसी में इन दिनों माहौल हर दिन नए रंग बदल रहा है। एक तरफ जहां देश के इस सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऐडमिशन लिस्ट तैयार करने में कथित धांधली का मामला जातिवादी रंग में भी रंगा नजर आ रहा है।
एनडीटीवी की एडीटर बरखा दत्त की हूटिंग कर चर्चा में आए संस्थान के पूर्व छात्र योगेश कुमार शीतल के साथी अनूप आकाश वर्मा ने ऐडमिशन लिस्ट के मामले में दिलीप मंडल से दखल देने की अपील की है। हालांकि दिलीप आईआईएमसी से महज़ ऐकेडेमिक एसोशिएट की हैसियत से जुड़े हैं, लेकिन उनके मिशनरी तेवरों और हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षित सीटों के मामले में उन्हें मिली सफलता के कारण छात्र उनसे खासे प्रभावित हैं। अनूप खुद जामिया के छात्र रहे हैं और पंचायत जनादेश के संपादक हैं। अनूप के फेसबुक अकाउंट पर लिखे इस पत्र के मुताबिक आईआईएमसी की पहली सूची में जातिगत आधार के कोटे का विवरण स्पष्ट नहीं किया गया है। पत्र कुछ इस प्रकार है:-
सेवा में,
श्री दिलीप मंडल जी,
आईआईएमसी,
अरूणा आसफ अली रोड,
नई दिल्ली-110067
विषय ; घोखाधड़ी के विरोध में समर्थन हेतु |
मान्यवर,
ये बेहद खुशी की बात है की आपके माध्यम से पिछले काफी समय से दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी की सीटों की चोरी के मामले उजागर हो रहे हैं|ये कटु जातिवादियों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है, मगर इसमें उन लोगों को भी जागने की ज़रूरत है जिनके अधिकारों का हनन हो रहा है अर्थात जिनकी सीटे बड़ी आसानी से लूट ली जाती हैं|कल दिनांक 2-08-11 को फेसबुक के माध्यम से आपका एक स्टेटस पढ़ा, जिसकी हू-ब-हू नकल निम्नलिखित है :
Dilip Mandal
देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी DU में खलबली। आज M.Phil सोशियोलॉजी की एडमिशन लिस्ट आई है। 28 कैंडिडेट चुने गए हैं। लेकिन यह नहीं बताया गया है कि कौन किसी कोटे से है। यह नोटिस है- The breakup by reserved category and merit is available in the office for hostel purposes and has been sent to the university. जातिवादियों को थोड़ा और डराने की जरूरत है। चोर रोशनी देखकर भागता है।
http://www.du.ac.in/fileadmin/DU/students/Pdf/admissions/2011/M.Phil/0282011_MPhil_Socio.pdf
मैं आपको ध्यान दिलाना चाहूंगा की इस वर्ष आईआईएमसी सत्र 2011-12 की दाखिला सूची भी इसी प्रकार निकाली गयी थी..पहली सूची में 58 लोग चुने गए,लेकिन यह नहीं बताया गया था की कौन किस कोटे से है|आपके शब्दों में कहें तो अभी इन जातिवादियों को और डराने की ज़रूरत है|और मैं तो बचपन से ही ये मानता आया हूँ की चोर रोशनी देख कर भागता है|
हम अपने स्तर पर प्रयासरत हैं, आपसे सहयोग की उम्मीद है…
ज़वाब के इंतजार में……..
प्रार्थी
अनूप आकाश वर्मा
संपादक,पंचायत सन्देश
राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका
अब देखना है दिलीप मंडल इस पत्र पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं और उसका क्या नतीजा निकलता है।
माननीय श्री राजेन्द्र शर्मा जी क्या आप ये बताने का कष्ट करेंगे की मैंने पाप कौन सा किया है जो मै दूध का धुला नहीं हूँ..वैगरह…वैगरह…या जो आईआईएमसी कर लेता है पत्रकारिता जगत में दूध से नहा लेता है….बाकी लोगों की आत्मा भटकती रहती है….अमां यार चाटुकारिता की भी कोइ सीमा होती होगी..मंडल जी के शब्दों में उसकी भी कोई जात होती होगी….की सब अईसे ही है….
ये अनूप आकाश कौन सा दूध का धुला है.. आईआईएमसी मे ऐडमिशन नहीं मिला तो बखिया उधेड़ने में जुट गया। ये वैसे तो संपादक बना फिरता है लेकिन अपने ही मुद्दे को उठाने के लिए ब्लॉगरों का सहारा लेता है.. और दिलीप मंडल क्यों इसके मुद्दे को उठाएंगे.. अपनी नौकरी प्यारी नहीं है क्या उन्हें.. मुंह ढंक के सोईए..
सही कहते हैं दिलीप मंडल क्यों उठाएंगे इस मुद्दे को उन्हें भी तो अपनी नौकरी प्यारी है वो भी तो भला चादर ओड़ कर घी पीने में माहिर होंगे……..सही कहते हैं उन्हें भी तो अपनी नौकरी की चिंता है..तभी तो अपने घर में क्या हो रहा है आँखें मूंदे बैठे हैं…इनसे तो बस दिल्ली विश्वविद्यालय खुदवा लो….या बैठे-बैठे अपने २-४ चाटुकार बना लो जो उनके कुछ न बोलने पर खुद ही कांव-कांव करना शुरू कर दें…….
well done guys you have done extraordinary job to highlight corruption in iimc
शुक्रिया अभिषेक…साथ ही ऐसे लोगों को भी उधेड़ते रहने की ज़रुरत है जो बिना मालिक के कुछ बोले ही झुला-झुला उठाते हैं……कांय-कांय करने लगते हैं..