वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को क्लीन चिट मिल गई है. चिदंबरम के खिलाफ 2जी मामले में सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर नहीं किया है. ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम को 2जी मामले में सहआरोपी बनाने के लिए दायर की गई थीं, लेकिन अदालत ने सुनवाई के लिए दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इस बीच, जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अब मैं इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दाखिल करूंगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश के लिए झटके की तरह है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिदंबरम के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, और कहीं से भी यह साबित नहीं होता कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है.
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदंबरम को सह आरोपी बनाने की माग को लेकर याचिका दायर की थी. वहीं, स्वामी ने अपनी नई याचिका में अनुरोध किया था कि कोर्ट चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती के खिलाफ स्वयं संज्ञान लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू करे, क्योंकि वे लोग 2जी मामले में न्यायिक प्रक्रिया बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं. स्वामी की याचिका में कहा गया है कि कार्ती चिदंबरम की कंपनी एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने सिंगापुर हाई कोर्ट में उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल किया है. यह मुकदमा इसलिए दाखिल किया गया है क्योंकि उन्होंने 2जी घोटाले में चिदंबरम की भूमिका का खुलासा किया था. स्वामी का कहना है कि एडवांटेज कंपनी मुख्यत: भारत की कंपनी है, उसे भारत में मुकदमा दाखिल करना चाहिए था. लेकिन कंपनी ने अपनी सिंगापुर शाखा की ओर से सिंगापुर में मानहानि का मुकदमा दाखिल किया हैं, ताकि वे उस मुकदमे के सिलसिले में बार-बार बाहर जाएं और भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी अपनी लड़ाई पर ध्यान न दे सकें. स्वामी का आरोप है कि इस तरह उनके खिलाफ मुकदमा दाखिल कर 2जी मामले में कोर्ट की सुनवाई में दखल देने की कोशिश की गई है. यह अदालत की अवमानना है. इसलिए कोर्ट को चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए.