-सर्वमित्रा सुरजन॥ वो राष्ट्रवादी ही क्या जो अपनी तकलीफ का इज़हार कर दें। देश में इस वक्त कितने तरह की मुश्किलों में आम आदमी जी रहा है। पढ़ाई, इलाज, खाना-पीना, नौकरी सबके लाले पड़े हैं, लेकिन फिर भी मजाल है कि ये तकलीफें किसी मस्जिद के सर्वे या शिवलिंग की तलाश में आड़े आई हों। भविष्य तबाह होता है, तो हो जाए, लेकिन इतिहास को जब तक जड़ समेत खोद न लिया जाए, तब तक हम क्या खाक भगीरथ के वंशज कहलाएंगे। धाकड़ सिनेमाघरों में धड़ाम हो गई, कोई धमाल नहीं दिखा पाई। बॉलीवुड क्वीन के सपने ताश के महल...
सोनिया गांधी के नाम खुला ख़त..
-सर्वमित्रा सुरजन॥ अगर कांग्रेस सत्ता में लौटना चाहती है कि तो उसे अपने प्रतिद्वंद्वी की शक्ति का अहसास, रणनीतियों का अंदाज और अगली चालों का अनुमान लगाना होगा। ये काम एक-दो चिंतन शिविरों से नहीं हो सकता। इसके लिए हर रोज 24 घंटे कांग्रेस के नेताओं को सतर्क रहकर काम करना होगा। एक-दूसरे से संवाद बनाए रखना होगा और जनता के बीच अपनी उपस्थिति हर हाल में दर्ज करानी होगी। तभी लोकसभा की सीटों में थोड़ा इजाफा हो सकता है। आदरणीय सोनिया गांधी जी, हम सब यहां देश में कुशलता से नहीं हैं, लेकिन उम्मीद है कि उदयपुर में तीन...
6जी के सपने और ताबड़तोड़ महंगाई..
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर अच्छे दिनों के ख्वाब देश को दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत में कनेक्टिविटी, देश की प्रगति की गति को निर्धारित करेगी। इसलिए हर स्तर पर कनेक्टिविटी को आधुनिक बनाना ही होगा। श्री मोदी ने कहा कि 5जी प्रौद्योगिकी देश के शासन, जीवन की सुगमता और व्यापार की सुगमता में सकारात्मक बदलाव लाने वाली है और इससे खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, संरचना और हर क्षेत्र में प्रगति को बल मिलेगा। अब ये बात समझना होगा कि जो चीजें पहले...
साइबर जुर्म अब खुदकुशी की वजह बनते जा रहे हैं, तुरंत जागरूकता की जरूरत
-सुनील कुमार॥ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से साइबर ठगी की एक भयानक खबर सामने आई है। एक महिला को 25 लाख रूपए की लॉटरी लगने का झांसा देकर ठगों ने उससे 9 लाख रूपए अपने बैंक खातों में जमा करा लिए, और फिर जब महिला को समझ आ गया कि उसे ठगा जा चुका है तो उससे यह रकम वापिस करने के नाम पर उसका एक नग्न वीडियो बनवाकर ठगों ने बुलवा लिया। इसके बाद ठगों ने उससे 5 लाख रूपए और मांगे, और यह रकम न भेजने पर यह वीडियो उसके पति के मोबाइल पर भेज दिया गया। इसके बाद...
ज्ञानवापी विवाद और न्याय की खिचड़ी..
–कुमार सौवीर॥ (दुलत्ती वाले) लखनऊ : ज्ञानवापी सर्वे पर अदालत वाली जो कार्रवाई चल रही है और उससे जो भी फैसले सामने आ रहे हैं, वह अभूतपूर्व है। न भूतो, न भविष्यते। न कोर्ट कमिश्नर ने अपनी गरिमा और गोपनीयता को बरकरार रखा है और न ही मामले की सतत सुनवाई में जज ने अपने दायित्वों का निर्वहन निभाया है। हैरत की बात है कि अपने इसी मामले में एक मसले पर फैसला करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने एक साधारण प्रवृत्ति के सिविल वाद को असाधारण वाद बना कर डर का माहौल पैदा कर दिया। आपको...
अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी का भारत का दावा एक हफ्ते के भीतर फुस्स हो गया!
-सुनील कुमार॥ भारत सरकार का एक और फैसला लोगों को हैरान भी कर रहा है, और अनाज की कमी का सामना कर रही दुनिया को सदमा भी पहुंचा रहा है। लेकिन खुद हिन्दुस्तान के भीतर अभी यह साफ नहीं है कि केन्द्र सरकार ने एक हफ्ते के भीतर अपनी खुद की नीतिगत घोषणाओं पर इतना बड़ा यूटर्न क्यों लिया है? दुनिया में गेहूं की एक तिहाई सप्लाई अकेले यूक्रेन-रूस से होती थी, और अब वहां चल रही जंग की वजह से वहां से कुछ भी अनाज निकलना बंद है। ऐसे में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश...
दौलतमंद और ताकतवर मुजरिम सस्ते में क्यों छोड़े जाते हैं?
-सुनील कुमार॥ पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाली तीन जजों की एक बेंच ने मध्यप्रदेश के एक एबीवीपी पदाधिकारी को हाईकोर्ट से मिली जमानत रद्द कर दी, और हफ्ते भर में सरेंडर करने के लिए कहा। जबलपुर में एक छात्रा से बलात्कार के आरोपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक नेता को जब हाईकोर्ट से जमानत मिली थी, तो शहर में ‘भैय्या इज बैक’ के बैनर-होर्डिंग लगाए गए थे। इस पर बलात्कार-पीडि़ता छात्रा की ओर से जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, तो वहां पर मुख्य न्यायाधीश ने इस पर भारी नाराजगी...
मुक्तिबोध की बेमिसाल पारदर्शी प्रेमकथा –
-जगदीश्वर चतुर्वेदी॥ हिन्दी का लेखक अभी भी निजी प्रेम के बारे में बताने से भागता है। लेकिन मुक्तिबोध पहले हिन्दी लेखक हैं जो अपने प्रेम का अपने ही शब्दों में बयान करते हैं। मुक्तिबोध का अपनी प्रेमिका जो बाद में पत्नी बनी, के साथ बड़ा ही गाढ़ा प्यार था, इस प्यार की हिन्दी में मिसाल नहीं मिलती । यह प्रेम उनका तब हुआ जब वे इंदौर में पढ़ते थे। शांताबाई को भी नहीं मालूम था कि आखिरकार मुक्तिबोध में ऐसा क्या है जो उन्हें खींच रहा था, वे दोनों जब भी मौका मिलता टुकुर टुकुर निहारते रहते। शांताबाई को भी...
क्षेत्रीय भाषा की बात निकली है तो फिर दूर तलक जाएगी.. .
-सुनील कुमार॥ अब मानो कि हिन्दुस्तान में महंगाई, बेरोजगारी, मंदी जैसी सुबह से शाम तक की दिक्कतें खत्म हो चुकी हों, अब एक और बड़ा विवाद शुरू हुआ है। कल ही तमिलनाडु के शिक्षामंत्री का एक दीक्षांत समारोह में दिया गया भाषण टीवी पर छाया हुआ था जिसमें वे हिन्दी को पानीपूरी (गुपचुप) बेचने वालों की भाषा करार दे रहे थे, और अंग्रेजी पढऩे की वकालत कर रहे थे। आज वहां के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना को चि_ी लिखकर तमिल को मद्रास हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की है। उन्होंने...
…इस बुलडोजरी-जुल्म के खिलाफ जाएं तो जाएं कहाँ ?
-सुनील कुमार॥ मध्यप्रदेश का डिंडौरी जिला छत्तीसगढ़ के करीब है, और इसकी पहचान एक आदिवासी इलाके के रूप में होती है। लेकिन अभी चार दिन पहले की एक खबर बताती है कि ऐसे इलाके में भी हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक तनाव इतना बढ़ गया है, और मध्यप्रदेश की भाजपा की शिवराज सिंह सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में बुलडोजर को अल्पसंख्यकों के खिलाफ जिस तरह एक राजकीय हथियार बनाकर चल रही है, वह नौबत कितनी भयानक हो सकती है। एक हिन्दू लडक़ी और मुस्लिम लडक़े के बीच स्कूल के समय से मोहब्बत चली आ रही थी, और दोनों के परिवारों को भी यह...
असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश..
बड़े पदों के साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी आती हैं, जिन्हें निभाने के लिए आपको स्वार्थ के दायरे से ऊपर उठते हुए व्यापक नजरिया अपनाना पड़ता है, नैतिकता की यह जरूरी बात भाजपा के कुछ लोगों को समझना बहुत जरूरी है। वैसे तो पिछले आठ सालों में ऐसे कई उदाहरण देश के सामने प्रस्तुत हुए हैं, जब जरूरी चीजों को छोड़कर अनावश्यक मुद्दों में जनता को उलझाने की कोशिश की गई है। लेकिन हाल-फिलहाल जिस तरह ताजमहल और कुतुबमीनार को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, उससे भाजपा की सच्चाई से ध्यान भटकाने वाली रणनीति को समझा जा सकता है।...
निकम्मे भ्रष्ट अफसरों को कब तक ढोना जायज होगा?
-सुनील कुमार॥ रेलवे की खबर है कि मोदी सरकार ने रेल मंत्रालय के 19 अफसरों को जबरदस्ती वीआरएस दे दिया जिनमें 10 तो संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी थे। रेलवे ने पिछले 11 महीनों में 75 बड़े अफसरों को वीआरएस दिया है। इनके बारे में कहा गया है कि ये ईमानदारी से काम नहीं कर रहे थे, नालायकी दिखा रहे थे, या उनके काम को लेकर दूसरी शिकायतें थीं। अब इस बात से एक सवाल यह उठता है कि केन्द्र सरकार अफसरों के इसी दर्जे, संयुक्त सचिव स्तर पर बिना किसी इम्तिहान, बिना किसी मुकाबले लोगों की सीधी भर्ती भी...