-कुमार सौवीर||
लखनऊ: रोज-रोज अपना नया ढीहा खोजने-बदलने में माहिर पत्रकार को यूपी के एक बड़े कद्दावर मंत्री ने अपने दफ्तर में दरवाजे से बाहर निकाल दिया। इस मंत्री ने अपने स्टाफ
देर सही, लेकिन एक खबर तो अभी तक राजनीतिक और पत्रकार-जगह में पसर और फैल तो हो ही चुकी है। मामला कुछ इस तरह है। बसपा सरकार में शामिल रहे बड़े-बड़े नेताओं, मंत्रियों और अफसरों में इस पत्रकार की पकड़ बहुत धंसी थी। कई चैनलों में इनका कई बार आना-जाना रहा है। पत्रकार-सम्मेलनों में भी यह पत्रकार अपनी सीट आगे के हिस्से में ही रखते थे। बसपा की सरकार जब धराशायी हुई तो इनका नयी सरकार के कई मंत्रियों की डेहरी पर इन पत्रकार की पहुंच होने लगी।
बताते हैं कि विगत दिनों अखिलेश यादव के चाचा और सरकार के एक बड़े मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने चंद पत्रकारों को बातचीत के लिए बुलाया था। हालांकि इसका बुलावा इस पत्रकार को नहीं था, लेकिन भनक मिली, तो यह शिवपाल सिंह यादव के यहां पहुंच गये। बस, उन्हें देखते ही इस पत्रकार की मौजूदगी पर शिवपाल सिंह ने पहले अपना मुंह बिचका दिया। इतना ही नहीं, इसके पहले कि पत्रकार जी कुछ बोलते, शिवपाल ने अपने कड़े शब्दों के साथ अपने स्टाफ को आदेश दिया कि इन्हें बाहर का रास्ता दिखाओ और आइंदा उन्हें यहां नहीं बुलाया जाए। शिवपाल ने तो भड़क कर यहां तक कह दिया था कि बाबू सिंह कुशवाहा समेत भ्रष्ट मंत्रियों की चाकरी करने वाले दलालों-पत्रकारों की जगह मेरे आस पास नहीं होनी चाहिए।
हालांकि वहां मौजूद कुछ पत्रकारों ने शिवपाल सिंह यादव के इस रवैये पर ऐतराज करना चाहा, लेकिन बाकी पत्रकारों और मंत्री के तेवर देखकर वे चुप ही रहे। दरअसल, ऐतराज करने के मूड में रहे पत्रकारों का ऐतराज था कि किसी भी पत्रकार के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह पूरी बिरादरी की इज्जत का सवाल था।
आखिर इस लेख के लिखने का मतलब किया निकला जय राजनीती चमचागिरी का पब्लिसिटी या पत्रकार के बेआबरू होने पर व्यक्त किया गया दर्द वैसे दर्द होता तो ऐतराज जरुर किया जाता
“मिशन से कमीशन का खेल है भाई”
लानत है उन साथी पत्रकारों को जो इसके बावजूद वहां बैठे रहे.मन की वह बिन बुलाये मेहमान थे,लेकिन ऐसी भी क्या बात थी जो मंत्री उस पत्रकार के सामने नहीं कर सकते थे.लगता है कि सर्कार के बुलावे पर गए वे लोग सरकारी दलाल थे.जैसे भी साथी parrkar थे उन्हें उस समय तो उसका साथ देना था बाद में उसको यह महसूस होता कि उसने पहले कितनी बड़ी गलती कि थी.
dalalo ka yahi hona chahiye.
ये यादव कम्पन्नी सरकश चला रही है सरकार का किया काम है ये अभी सीखेंगे इएन लोंगो ने ब्रह्मण को भी किसी काम में सामिल नहीं करने को सभी म ल अ को कहा है इएस समय ये सरकार केवल बदले पूरे करने मई लगी है चाहे वे प्रेस रिपोर्टर हो या इ ये एस या बी एस पि क्र वोटर एनोनेह संविधान की सौगंन्ध खाई है जो करेंगे वो IEMANDARI से नियाय करेंगे वो ये कर रहे है लेकिन विनाश काले विपरीत बुध्धि इएन के नाश होने मई समय जायदा नहीं लगेगा अभी लोकसभा के चुनायो में ही परिणाम सामने आजायेंगे
Jo Patrakar……. Politicians ke talbe chatate hain……. unake sath aisa hi hona chahiye…….