इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट का दौर चल रहा है मगर यूपीए सरकार ने डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर दी, यही नहीं रसोई गैस पर कोटा प्रणाली लागू कर जले पर नमक छिडकने का काम किया है. दूसरी तरफ सरकार को समर्थन दे रहे सभी राजनैतिक दल सरकार के इस फैसले का विरोध तो कर रहे हैं मगर इस विरोध में ना तो कोई तल्खी है और ना ही दम. यूपीए के किसी भी घटक ने सरकार को डीजल की बढ़ी हुई कीमत और रसोई गैस पर लागू किये गए कोटा सिस्टम को वापिस ना लेने पर समर्थन वापसी की धमकी तक ना देना इन घटकों के दिखावटी विरोध की सारी पोल खोल देता है. यदि यह नूरा कुश्ती नहीं है तो यूपीए के घटक दल सरकार से समर्थन वापिस क्यों नहीं ले लेते?
डीजल की कीमत में पांच रुपये बढ़ाये जाने के विरोध में जहां देश भर में लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है, वहीं सभी राजनीतिक दलों ने इस मसले पर राजनीति करनी शुरू कर दी है. शुक्रवार को समाजवादी पार्टी [सपा] ने उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन किया. पार्टी कार्यकर्ताओं ने बनारस में ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया. भारतीय जनता पार्टी ने भी जहां सरकार को आड़े हाथों लिया है, वहीं शिवसेना ने भी इसका कड़ा विरोध करते हुए प्रदर्शन का एलान किया है.
भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से राजनीति में कूदे अरविंद केजरीवाल ने डीजल के दाम बढ़ने और गैस सिलेंडर की सीमा तय किए जाने के फैसले पर राजनीतिक दलों की आलोचना करते हुए कहा कि दाम बढ़ते ही सभी राजनीतिक दलों का नाटक शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि एक रुपये का भी रोलबैक होता है तो सभी चुप हो जाएंगे.
सरकार की सहयोगी पार्टी तृणमूल काग्रेस ने डीजल की बढ़ी कीमत व आंशिक अनुदानित गैस सिलेंडर की सीमा पर किए गए सरकार के फैसले का विरोध-प्रदर्शन करने की घोषणा की है. तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह सरकार के इस फैसले से बेहद नाराज हैं और 15 सितंबर को इसके विरोध में रैली निकालेंगी. उन्होंने सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए इस फैसले को वापस लेने को कहा है.
ममता के साथ-साथ यूपीए के सहयोगी द्रमुक ने भी इस फैसले का विरोध किया है, लेकिन उनके तेवरों में कोई तल्खी नहीं दिख रही है.
सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने बृहस्पतिवार को ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाए तो समाजवादी पार्टी उसका विरोध करेगी. देर रात मूल्य बढ़ा दिए जाने पर सपा प्रवक्ता रामगोपाल यादव ने चौतरफा महंगाई बढ़ने का हवाला देते हुए इसके वापस लेने की मांग कर दी. पार्टी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा और वामपंथी दलों ने सरकार को आम जनता का विरोधी करार देते हुए उसके खिलाफ बने माहौल को गरमाना शुरू कर दिया. यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. तृणमूल कांग्रेस इसके विरोध में पूरे राज्य में तीन दिन तक प्रदर्शन करेगी.
वहीं, ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार ने घटक दलों को जानकारी दिए बिना ही एकतरफा फैसला कर लिया है. यह बिल्कुल गलत है. इस फैसले के पहले सरकार ने पार्टी से कोई संपर्क नहीं साधा था.
ममता ने कहा कि इसका सीधा असर किसानों पर होगा. वहीं दूसरी ओर भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश के आम आदमी के साथ यह कड़वा मजाक किया गया है. पेट्रोल माफिया के साथ मिलकर सरकार साजिश रच रही है. बुआई के मौसम में किसानों को इससे बड़ा झटका लगा है. हमें पेट्रोल और डीजल कीमतों के बीच संतुलन रखना होगा. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा कि डीजल के दामों में इस वृद्धि से रिजर्व बैंक को ब्याज दर घटाने की सांस मिलेगी और वह विकास पर ध्यान दे सकेगा.
वहीं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी के पीछे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और डॉलर के मुकाबले रुपये के ढीले पड़ने का तर्क कमजोर है. केंद्र सरकार ने समय रहते उपाय किए होते तो इस बढ़ोत्तरी को टाला जा सकता था.
इधर, सरकार ने डीजल और एलपीजी के दाम बढ़ाने के साथ-साथ शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में नागरिक उड्डयन में एफडीआइ और पांच सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को एजेंडे में रखा है. जाहिर है कि मनमोहन सरकार आर्थिक सुस्ती को तोड़ टूटते बाजार को सहारा देने की आखिरी कोशिश कर रही है.
माना जा रहा है कि बाजार की हालत देखते हुए सरकार ने सहयोगियों को थोड़ा भरोसे में लेते हुए उनके विरोध को बर्दाश्त करने का भी फैसला ले लिया है. सरकार डीजल में बढ़ोत्तरी को पारिख कमेटी की रिपोर्ट के साथ न्यायसंगत भी ठहरा रही है. सरकार का दावा है कि सबसे गरीब आदमी पर इस फैसले से प्रतिमाह सिर्फ दो से ढाई रुपये का बोझ ही बढ़ेगा.