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-चन्दन भाटी||
बाड़मेर, जहा देश भर के कई जगहों पर इंद्र देवता ने अपना कहर बरपा रखा है वही रेगिस्तान में बारिश ने हाहाकार मचा दिया है. भारत -पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार
एक्सप्रेस के रेल मार्ग के ट्रेक के नीच से मिट्टी और गिट्टियां पानी में बह गई. हाँलाकि थार एक्सप्रेस सप्ताह में शनिवार को दोनों देशो की बीच चलती है. रेल मार्ग के ट्रेक के नीच से मिट्टी और गिट्टियां पानी में बह जाने से बाड़मेर -मुनाबाव पेसेंजर रेल को रद्द कर दिया गया है.
राजस्थान में पिछले २४ घंटो में बारिश ने कई जगह पर अपना कहर बरपा रखा है. वही राजस्थान के बाड़मेर जिले में भी सोमवार रात्रि में बारिश के बाद कई जगह पर सडकें पानी में बह कर टूट गई तो बाड़मेर मुनाबाव रेल मार्ग के बीच करीब आधा किलोमीटर ट्रेक के नीचे से मिट्टी और गिट्टियां पानी के साथ बह गई. दरअसल इस इलाके में जब भी इंद्र देवता जमकर बरसते है तो इस इलाके में पानी एक साथ बहता है वो पानी रेलवे ट्रेक के नीच लगी मिट्टी और गिट्टियों को अपने साथ ले जाता है. जब सुबह रेलवे प्रशासन को इस बात कि सूचना मिली तो रेलवे ने बाड़मेर -मुनाबाव पेसेंजर ट्रेन को रद्द कर दिया और जहा से ट्रेक के नीच से मिट्टी निकली उस इलाके में युद्ध स्तर पर काम शुरू करा दिया है. रेलवे जोधपुर जोने की सूचना एवम जन संपर्क अधिकारी गोपाल शर्मा के अनुसार भारी बारिश की वजह से बाड़मेर -मुनाबाव रेलवे मार्ग में ट्रेक के नीचे से मिट्टी निकल गई थी जिसको सही कराने का काम चल रहा है. जल्द ही इस मार्ग को सही कर दिया जाएगा. गौरतलब ही कि इसी रास्ते से भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस गुजरती है. थार एक्सप्रेस सप्ताह में शनिवार को दोनों देशो की बीच चलती है. पहले भी कई बार इस रास्ते में भारी बारिश की वजह से रेलवे ट्रेक के नीच लगी मिट्टी और गिट्टियां निकल जाती है. अब रेलवे के दर्जनों मजदुर इसके मरम्मत के कार्य में लगे हुए हैं और कई जेसीबी मशीनो की मदद से इसके रास्तो को सही किया जा रहा है.
मीडिया दरबार के मॉडरेटर 1979 से पत्रकारिता से जुड़े हैं. एक साप्ताहिक से शुरूआत के बाद अस्सी के दशक में स्वतंत्र पत्रकार बतौर खोजी पत्रकारिता में कदम रखा, हिंदी के अधिकांश राष्ट्रीय अख़बारों में हस्ताक्षर. उसी दौरान राजस्थान के अजमेर जिले के एक सशक्त राजनैतिक परिवार द्वारा एक युवती के साथ किये गए खिलवाड़ पर नवभारत टाइम्स के लिए लिखी रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार श्री मिलाप चंद डंडिया की पुस्तक "मुखौटों के पीछे - असली चेहरों को उजागर करते पचास वर्ष" में भी संकलित की गयी है. कुछ समय के लिए चौथी दुनियां के मुख्य उपसंपादक रहे किन्तु नौकरी कर पाने के लक्खन न होने से तेईस दिन में ही चौथी दुनिया को अलविदा कह आये. नब्बे के दशक से पिछले दशक तक दूरदर्शन पर समसामयिक विषयों पर प्रायोजित श्रेणी में कार्यक्रम बनाते रहे. अब वैकल्पिक मीडिया पर सक्रिय.
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