पर्यटन मानचित्र पर जैसलमेर को विशेष पहचान दिलाने वाले सोनार किले की पीडा को व्यक्त करती सोनार किले की जैसलमेर के लोगों के नाम एक पाती-
-जैसलमेर से मनीष रामदेव||
99 बुर्जों से घिरा, विशाल परकोटे में समाहित और अपने अन्दर सैकडों परिवारों को संरक्षण दे रहा मैं सोनार किला आज में 857 वर्ष का हो गया हूं….इन वर्षों में मैने कई उतार चढाव देखे हैं। कदम कदम पर चुनौतियां मिली है लेकिन मेरे अपने मेरे साथ थे जिसके चलते मेरी हमेशा जीत हुई। मेरी प्राचीनता, ऐतिहासिकता और सुन्दरता देखेने सात समन्दर पार से लाखों सैलानी आते हैं। जैसे पूर्वज मेरा खयाल रखते थे वैसा आज की पीढी नहीं रख पा रही है। जहां एक तरफ मैने पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान बनाया है वहीं दूसरी ओर विकास की राह में भी लगातार दौड लगा रहा हूं और उम्मीद कर रहा हूं कि आगे भी आपका सहयोग मुझे अनवरत मिलता रहेगा।
किसी जमाने में राजाओं के संरक्षण में रहा मैं अंग्रेजों का शासन काल और आजादी की लडाई का साक्षी भी रहा हूं लेकिन आज मैं आपके हवाले हूं, हालांकि सरकारें मेरे संरक्षण के लिये प्रयास कर रही है पुरातत्व विभाग भी मुझे बचाने के लिये जयपुर व दिल्ली में आवाज उठा रहा है लेकिन सरकारों व पुरातत्व विभाग के संरक्षण की बजाय मुझे चाहिये आप लोगों का सरंक्षण जो मुझमें व मेरे आसपास निवास कर रहे हैैं।
पिछले वर्षों में जब से सैलानियों की नजर मुझ पर पडी है और तस्वीरों के माध्यम से जब वे मुझे देश विदेश लेकर गये हैं तब से यहां पर्यटकों का आना भी बढ गया है और मैने आप लोगों को पर्यटन व्यवसाय का तोहफा भी दिया है जिसके चलते आज किले के अन्दर व बाहर करोडों रूपये का पर्यटन व्यवसाय प्रतिवर्ष आप लोगों द्वारा किया जा रहा है और अपने जीवन को समृद्ध बनाया जा रहा है। पर्यटन व्यवसाय में अगर मुझे सोने की मुर्गी के रूप में आप लोग काम में लेंगे तो मैं कई वर्षों तक आपको व आपकी आने वाली पीढीयों को इसी प्रकार व्यवसाय देता रहूंगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
कुछ लोग मुझे चाकू लेकर काटने पर उतारू है और सोने की मुर्गी के अण्डे एक ही बार में ले लेना चाहते हैं, मैं दुखी उन लालची लोगों से जो केवल अपनी जेब भरने के लिये मेरी उपेक्षा तो कर ही रहे हैं साथ ही अपनी आने वाली पीढियों के व्यवसाय में आडे आने में जुटे हैं।
एक जमाना था जब जैसलमेर आने वाला सैलानी दूर से मुझे देख कर आकर्षित होता था, लेकिन आज आप लोगों ने अपनी जरूरतों के हिसाब से मेरे स्वरूप के साथ जो खिलवाड किये हैं उसने मेरी सुन्दरता पर दाग लगा दिये हैं, सैकडों की संख्या में खुली होटलों व रूफ टॉप रेस्टोरेंटों के चलते आज मेरे अन्दर निवास करने वाले घर व्यवसाईक प्रतिष्ठानों में परिवर्तित हो चुके हैं ऐसे में अपने ग्राहकों को सुविधाएं देने के नाम पर इन लोगों ने बेजा निर्माण कर मेरे स्वरूप के साथ खेलना आरम्भ कर दिया है।
अब जब सरकारें इस और कडे कदम उठाने को मजबूर हो रही है तो आप लोग मुझ पर अपना हक जमा रहे हो… उस समय हक की बात कहां गई थी जब आपने मेरे रूप के साथ खिलवाड किया था। मुझे शर्म आती है कि मेरे आंचल में मैं ऐसे लोगों को समेट कर बैठा हूं जो अपने लालच के लिये मेरी ही छाती पर छुरा घोंप रहे हैं…. किले के स्वरूप के लिये पुरातत्व विभाग और सरकार द्वारा जो कडे कदम उठाये जा रहे हैं और आप लोगों द्वारा जो उसका विरोध किया जा रहा है इस लडाई में मैं इतने साल तो आप के साथ था लेकिन अब सरकार का साथ दूंगा क्योंकि आपको हो न हो मुझे बेहद चिन्ता हो रही है मेरे स्वरूप की और उससे भी महत्वपूर्ण आपकी आने वाली पीढियों की क्योंकि जब मैं ही नहीं रहूंगा तो आपके बच्चे जो पर्यटन व्यवसाय से जुडे हैं उनका क्या होगा….
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