-दिलीप सिकरवार||
भला हो केबीसी वालों का, जिनकी बदौलत हमारी औलादें पढ़ाकू हो रहीं हैं. इसके लिए हम बच्चन जी और सोनी टीवी के साहेबानों को दिली धन्यवाद देना चाहते हैं. स्वीकार करें. अब तो हालत यह हैं की बेटे -बेटियां माँ के साथ तीन रातों को टीवी पर आँखें गडाये रहतीं हैं. भाई यदि बनना हो करोडपति तो पढाई करना ही होगा. बिन ज्ञान सब सून. अमित जी भी यही दोहराते हैं.
दूसरी बात, अमित जी ने हम भारतीयों की हिंदी भी दुरुस्त की है. जब उनकी एंट्री यह कहते होती है- नमस्कार, आदाब, खुशामदीद , सतश्रीकाल…. तो लगता है पता नही क्या हो रहा है. भाषा में उनकी पकड़ हरिवंश रॉय जी की याद ताज़ा करती है. साहित्यिक परिवार का लाभ यहाँ उन्हें मिला और अब विश्व को मिल रहा रहा है. वैसे जो शब्द अमित जी के मुह से निकलते हैं, वास्तव में उनके नही होते. बाकायदा स्क्रिप्ट लिखी जाती है. मतलब परदे के पीछे बहुत सारे लोग काम करते हैं. हमे तो जो नजर आता है, हम वो ही देखतें है. सवाल उठ सकता है की आखिर ये शब्द किसके हैं. जान लें, आर डी तेलंग साहब के. यही लिखतें केबीसी एंकर के लिए. अब चाहे वो शाहरुख़ हों या बिग बी. मुंह भले ही बदले किन्तु शब्द तेलंग जी के होतें है.
जहाँ तक ज्ञान की सवाल है तो बाज़ार में नही बिकने वाली किताबें अब खोजने पर भी नही मिल रही हैं. बुक स्टाल के मालिक महेश-गणेश पाल के मुताबिक, आज प्रतियोगिता से सम्बन्धित किताबें मुश्किल से सेल होती हैं, वजह ये की बेरोजगार बन्दे किताबों के सहारे नौकरियां तलाशने आते थे, किन्तु बेकारी इतनी है क्या बताएं. इसलिए इन किताबों से तौबा कर लेना ही बेहतर है. किन्तु केबीसी ने हमारा फायदा कर दिया . केवल किताबें ही नही ज्ञानियों की पूछ परख बढ़ गयी है. टीवी से सास – बहु के लफड़े -झगडे ख़त्म हो गये हैं. ज्ञान वर्धक कार्यक्रमों पर रिमोट रुक रहा है तो केवल केबीसी की वजह से. इसलिए पढो, आगे बढो, करोडपति बनो.
ज्ञान मान सम्मान का खेल है के बी सी
बच्चों से लेकर बड़ों तक मनभावन है ये ज्ञान मान सम्मान का खेल। सभी बड़े चाव से देखते हैं अमिताभ बच्चन की मनभावन प्रस्तुती को।हर प्रतियोगी में कुछ पाने की-कुछ करने की प्रतिभा और चाहत रहती है और उनकी इस भावना से अभिभूत हो जाते हैं इस प्रोग्राम को देखने वाले।बच्चन जी के मुख से निकला हर वाक्य मानस पटल तक पहुँचता है।उनके द्वारा अपने पिता हरिवंश राय बच्चन जी की यादें सुनना बहुत अच्छा लगता है और उनमे एक श्रवण कुमार जैसी भावना झलकती है।परन्तु आज के बच्चों में यह भावना विलुप्त होती जा रही है । के बी सी के माध्यम से बच्चों को बताया जा सकता है की वो भी अपने माता-पिता की अच्छी बातों को याद रखें और उनके प्रति कृतग्य रहें।
आर एम मित्तल
मोहाली
कार्यक्रम अच्छा HE