-चन्दन भाटी||
बाड़मेर। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के द्वितीय लेवल के प्रश्न पत्र में ऎसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का मामला प्रकाश में आया है जिन्होंने टेट भी उत्तीर्ण नहीं की।
जिला परिषद बाड़मेर को 55 प्रतिशत से कम अंक वालों को नियुक्ति नहीं देने के उच्च न्यायालय के आदेशों की खबर होने के बावजूद “बैकडेट” में कार्रवाई कर नियुक्ति की। विकास अधिकारियों ने भी ऎसा ही किया। आनन फानन में कई नियुक्तियां अब सवालों के घेरे में है। गुरूवार को ऎसे मामले प्रकाश में आए है। एक अभ्यर्थी के आरटेट में 55 अंक ही आए और नियुक्ति दे दी। यह अभ्यर्थी आरटेट उत्तीर्ण भी नहीं है। जबकि नियमानुसार 75 अंक होने चाहिए। एक अन्य मामले में 71 व दूसरे को 74 अंक पर नियुक्ति मिल गई।
श्रेणी बदलने का मामला- बाड़मेर पंचायत समिति में एक महिला अभ्यर्थी ओबीसी वर्ग से है। इसको एसबीसी विधवा वर्ग में मानते हुए नियुक्ति देने की शिकायत मिली।
आनन फानन में जांच- जिला परिषद के पास 2157 पदों की नियुक्ति का मामला था। पहले मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बाहरी राज्यों से बीएड करने वाले 526 लोगों को नियुक्ति नहीं देने का निर्णय किया। बाद में इनको नियुक्ति दे दी। उच्च न्यायालय ने 55 प्रतिशत से कम अंकों से आरटेट करने वालों को नियुक्ति नहीं देने के आदेश किए। यह आदेश 10 सितम्बर को हुए और 10 सितंबर को जिला परिषद की स्थापना समिति में इसका अनुमोदन होना था। बावजूद पंचायत समितियों को सूची दी और नियुक्ति आदेश निकाल दिए।
ऎसा हो सकता है- एक मामला तो सामने आया है। दस्तावेजों की जांच में समय की कमी होने पर रिमार्क नहीं किया। इससे ऎसा हो सकता है। शिकायतों पर गौर किया जाएगा। दस्तावेज वापस मंगाए है।
– चतुर्भुज सोनी, प्रभारी तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा
जांच होगी- मामलों की जानकारी ली जाएगी। कोई त्रुटि हुई है तो नियमानुसार कार्रवाई होगी। भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई है।
– मदनकौर, जिला प्रमुख