बहुत बना चुके यूपी की इमेज, अब नई दूकान खोजो. यूपी सरकार में विकास और प्रोफेशनलिज्म की सरपरस्ती और नुमाइंदगी कर रहे शख्स ने तो कम से कम यही इशारा कर दिया है. कई मौकों पर इस नुमाइंदे को लगभग साफ तौर पर सख्त इशारा कर दिया गया है कि सरकार की इमेज बिल्डिंग के बजाय अपनी आलीशान बिल्डिंग बनाने की कोशिशें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. भइये, बहुत बेच चुके अब सरकार को, अब तो निकलो मेरे घर से बाहर. सत्ता और दलाली के गलियारों में सदाएं गूंजने भी लगीं हैं कि: अरे, बाकायदा बे-बाइज्जत करके ही निकाला जाए तुमको, तब समझ में आयेगा क्या.
उत्तर प्रदेश सरकार की शुरूआत में ही सरकार के ब्रांड एम्बेडेसर के ओहदे जैसे मंत्री की धका-धका दूकान का शटर अब बंद होने की कगार पर है. ऐसे कड़े इशारों के चलते अब इन साहब की दूकान पर माल है ही नहीं, तो खरीददार कैसे जुटें. सो, नदारद खरीददार के चलते इस ब्रांड-एम्बेसेडर की दूकान पर श्मशानी-सन्नाटा पसरा हुआ है. नेता जी के पास तो अब मक्खी तक नहीं फटक रही है. उधर इशारे करने वालों ने तय कर रखा है कि अगर ब्रांड-एम्बेसेडर की करतूत खत्म नहीं हुई तो उनकी दूकान पर ताला डलवा दिया जाएगा.
पैंट-शर्ट छोड़कर नेतागिरी
इन नेता ने राजनीतिक वर्दी पहन ली थी. पा का साथ था ही. समाजवादी पार्टी की सरकार बनने ही इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया गया था. मकसद था कि इनके चलते सरकार पर समझदारी, विकास और प्रोफेशनलिज्म की बयार चलेगी. अहम मौकों पर उनकी मौजूदगी होने लगी. खासकर विकास पर गंभीर बैठकों और मुलाकातों पर यह उन्हें बायां हिस्सा अता किया जाने लगा था. कई मौकों पर तो उन्हें ऐसी बैठकों की सदारत तक करा दी गयी थी. लब्बोलुआब यह साहब सरकार के ब्रांड-एंबेसेडर नुमा बन गये.
लेकिन अब हवा में दुर्गन्ध आनी लगी है. नीचे से ऊपर तक चर्चाएं तारीं होने लगीं कि इस ब्रांड-एंबेसेडर ने यह किया, वह किया, फलां यह करवा दिया. बड़े नेताओं तक ऐसी शिकायतें पहुंचीं तो जांच हुई. नतीजे ब्रांड-एंबेसेडर के खिलाफ आ गये. सो, नेतृत्व तय कर लिया कि इस ब्रांड-एंबेसेडर के घुटने दो-एक इंच कतर दिये जाएं.
दरअसल, नेतृत्व के पास जो शिकायतें मिलीं थीं, वे बेहद संगीन थीं. मसलन, आरोप लगे कि एक आयोग में नामित कराने के लिए पचास लाख तक वसूले थे. चर्चाओं के अनुसार नेतृत्व को यह शिकायत मिली तो उन्होंने इस ब्रांड-एंबेसेडर से सीधे तौर पर कड़ाई से कहा कि पैसा वापस करो फौरन. और आइंदा अगर ऐसा फिर कभी दोबारा हुआ तो बहुत बुरा होगा. चर्चाओं के मुताबिक पैसा वापस कर दिया गया, लेकिन इसके बाद से नेतृत्व ने उनसे किनारा करना शुरू किया. कई अहम आयोजनों में इन्हें बुलाया ही नहीं गया. इतना ही नहीं, यहां तक कि उप-राष्ट्रपति के लखनऊ आगमन पर लखनऊ के मेयर को तो खूब तरजीह दी गयी, लेकिन ब्रांड-एंबेसेडर किनारे कर दिये गये.
बताते हैं कि ब्रांड-एंबेसेडर को अब पूरी तरह पार्टी की दक्षिण दिशा में ठिकाने लगाया जा चुका है. लेकिन ब्रांड-एंबेसेडर और पा की कोशिशें हैं कि वह अपना रूतबा वापस हासिल कर सकें. इसके लिए हाल ही उन्होंने अपने एक पारिवारिक समारोह गोमतीनगर में कराया था. इसमें दिल्ली, मुम्बई और गुड़गांव आदि समेत देश के प्रमुख बिल्डरों को निमंत्रित किया गया था. यह भी खूब प्रचारित किया गया कि इस समारोह में नेतृत्व के बड़े दिग्गज मौजूद रहेंगे. लेकिन ऐन वक्त पर दिग्गज लोग वहां पहुंचे ही नहीं. लेकिन चर्चाएं हैं कि इस समारोह में इतना ज्यादा उपहार-गिफ्ट वसूल लिए कि उसे घर तक पहुंचाने के लिए बाकायदा दो ट्रक मंगवाने पड़े. चर्चाएं तो यह भी हैं कि हाल ही उन्हें अपने ही चुनाव क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया था. लेकिन चूंकि यह उनके चुनाव क्षेत्र का मामला था, सो वे खुद ही वहां पहुंच गये.