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मुंबई हमलों के गुनहगार पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की दया याचिका महाराष्ट्र सरकार के

गृहमंत्रालय ने खारिज कर दी है. कसाब की ओर से राष्ट्रपति के समक्ष लगाई जाने वाली क्षमा की गुहार को वहां पहुंचने से पहले ही राज्य के गृहमंत्रालय ने ठुकरा दिया है. अब कसाब के लिए अपनी जान बचाने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई.
गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने कसाब की याचिका खारिज करके इसे मुख्य मंत्री कार्यालय की भेज दिया है. नियमानुसार अब मुख्यमंत्री कार्यालय इस दया याचिका को केंद्रीय गृहमंत्रालय के समक्ष पेश कर सकता है. वहां से फिर इसे पुनर्विचार के लिए राष्ट्रपति भवन को भेजा जा सकता है.
उधर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कसाब की फांसी की सजा पर मुहर लगाए जाने के बाद उसे फांसी पर चढ़ाने जाने की मांग और तेज हो गई है.
मीडिया दरबार के मॉडरेटर 1979 से पत्रकारिता से जुड़े हैं. एक साप्ताहिक से शुरूआत के बाद अस्सी के दशक में स्वतंत्र पत्रकार बतौर खोजी पत्रकारिता में कदम रखा, हिंदी के अधिकांश राष्ट्रीय अख़बारों में हस्ताक्षर. उसी दौरान राजस्थान के अजमेर जिले के एक सशक्त राजनैतिक परिवार द्वारा एक युवती के साथ किये गए खिलवाड़ पर नवभारत टाइम्स के लिए लिखी रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार श्री मिलाप चंद डंडिया की पुस्तक "मुखौटों के पीछे - असली चेहरों को उजागर करते पचास वर्ष" में भी संकलित की गयी है. कुछ समय के लिए चौथी दुनियां के मुख्य उपसंपादक रहे किन्तु नौकरी कर पाने के लक्खन न होने से तेईस दिन में ही चौथी दुनिया को अलविदा कह आये. नब्बे के दशक से पिछले दशक तक दूरदर्शन पर समसामयिक विषयों पर प्रायोजित श्रेणी में कार्यक्रम बनाते रहे. अब वैकल्पिक मीडिया पर सक्रिय.
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