उत्तर प्रदेश में पांच हजार करोड़ से अधिक के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] घोटाले के आरोपी आइएएस प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ की विशेष अदालत से जमानत मिलने एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें राजस्व मंडल का सदस्य बना कर स्वतंत्र होने की सौगात दे दी है.
गौरतलब है कि करीब 5 हजार करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में एनजीओ को ठेके देने से लेकर एंबुलेंस खरीदने और जननी योजना तक सभी काम प्रदीप शुक्ला की जानकारी में ही हुए. प्रदीप शुक्ला ने कई बार विदेश यात्राएं भी कीं जिन्हें उन्होंने सरकार से छूपाया भी. माया सरकार में प्रदीप चार साल तक स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर रहे और उनके इस पद पर रहते हुए ही यह घोटाला हुआ था.
यहाँ यह भी बता दें कि सीबीआई की लापरवाही के कारण ही प्रदीप शुक्ला को गत बुधवार को अदालत से जमानत मिली थी क्योंकि सीबीआई निर्धारित नब्बे दिनों की अवधि में इस घोटाला कांड में प्रदीप शुक्ला के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में असमर्थ रही थी. गौरतलब है कि इससे कुछ समय पहले ही सी बी आई ने उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने प्रदीप शुक्ल के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर लिया है और आरोप पत्र दाखिल करने पर लगी अदालती रोक उसे आरोप पत्र दाखिल करने से वंचित कर सकती है और प्रदीप शुक्ला को कानूनी रूप से इसका फायदा मिल सकता है तथा जमानत पाने का अधिकारी बन जायेगा. सीबीआई की इस दलील को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा दी गई थी. फिर भी सीबीआई द्वारा आरोप पत्र समय पर दाखिल करने में असमर्थ रहना और इस लेक्युना के कारण शुक्ला का जमानत पर छुट जाना तथा इसके एक सप्ताह बाद अखिलेश यादव सरकार द्वारा राजस्व मंडल का सदस्य बनाना साबित कर देता है कि इस देश किसी भी नौकरशाह को उसके कुकर्मों की सजा मिलना असम्भव सा कार्य है.
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